काशी में इस प्रकार से मनायी जाती है देव दिवाली

दिवाली उत्सव की छटा हर तरफ़ दिखने लगी है। दरवाजे पर दस्तक दे रहे दिवाली उत्सव के चलते बाज़ारों में भी रौनक है। हिन्दू धर्म का यह बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार के साथ ही धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा एवं भैया दूज जैसे पर्व भी आते हैं। इस साल दिवाली पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 

रौशनी के इस पर्व में लोग पटाखें, एवं दीपक जलाते हैं और एक-दूसरे को मिठाई बांटते हैं। दिवाली पर्व के बारे में तो आप सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश के एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर दिवाली मनाने स्वयं देवताओं का आगमन होता है। इस दिवाली को देव दिवाली के नाम से जाना जाता है, जो दुनिया के सबसे प्राचीन शहर काशी में मनायी जाती है।

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनायी जाती है देव दिवाली

देव दिवाली, दिवाली  पर्व से 15 दिन बाद मनायी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार देव दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। जबकि दिवाली इससे पहले इसी माह की अमावस्या तिथि को मनायी जाती है। इस वर्ष देव दिवाली 12 नवंबर को पड़ रही है। वैसे तो यह त्यौहार कई राज्यों में मनाया जाता है किंतु इस पर्व का सबसे ज्यादा उत्साह बनारस में देखने को मिलता है। 

काशी में इसलिए मनाई जाती है देव दिवाली 

प्रचलित मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान शंकर जी ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी खुशी में देवाओं ने इस दिन स्वर्ग लोक में दीपक जलाकर जश्न मनाया था। इसके बाद से हर साल इस दिन को देव दिवाली के रुप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। 

इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है, जिस वजह से कार्तिक पूर्णिमा के पूरे महीने को काफी पवित्र माना जाता है।

मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की पहली किरण इसी पावन काशी नगरी की धरती पर पड़ी थी। परंपराओं और संस्कृतियों से रची-बसी काशी की देश दुनिया में पहचान बाबा विश्वनाथ, गंगा और उसके पावन घाटों से है। इन्हीं सब कारणों के चलते देवता गण यहाँ दिवाली उत्सव मनाने आते हैं।

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देव दिवाली पर दुल्हन की तरह सजते हैं गंगा घाट 

देव दिवाली पर काशी के घाटों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसी सजावट के कारण यहाँ पर मनायी जाने वाली देव दीपावली में हर वर्ष लाखों तीर्थ यात्री एवं भक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति पर फूल से देश के शहीदों को सम्मान देने के क्रम में एक कार्यक्रम होता है। घाटों पर विशाल सभा की, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है।