कार्तिक पूर्णिमा पर देव-दिवाली 2021: जानें मुहूर्त, महत्व और किन बातों का रखें विशेष ध्यान

देव दिवाली देवताओं से संबंधित प्रकाश का पर्व होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन, घाट पर लगभग 10 लाख से भी अधिक मिट्टी के दीप जगमगाते हैं। मान्यता है कि ये वो पवित्र दिन होता है, जब स्वर्ग से देवी-देवता धरती पर आते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। ये त्योहार त्रिपुरा पूर्णिमा स्नान के नाम से भी विख्यात है। इस पावन पर्व पर लोग अपने घरों को तेल के दीयों और घर के मुख्य प्रवेश द्वार को सुंदर-सुंदर रंगोलियों से सजाते हैं। 

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कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दिवाली

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा ‘कार्तिक पूर्णिमा’ कहलाती है, जिसे हम देव दिवाली भी कहते हैं। यह पर्व रोशनी के त्योहार दीपावली के 15 दिनों के बाद आता है। जो देश के विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से वाराणसी में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

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देव दीपावली 2021: तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि: 18, नवंबर 2021 (गुरूवार)

नोट: इस वर्ष देव दिवाली 18 नवंबर को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा से जुड़े सभी पूजा-पाठ पंचांग के अनुसार, 19 नवंबर को किए जाएंगे। 

कार्तिक पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए
तिथि:  19, नवंबर 2021 (शुक्रवार)
पूर्णिमा आरम्भ:नवंबर 18, 2021 को 12:02:50 से 
पूर्णिमा समाप्त:नवंबर 19, 2021 को 14:29:33 पर 

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कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार, वर्षभर पड़ने वाली सभी पूर्णमासियों में से कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा सबसे अधिक पवित्र मानी गई है। इस कार्तिक पूर्णिमा का तीनों देव- ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी से जुड़ा होने के कारण, इसका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

मान्यताओं के अनुसार, ये माना गया है कि इसी दिन भगवान शिव जी ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसके बाद समस्त देवताओं ने स्वर्ग में दीये/दीपक जलाकर दिवाली मनाई थी। उसी दिन से वर्तमान में वाराणसी में, देव दिवाली मनाने की ये परंपरा चली आ रही है और इसी उपलक्ष्य पर घाट पर हजारों-लाखों दीप जलाकर भक्त इस पावन दिन को मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के स्वागत के लिए, सभी देवी-देवता एक साथ पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।

वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायियों द्वारा, कार्तिक माह को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, और इसी कारण कार्तिक पूर्णिमा पर दान-पुण्य के कार्यों करना अत्यधिक शुभ माना गया है। पंचांग अनुसार, इसी माह में देवउठनी एकादशी के दिन से शुरू होने वाले तुलसी विवाह का पर्व भी, कार्तिक पूर्णिमा के दिन से पूर्व मनाया जाता है। हालांकि पुराणों की मानें तो, देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा के बीच किसी भी दिन तुलसी विवाह किया जा सकता है, जबकि कई लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन का चयन देवी तुलसी और विष्णु जी के निराकार तथा विग्रह स्वरूप भगवान शालिग्राम के विवाह के लिए करते हैं।

एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन ब्रह्मा जी का पुष्कर सरोवर राजस्थान के पुष्कर में धरती पर अवतरित हुआ था। इसी कारण पुराने काल से आज भी पुष्कर मेला देवउठनी एकादशी से शुरू होता है और इस मेले का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर ही किया जाता है। भगवान ब्रह्मा जी के सम्मान में आयोजित किये गए इस मेले में, दुनियाभर से श्रद्धालु हर साल आते हैं, और पुष्कर में स्थित भगवान के अनोखे मंदिर के दर्शन भी करते हैं। माना गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर सरोवर में आध्यात्मिक स्नान करना न केवल हर मानव के लिए फलदायी होता है, बल्कि इससे उसे अपने समस्त पापों से मुक्ति भी मिलती है। 

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धार्मिक महत्व

माना गया है कि, इस पावन दिन पर दीप प्रज्जवल करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, इसलिए इस दिन मुख्य रूप से अपने पितरों का स्मरण कर उन्हें भोग लगाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में आध्यात्मिक व धार्मिक स्नान करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस पावन दिन पर शाम के समय विशेषरूप से घी या तिल के तेल का दीपक जलाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसा करना हर व्यक्ति के लिए अत्यंत अनुकूल सिद्ध होता है। आपको अपने जीवन के सभी कष्टों को दूर करने के लिए भी, इस दिन भगवान शिव के सामने एक दीपक जलाना चाहिए। वहीं जो लोग बुरी नजर की समस्या से पीड़ित हैं, वे हर प्रकार के जादू-टोटके व बुरी नज़र के दुष्प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए, इस दिन 3 मुखी दीया जला सकते हैं और इसके अलावा वो जातक जो किसी भी संतान संबंधी समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए 6 मुखी दीया जलाने की सलाह दी जाती है।

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देव दीपावली 2021 पर क्या करें और क्या न करें !

1) कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर, गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव न हो तो, आप नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं। माना गया है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पूर्व के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2) इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का आयोजन भी, बेहद फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति को मन की शांति की अनुभूति होती है। 

3) इस दिन तुलसी के पौधे के सामने एक दीपक ज़रूर जलाएं, इससे आपको अत्यंत शुभ फल मिलेंगे। 

4) पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी, इस दिन एक दीपक जलाएं।

5) घर के पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाने से, व्यक्ति को भगवान से आशीर्वाद स्वरूप दीर्घ आयु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही घर-परिवार में भी सुख-शांति का वास होता है। 

6) इस दिन रात के समय चांदी के पात्र से, चंद्रमा को जल चढ़ाने से जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होगी।

7) मान्यता अनुसार, इस दिन वस्त्र, भोजन, पूजा सामग्री, दीये जैसी वस्तुओं का दान करना, जीवन में सौभाग्य लाता है। 

8) आम के पत्तों से बना बंदनवार या तोरण भी, अपने घर के मुख्य द्वार पर लगाना लाभदायक रहता है।

9) इस दिन क्रोध, गुस्सा, ईर्ष्या, आवेश और क्रूरता, जैसी भावनाएं अपने मन में न आने दें।

10) शराब या किसी भी तामसिक या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।

11) घर-परिवार में शांतिपूर्ण वातावरण बनाकर रखें। 

12) कार्तिक पूर्णिमा के दिन, भूल से भी तुलसी के पत्तों का स्पर्श न करें और न ही उन्हें तोड़ें।

13) इस अवधि के दौरान, ब्रह्मचर्य का पालन करना उचित रहता है।

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आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को देव-दिवाली 2021 की शुभकामनाएं।