26 मार्च को छड़ी मार होली, भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी है इस होली की परंपरा

26 मार्च को छड़ी मार होली, भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी है इस होली की परंपरा

होली नजदीक है। 28 मार्च को होलिका दहन और 29 मार्च को रंगों वाली होली खेली जानी है। पूरे देश में होली को लेकर लोगों में उत्साह भरा हुआ है। रंग और अबीर की खरीदारी जारी है। बच्चे पिचकारियों की दुकान पर भीड़ लगा रहे हैं और घर की महिलाओं को पकवानों की चिंता सता रही है। कुल मिला कर बात इतनी है कि होली की तैयारी अपने चरम पर है और इन सब के बीच गोकुल में होली को लेकर अलग ही उत्साह है। कारण ये कि 26 मार्च को गोकुल में छड़ी मार होली खेली जाने वाली है। गोकुल के लोग इसको लेकर हर साल उत्साहित रहते हैं और गोकुल में खेली जाने वाली इस होली की परंपरा को देखने के लिए दुनिया भर से लोग इस दिन गोकुल पहुँचते हैं।

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क्यों मनाई जाती है छड़ी मार होली?

मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने अपना बचपन गोकुल में ही बिताया था। गोकुल ही वो जगह है जहाँ भगवान कृष्ण ने पहली बार होली खेली थी। चूँकि अन्य इलाकों में लट्ठ मार होली मनाई जाती थी और भगवान कृष्ण ने गोकुल में जब पहली बार होली खेली थी तब वो बाल रूप में थे, इस वजह से यहाँ छड़ी मार होली खेली गयी ताकि भगवान को चोट न पहुंचे। तब से लेकर आज तक यह परंपरा गोकुल में चली आ रही है।

क्या कुछ होने वाला है गोकुल में?

26 मार्च को छड़ी मार होली की तैयारियां गोकुल में जोरों पर हैं। रंग अबीर से पूरे शहर को सराबोर करने के लिए हाथरस से 26 मन गुलाल मंगाया जा रहा है। पूरे शहर को द्वापर युग में भगवान कृष्ण के द्वारा की गई लीलाओं की झांकियों से सजाया जा रहा है। इस दिन 12 बजे नन्द भवन मंदिर से भगवान का डोला होली खेलने के लिए मुरली घाट को निकलेगा। इस डोले में भगवान कृष्ण और बलराम मौजूद रहेंगे। रास्ते भर साथ में चलती हुरियारिनें भगवान को छेड़ती चलेंगी। मुरली घाट पहुंचने पर भगवान को मंदिर के अंदर विराजमान किया जाएगा। 

इसके बाद वहां मौजूद हुरियारिनें सबसे पहले भगवान के साथ छड़ी मार होली खेलेंगी। इसके बाद शुरू होती है रंग और फूल की होली। इस दौरान आसमान रंग और अबीर से पट जाता है और पूरा घाट रंग में डूब जाता है। आपको बताते चलें कि रंग में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं हो इस वजह से इस दिन इस्तेमाल किये जाने वाले रंग को टेसुओं के फूल से बनाया जाता है। घाट पर होली खेलने के बाद भगवान ग्वाल-बाल मंदिर पहुंचेंगे और इसके बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाएगा।  

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इस साल कोरोना को देखते हुए स्थानीय प्रशासन भी इस होली को लेकर पूरी तैयारी कर चुका है। मंदिर के प्रमुख पुजारी ने मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी है कि इस बार छड़ी मार होली के लिए लगभग 150 छड़ियों को साफ़ किया गया है। 

ऐसे में अगर आप 26 मार्च के दौरान गोकुल के आसपास ही कहीं मौजूद हैं और आपने छड़ी मार होली का खेल अभी तक नहीं देखा है तो देर मत कीजिये, हो आइये गोकुल से। 

हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हुआ होगा। अगर ऐसा है तो इसे आप अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ भी साझा कर सकते हैं।