चमकी बुखार का लीची से संबंध महज़ अफ़वाह, हरकत में केन्द्र सरकार

बिहार में जानलेवा चमकी बुखार का संबंध लीची से होना महज़ एक अफवाह है। इस संबंध में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने विस्तृत बयान जारी कर इसके सुरक्षित होने का दावा किया है। हालाँकि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक कर इसके बारे में रिपोर्ट मांगी है। इससे पहले लीची को लेकर ये ख़बर मीडिया में आ रही थी कि लीची खाने से बिहार में सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई। इससे लीची की खेती से जुड़े हज़ारों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

लीची खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित, कृषि वैज्ञानिकों का दावा

कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि लीची पोषक तत्वों से भरपूर फल है। यह फल खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। दरअसल, लीची के सबसे ज्यादा बागान बिहार के पांच छह जिलों में फैला हुआ है। ख़ासकर मुजफ्फरपुर में लीची की खेती व्यापक रूप में की जाती है। इसके अलावा भी देश के अन्य दूसरे राज्यों जैसे पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु व उत्तराखंड में लीची की खेती की जाती है। बिहार की शाही लीची को पिछले वर्ष ही भौगोलिक संकेतक का दर्जा मिला था।

चमकी बुखार से जुड़ाव होने पर किसानों को हुआ भारी नुकसान

चमकी बुखार को जब लीची से जोड़ा गया तो लीची की खेती से जुड़े सैंकड़ों किसानों को भारी नुकसान हुआ। लेकिन अब ये ख़बर उनके लिए राहत भरी ज़रुर हो सकती है। आपको बता दें कि लीची उत्पादन में भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा देश बड़ा देश है।