चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही पूरे देश में माता के भक्तों के बीच खुशियों की लहर दौड़ पड़ी है। हर कोई यथा शक्ति और पूर्ण आस्था के साथ माता रानी की पूजा अर्चना में जुट चुका है। जाहिर है माता के प्रति भक्तों की आस्था ही इतनी है कि जो भी करें कम लगता है। नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि इसके पाठ से माँ बेहद प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। लेकिन पुराणों और शास्त्रों में दुर्गा सप्तशती के पाठ को लेकर कुछ नियम और सावधानियां हैं जिनको इस पुस्तक के पाठ के दौरान ध्यान में रखना चाहिए अन्यथा माता रुष्ट होती हैं।
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आज हम आपको इस लेख में उन्हीं नियमों और सावधानियों के बारे में बताएँगे जिसका आपको दुर्गा सप्तशती के पाठ के दौरान ध्यान रखना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम :
पहला नियम : दुर्गा सप्तशती के पाठ के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि जिस जगह हम यह पाठ कर रहे हों वहां साफ़-सफाई हो। आप खुद इस स्थान की साफ़-सफाई करेंगे तो और भी बेहतर है।
दूसरा नियम : जब भी दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो उससे पूर्व स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें अन्यथा माता बहुत नाराज होती हैं।
तीसरा नियम : जिस स्थान पर आप पाठ कर रहे हैं वहां स्वयं के बैठने कुशा के आसन का उपयोग करें। लेकिन अगर किन्हीं कारणों से कुशा आसन आपको उपलब्ध ना हो पाया हो तो आप ऊन के आसन का उपयोग भी कर सकते हैं। ये दोनों प्रकार के आसन आपको आसानी से बाजार में मिल जाएंगे।
चौथा नियम : पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा कर लें। उन्हें धूप और दीप दिखाएं। इसके बाद बाकी देवताओं को भी नमन कर लें। स्वयं के माथे पर तिलक करें। इसके बाद माता को लाल पुष्प, गंगाजल और अक्षत अर्पित करें।
पांचवा नियम : दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूर्व उत्कीलन मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूर्व और पाठ के बाद 21 बार जाप करना चाहिए।
छठा नियम : दुर्गा सप्तशती के पाठ के दौरान माँ दुर्गा का ध्यान करते रहें। इससे आपको पाठ का विशेष फल प्राप्त होगा।
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दुर्गा सप्तशती पाठ की सावधानियां :
पहली सावधानी : दुर्गा सप्तशती का पाठ हमेशा माध्यम स्वर में करना चाहिए। ना ही ज्यादा तेज आवाज़ में और ना ही बेहद धीरे आवाज़ में।
दूसरी सावधानी : सप्तशती के पाठ के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा किये जा रहे मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट है। अन्यथा किसी गुरु के सानिध्य में ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
तीसरी सावधानी : जब भी दुर्गा सप्तशती का तो कोशिश तो ये होनी चाहिए कि आप इसका पूरा पाठ करें लेकिन अगर किसी कारणवश आप ऐसा करने में अक्षम हैं तो आपकी कोशिश यह निश्चित ही रहनी चाहिए कि आप एक अध्याय का पूरा पाठ कर के ही उठें। आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैंआज हम आपको इस लेख में उन्हीं नियमों और सावधानियों के बारे में बताएँगे जिसका आपको दुर्गा सप्तशती के पाठ के दौरान ध्यान रखना चाहिए।
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