चैत्र नवरात्रि छठा दिन: जानें इस दिन किस देवी की कैसे करें उपासना

नवरात्रि छठा दिन, कात्यायनी देवी : 18 अप्रैल 2021 (रविवार)

नवरात्री के छठे दिन माता के कात्यायनी रूप की पूजा का विधान बताया गया है। वैसे तो देवी के सभी रूप बेहद मनमोहक हैं लेकिन देवी का कात्यायनी रूप करुणामयी बताया गया है। देवी ने ऋषि कात्यायन के घर जन्म लिया था जिसके चलते उन्हें कात्यायनी देवी के रूप से जाना जाने लगा गया। माता कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है। माता सिंह पर सवार हैं और इनकी 4 भुजाएं हैं। माता कात्यायनी ने अपने एक हाथ में तलवार ली हुई है और दूसरे हाथ में कमल का फूल लिया हुआ है। माता के बाकी दोनों हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।

सच्चे मन से माता की पूजा करने वालों की माता सभी मनोकामना को अवश्य ही पूरा करती हैं। पूजा के दौरान माता का मंत्र, “चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना।कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि” का जाप अवश्य करना चाहिए। इस मन्त्र का अर्थ होता है कि, ‘शेर पर सवार, दानवों का नाश करने वाली देवी कात्ययानी हम सब के लिए शुभदायी हो।’ 

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कैसे करें कात्यायनी देवी की पूजा

  1. सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा की शुरुआत करें। 
  2. इस दिन की पूजा में नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा,रोली, चावल,चुन्नी, शहद,अगरबत्ती, धूप, दीप,नवैद्य, घी इत्यादि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। 
  3. नारियल को चुन्नी में लपेट कर कलश पर रख दें।  
  4. माँ कात्यायनी को रोली, हल्दी और सिन्दूर लगाना चाहिए।
  5. फिर मंत्र का जाप करते हुए माता रानी को पुष्प अर्पित करें। बता दें यहाँ आपको मंत्र का जाप 108 बार करना है और उसके बाद ही पुष्प अर्पित करने हैं। मंत्र, ‘कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां।स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥’ 
  6. इस दिन की पूजा में मधु यानि की शहद का उपयोग अवश्य बताया गया है। इस दिन मधु का ही प्रसाद उपयोग में लाना चाहिए। 
  7. माता के सामने घी का दीपक जलाएं।

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इस दिन किस रंग के वस्त्र पहनकर करें माता कात्यायनी की पूजा 

देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। कात्यायनी देवी लाल रंग के वस्त्र में हैं और इनका श्रृंगार भी लाल रंग का है। कहते हैं कि नवरात्र के छठे दिन साधक आज्ञा चक्र में ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करते हैं और इस आज्ञा चक्र का रंग नीला है। इसलिए इस दिन नीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने और रहने की सलाह दी जाती है। बता दें कि नीला रंग (चटकीला नीला रंग) शुक्र के अनुकूल प्रभाव को भी बढ़ाता है। 

कात्यायनी देवी की पूजा से मिलता है यह फल 

  • अगर किसी इंसान की शादी में कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें कात्यायनी देवी का पूजा-व्रत करने की सलाह दी जाती है। 
  • कात्यायनी देवी का व्रत करने से सुयोग वर की प्राप्ति होती है।
  • कात्यायनी देवी का व्रत करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और रास्ते में आ रही परेशानी भी दूर होती है।
  • इसके अलावा मान्यता है कि मां दुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी देवी की पूजा से राहु जनित व काल सर्प दोष जैसे बड़े दोष भी दूर होते हैं। 
  • माँ कात्यायनी की सच्चे मन से की गयी पूजा से त्वचा रोग, मस्तिष्क, इत्यादि बड़े रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही देवी की पूजा से कैंसर जैसे रोग भी दूर रहते हैं। 

कात्यायनी देवी से जुड़ा ज्योतिषीय संदर्भ

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

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