साल 2021 के चौथे माह अप्रैल में बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में गोचर करेगा। यह गोचर 5 अप्रैल को शाम बजे होगा और फिर 15 सितंबर 2021 तक बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में ही विराजमान रहने वाला है। इस गोचर काल के दौरान ना केवल कुंभ राशि के जातकों पर बल्कि सभी बारह राशि के जातकों पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
गुरु (बृहस्पति) गोचर हिन्दू वैदिक ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण गोचर माना जाता है। दरअसल शनि, राहु, केतु और बृहस्पति ये सभी ऐसे ग्रह हैं, जिनकी गोचरीय अवधि बाकी सभी ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक होती है। इसलिए जब भी यह ग्रह गोचर करते हैं, तो इसका व्यापक प्रभाव मानव जीवन पर दिखाई पड़ता है। गुरु यानी बृहस्पति की गोचर अवधि लगभग 13 माह की होती है, वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार गुरु एक राशि में लगभग 1 साल 1 महीने तक रहता है।
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बृहस्पति ग्रह की विशेषताएं
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु ’माना गया है। बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है। कर्क इसकी उच्च राशि है, और मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। ज्योतिष की दुनिया में गुरु ज्ञान, संतान, बड़े भाई, शिक्षा ,शिक्षक, पवित्र स्थल, धार्मिक काम धन, दान,-पुण्य और वृद्धि का कारक माना गया है।वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी है। और ऐसा माना गया है, कि जिस भी व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा होती है, उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का वास होता है। बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति सदैव सत्य के मार्ग पर चलता है। इसलिए बृहस्पति ग्रह का व्यक्ति की कुंडली में शुभ स्थान पर होना बेहद शुभ माना जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ग्रह का गोचर जातक की राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में विराजमान हो, तो शुभ फल देता है। जिस जातक की जन्म कुंडली में बृहस्पति मजबूत स्थिति में होता है वह जातक अपने जीवन में प्रगति करता है। परंतु यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह शुभ स्थान पर ना हो, बल्कि कमजोर अवस्था में हो, तो वह जातक को मोटापा प्रदान करने का काम करता है। लेकिन गुरु के आशीर्वाद से ही जातक को पेट से संबंधित कष्टों से छुटकारा मिलता है। जातक की कुंडली में यदि कोई भाव कमजोर हो, तो गुरु की दृष्टि उस भाव मजबूती प्रदान करने का काम भी करती है।
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मनुष्य के जीवन पर बृहस्पति ग्रह का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति के लग्न भाव में बृहस्पति ग्रह स्थित हो, वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है। गुरु ग्रह का प्रभाव व्यक्तित्व को सुंदर और आकर्षक बना देता है। ऐसा व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है, ज्ञानी और उदारवादी विचारों का होता है, जिसके कारण समाज में उसे मान-सम्मान प्राप्त होता है। गुरु का प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक और दान पुण्य करने वाला बनाता है। अगर जातक की जन्म कुंडली में गुरु प्रथम भाव में स्थित हो तो उसके जीवन में धन की कोई कमी नहीं होती है।
बली गुरु के प्रभाव – कर्क बृहस्पति ग्रह की उच्च राशि है। इसलिए गुरु कर्क राशि में बलवान होता है। बली गुरु के प्रभाव से जातक को अलग-अलग क्षेत्रों में लाभ मिलता है। जातक को शिक्षा के क्षेत्र में भी तरक्की प्राप्त होती है। जीवन में धन की कोई कमी नहीं होती है। जातक का अच्छे और धार्मिक कामों में लगता है। जिस व्यक्ति का गुरु बलवान होता है वह व्यक्ति ईमानदार और ज्ञानी होता है। बलि गुरु व्यक्ति को संतान सुख की भी प्राप्ति कराता है।
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पीड़ित गुरु के प्रभाव – बली चंद्रमा के कारण जातक को गुरु से शुभ फल प्राप्त होते हैं। परंतु इसके विपरीत पीड़ित बृहस्पति जातक के लिए अच्छा नहीं होता है। इसके दुष्प्रभाव से जातक को अलग-अलग क्षेत्रों में चुनौती का सामना करना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा है तो उसको तमाम तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है। पीड़ित गुरु व्यक्ति की वृद्धि को रोक देता है। साथ ही पीड़ित गुरु जातक को शारीरिक कष्ट भी प्रदान करता है। जातक को नौकरी और विवाह दोनों में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पीड़ित गुरु से होने वाले ज्योतिषीय प्रभाव:
- रोग – वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह से जातक को पेट से संबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, पाचन तंत्र का कमजोर होना, कैंसर जैसी तमाम बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
- कार्यक्षेत्र -वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह संपादन कार्य, अध्यापन, पनवाड़ी, हलवाई, फिल्म निर्माण, पीली वस्तुओं का व्यापार और आभूषण विक्रेता जैसे कार्यों से संबंध रखता है।
- उत्पाद – वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ग्रह स्टेशनरी से संबंधित वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, घी,मक्खन, मिठाई, केला, संतरा, पीले रंग और हल्दी जैसी वस्तुओं को दर्शाता है।
- स्थान -वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति ग्रह स्टेशनरी की दुकान, धार्मिक पूजा स्थल, विद्यालय,अदालत, कॉलेज, विधानसभा आदि स्थानों को दर्शाता है।
- जानवर और पक्षी – वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह बैल, हाथी, बाज, पालतू जानवर, घोड़ा, मोर, मछली, डॉल्फिन आदि पशु-पक्षियों और जानवरों को दर्शाता है।
- जड़ – केले की जड़।
- रत्न – पुखराज।
- रुद्राक्ष – पाँच मुखी रुद्राक्ष।
- यंत्र – गुरु यंत्र।
रंग – पीला
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बृहस्पति से संबंधित मंत्र –
गुरु का वैदिक मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
गुरु का तांत्रिक मंत्र ॐ बृं बृहस्पतये नमः
बृहस्पति का बीज मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
बृहस्पति ग्रह का कुंभ राशि में गोचर: जानें कैसा होगा प्रभाव
- बृहस्पति ग्रह के गोचर का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाला है। इस गोचर काल के दौरान जातक को नए अवसर प्राप्त होंगे।
- इसके अलावा बृहस्पति ग्रह का गोचर नौकरी चाहने वालों को नए अवसर प्रदान करेगा , और आपके पहले के निवेश में आपको मुनाफा कमाने में मदद करेगा।
- बृहस्पति ग्रह का यह गोचर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को सफलता प्रदान कर सकता है। वहीं विवाहित जातकों के रिश्ते पर नजर डाले तो, यह गोचर उनके लिए अच्छा समय लेकर आने वाला है।
- बृहस्पति ग्रह के गोचर काल के दौरान बुजुर्गों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना होगा। गोचरीय अवधि के दौरान उनको स्वास्थ्य संबंधित परेशानी हो सकती है।
5 अप्रैल का बृहस्पति गोचर इन राशियों के लिए शुभ
अब बात करते हैं, उन राशियों की जो बृहस्पति ग्रह के गोचर काल के दौरान शुभ फलों को प्राप्त करेंगी। बृहस्पति ग्रह का कुंभ राशि में गोचर कुंभ राशि के साथ-साथ मीन, कर्क, मिथुन राशि वाले जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है।….इस गोचर का विस्तृत भविष्यफल जानने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
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