बृहस्पति ग्रह को सभी ग्रहों के बीच गुरु का दर्ज़ा प्राप्त है। बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे ग्रह है। बृहस्पति की बात इसलिए क्योंकि बृहस्पति इस साल 5 अप्रैल को कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। जहाँ बृहस्पति ग्रह ज्ञान, बुद्धि, क़ानून, अध्यात्म, साहित्य, आदि का कारक ग्रह है, वहीं कुंभ राशि वैज्ञानिक सोच, अनुसंधान, पुरुष्कार आदि की कारक राशि है। ऐसे में यह गोचर ज्योतिष शास्त्र के नजरिये से बेहद दिलचस्प रहने वाला है।
जाहिर है कि किसी के लिए यह गोचर शुभ फल देने वाला साबित होगा तो कुछ के लिए यह गोचर मनचाहा फल देने वाला साबित नहीं होगा। ऐसे में आज हम आपको बृहस्पति देवता को प्रसन्न करने के बेहद आसान उपाय बताएँगे जिसको कर के आप विशेष फल प्राप्त कर सकते हैं। ख़ास कर के वैसे जातक जिनकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, वे अगर इन उपायों को अपनाएंगे तो उनके लिए यह बेहद लाभकारी साबित होगा। लेकिन उससे पहले बृहस्पति के इस गोचर के बारे में थोड़ी सी जानकारी ले लेते हैं।
बृहस्पति का गोचर तिथि,समय और अवधि
तिथि : 05 अप्रैल, 2021
समय : शाम के 06 बजे से
बृहस्पति देवता को प्रसन्न करने के आसान उपाय
- बृहस्पति देवता को पीला रंग बेहद प्रिय है ऐसे में बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करने से बृहस्पति देवता बहुत प्रसन्न होते हैं।
- बृहस्पति को मजबूत करने के लिए पीले रंग का भोजन जैसे कि आम, लड्डू, कढ़ी आदि का ज्यादा सेवन करें।
- सप्ताह में एक दिन यानी कि बृहस्पतिवार के दिन नमक का सेवन न करें।
- बृहस्पतिवार के दिन तोते को चने की दाल खिलाएं। इससे गुरु बेहद प्रसन्न होते हैं। तोते को बुध का रूप माना जाता है और बुध को बृहस्पति का पुत्र बताया गया है। ऐसे में बुध देवता के प्रसन्न होने से भगवान बृहस्पति भी प्रसन्न होते हैं।
- जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर है वे हर बृहस्पतिवार के दिन चांदी की कटोरी में केसर का तिलक बनाएं और उस तिलक को नाभि और माथे पर लगाएं। इससे बृहस्पति देवता अति प्रसन्न होते हैं।
- गुरुवार के दिन नहाने के पानी में हल्दी या केसर मिलाकर स्नान करें।
- गुरुवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान कर के भगवान बृहस्पति की आराधना करें। उन्हें पीले वस्त्र पर विराजमान करें। इसके बाद पंचोपचार से उनकी पूजा करें। भगवान बृहस्पति को पीले फूल और पीले रंग का पकवान चढ़ाएं। बृहस्पति देवता की विशेष कृपा होगी।
- बृहस्पतिवार के दिन भगवान बृहस्पति का ध्यान करते हुए “ॐ बृं बृहस्पते नमः“ के मंत्र का 108 बार पाठ करें।
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