पिछले महीने देशभर में हुए लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी प्रचंड जीत दर्ज करा चुकी भाजपा अब एक बार फिर दूसरी विपक्षी पार्टियों को झटका देने की तैयारी कर रही है। बता दें कि लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त से जहाँ बुआ-बबुआ की जोड़ी यानी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अभी अपनी इस हार से उबर भी नहीं पाई थी कि अब उनके परंपरागत वोट बैंक पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी निगाहें टिका दी हैं।
बीजेपी चलाएगी सदस्यता अभियान
जी हाँ यूपी की इन दोनों ही बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों की अब दोबारा कमर तोड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि बीते रविवार, 17 जून को हुई भाजपा पार्टी की बैठक में इस पर निर्णय लेते हुए पार्टी द्वारा सदस्यता अभियान चलाने का फैसला लिया गया है। इस अभियान का मुख्य केंद्र बसपा का जाटव और सपा का यादव वोट बैंक होगा।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म तिथि पर होगी अभियान की शुरुआत
बैठक में ये निर्णय भी लिया गया कि पार्टी के इस सदस्यता अभियान की शुरुआत जल्द ही जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म तिथि 6 जुलाई से होगी और ये अभियान 10 अगस्त तक चलेगा। पार्टी ने अपने उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर को इस अभियान की कमान सौंपते हुए उन्हें इस अभियान का इंचार्ज बनाया है।
वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद चुनाव में आए परिणामों से खुश नहीं है पार्टी
पार्टी द्वारा ये फैसला हाल ही के चुनाव परिणामों को देखते हुए लिया गया है। जहाँ चुनावों में उत्तर प्रदेश में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी के वोट शेयर में तो वृद्धि देखने को मिली लेकिन पार्टी के लिए ये नंबर प्रदेश से ज्यादा खुश करने वाले साबित नहीं हुए। अगर पुराने चुनाव परिणामों को देखें तो बीजेपी यूपी में 284 विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत हासिल कर सकी है। जबकि इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी को 312 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पार्टी का मानना है कि 385 विधान सभाओं में वोट शेयर में वृद्धि होने के बावजूद 28 सीटों पर बीजेपी का पिछड़ना बेहद चिंतित करने वाला विषय है।
इस अभियान को लेकर पार्टी के उपाध्यक्ष ने बताया कि इसके पीछे वजह यह मानी जा रही है कि अभी भी जाटव और यादव वोट बैंक उनके पाले में नहीं आ सका है। यही वजह है कि पश्चिम यूपी में उसे ज्यादा नुकसान हुआ।
इस मामले पर बीजेपी आलाकमान का भी मानना है कि लोकसभा चुनाव में जीत के बावजूद जाटव और यादव समुदाय ने उसे उस तरह वोट नहीं किया जैसा की अन्य जातियों ने किया। लिहाजा सदस्यता अभियान का मुख्य फोकस इन दोनों समुदायों को पार्टी से जोड़ने का है।