भारत में कई ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जहां पर अलग-अलग तरीकों से पूजा-पाठ होती है। सिर्फ इतना ही नहीं देवी-देवताओं के अलग-अलग अंगों की भी भारत के कई मंदिरों में पूजा की जाती है। ऐसे में आज हम आपको शिव भगवान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां शिवलिंग, शिव मूर्ति या शिवजी के किसी अवतार की नहीं बल्कि शिवजी के अंगूठे की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में शिवजी के पैर का अंगूठा है जिसकी वजह से यह जगह चल से अचल हो गई है। यही वजह है कि इस मंदिर को अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। शिव के इस मंदिर में सावन के महीने में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
कहां स्थित है अचलेश्वर महादेव का मंदिर
अचलेश्वर महादेव को अचलगढ़ महादेव भी कहा जाता है, यह मंदिर धौलपुर, राजस्थान के माउण्ट आबू में है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान शिव के अंगूठे को पूजा जाता है। इस मंदिर में पाताल खंड में पैर के अंगूठे का निशान उभरा हुआ है जिसे यहां शिवलिंग की तरह पूजा जाता है। मंदिर में पांच धातुओं से बनी नंदी की प्रतिमा भी विराजमान है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि पूरे माउण्ट आबू पर्वत को इसी अंगूठे ने थामा हुआ है। यदि यह अंगूठे का निशान गायब हो गया तो माउण्ट आबू पर्वत का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इस जगह पर कुछ भी नहीं बचेगा।
भारतीय कला का भी प्रतिनिधित्व करता है यह मंदिर
इस मंदिर के बारे में पुराणों में भी जिक्र मिलता है। प्राचीन काल का सौंदर्य भी इस मंदिर में देखा जा सकता है। मंदिर परिसर में चंपा का एक विशाल पेड़ है जिससे इस मंदिर की प्राचीनता के बारे में पता चलता है। इस मंदिर को बनाने में स्थापत्य कला का पूरा इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर में शिव भगवान के पांव के अंगूठे की पूजा होती है, कहा जाता है कि यह शिव भगवान के दायें पांव का अंगूठा है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को 15 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था और इसे मेवाड़ के राजा राणा कुंभ ने बनाया था। इस मंदिर में भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। मंदिर के बाहर की दीवारों पर भगवान विष्णु के अवतारों वराह, नृसिंह, वामन, कृष्ण, राम, बुद्ध आदि की मुर्तियां भी देखी जा सकती हैं। इस मंदिर से भारतीय स्थापत्य कला की बारीकियों का पता चलता है। इस मंदिर में लोग भगवान शिव के दर्शन करने तो आते ही हैं साथ ही इस मंदिर के सौंदर्य को देखकर भी लोग प्रभावित होते हैं। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और साल भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहि मंदिर राजस्थान के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।
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