हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के अगले दिन भड़ली नवमी तिथि आती है। अक्षय तृतीया की तरह ही इस दिन को भी शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भड़ली नवमी को स्वयंद्धि तिथि भी कहा जाता है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं या नए काम की शुरुआत के लिए भी यह तिथि उत्तम होती है।
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कब है भड़ली नवमी 2024
14 जुलाई को शाम 05 बजकर 28 मिनट पर नवमी तिथि आरंभ होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 15 जुलाई को शाम 07 बजकर 21 मिनट पर होगा। 14 जुलाई को सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर सिद्ध योग शुरू होगा और 15 जुलाई को सुबह 06 बजकर 59 मिनट पर यह योग समाप्त होगा। इसके बाद से लेकर 16 जुलाई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट तक साध्य योग रहेगा। इस प्रकार भड़ली नवमी 15 जुलाई को पड़ रही है।
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गुप्त नवरात्रि भी हैं
इस दिन गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि भी है। इस साल 06 जुलाई से गुप्त नवरात्रि आरंभ हुए थे और इनका समापन 15 जुलाई को है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि विशेष महत्व रखते हैं।
अभूझ मुहूर्त है भड़ली नवमी
भड़ली नवमी की तिथि को अभूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इस तिथि का संबंध भगवान विष्णु से है। इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस नवमी के एक दिन बाद ही चार्तुमास शुरू हो रहा है जिसमें विष्णु जी संसार की बागड़ोर भगवान शिव को सौंपकर स्वयं चार माह के लिए निद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास शुरू होने से पहले भड़ली नवमी पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और हर तरह के दुख दूर हो जाते हैं।
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भड़ली नवमी का महत्व
भड़ली नवमी को लेकर यह माना जाता है कि इसके बाद भगवान विष्णु सो जाते हैं जिससे सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है इसलिए जो भी मांगलिक कार्य संपन्न करने हैं, उन्हें चातुर्मास से एक दिन पहले भड़ली नवमी पर किया जा सकता है। इस नवमी को भड़ली नवमी के अलावा आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी, कंदर्प नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
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भड़ली नवमी तिथि पर क्या करते हैं
इस दिन पूरे जोश और उत्साह के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु सहस्त्रनाम एवं विष्णु जी के अन्य मंत्रों का जाप किया जाता है।
प्राचीन समय से झारखंड में इस दिन भड़ली मेला लगता है। इस राज्य के इटखोरी में भगवान शिव और मां काली का एक मंदिर है, जहां पर भड़ली नवमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर भड़ली मेले के दौरान मां काली की जगदम्बा के रूप में पूजा की जाती है। इस दौरान बच्चों का मुंडन संस्कार भी किया जाता है।
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भड़ली नवमी तिथि का इतिहास
यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु सबसे शक्तिशाली देवता हैं। हिंदू धर्म में विवाह आदि कार्य उनके आशीर्वाद के बिना संपन्न नहीं हो सकते हैं इसलिए उनके निद्रा अवस्था में जाने पर विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए विष्णु जी का आशीर्वाद बहुत आवश्यक है।
भड़ली नवमी तिथि विष्णु जी के सोने से एक दिन पहले पड़ती है। यही वजह है कि इस दिन सभी शुभ कार्य करने के लिए कहा जाता है।
भड़ली नवमी पर क्या करना चाहिए
इस दिन गणेश जी, भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस तिथि पर गरीबों एवं ज़रूरतमंद लोगों को धन, छाता, अनाज, अन्न, वस्त्रों एवं जूते-चप्पलों का दान कर सकते हैं। दान आदि करने के लिए भड़ली नवमी का दिन अत्यंत शुभ बताया जा रहा है। विवाह के अलावा गृह प्रवेश और मुंडन संस्कार आदि भी इस दिन किए जा सकते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर. इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं।
उत्तर. भड़ली नवमी 15 जुलाई, 2024 को है।
उत्तर. भड़ली नवमी पर बिना मुहूर्त के विवाह कर सकते हैं।
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