हिंदू मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना जाता है और यही वजह है कि हिंदू धर्म में अपनी आस्था और विश्वास रखने वाले लोग रुद्राक्ष को बेहद ही पवित्र और पूज्य मानते हैं। आज आपको मार्केट में कई तरह के रुद्राक्ष मिलते हैं। हालांकि इनमें से कुछ रुद्राक्ष असली होते हैं और कुछ नकली। असली रुद्राक्ष इंसान के जीवन में सुख, शांति, सकारात्मकता लाने में सहायक होता है। वहीं नकली रुद्राक्ष का असल में कोई लाभ नहीं होता।
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ऐसे में अब सवाल उठता है कि, हम असली और नकली रुद्राक्ष के बीच अंतर कैसे जानें? तो आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कुछ ऐसे बेहद ही सरल तरीके जिनसे आप असली और नकली रुद्राक्ष का अंतर समझ सकते हैं।
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रुद्राक्ष कैसे हुआ उत्पन्न?
रुद्राक्ष की उत्पत्ति से जुड़ी कथा का वर्णन शिव महापुराण में मिलता है। शिव महापुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने 1000 वर्षों तक समाधि लगाई थी। इस समाधि से जब वह वापस बाहर की दुनिया के संपर्क में आए तो जग कल्याण के लिए उनकी आंख से आंसू की धारा बही, और जब यह आंसू की बूंद पृथ्वी पर गिरी तो इनसे रुद्राक्ष वृक्षों की उत्पत्ति हुई। इन वृक्षों पर जो फल लगे उन्हें ही रुद्राक्ष कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को पाप नाशक, रोग नाशक और सिद्धि दायक माना गया है। शरीर के विभिन्न अंगों में अलग-अलग तरह के रुद्राक्ष धारण करने से उनके अलग-अलग लाभ पाए जा सकते हैं।
रुद्राक्ष से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
हिंदू धर्म की मान्यताएं और हमारे पुराणों के अनुसार रुद्राक्ष की कृपा से व्यक्ति के जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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रुद्राक्ष को लेकर वैज्ञानिक मान्यताएं
सिर्फ धार्मिक ही नहीं, रुद्राक्ष को लेकर के कुछ वैज्ञानिक मत भी सामने आए हैं। विज्ञान के अनुसार रुद्राक्ष से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पैरा मैग्नेटिक जैसी तरंगे निकलती हैं, जो व्यक्ति के जीवन में वरदान से कम नहीं होती। यही वजह है कि, रुद्राक्ष का क्रेज आपको हर उम्र, वर्ग के लोगों के बीच दिख जाएगा।
हालांकि आज के मौजूदा समय में जहां लोग सिर्फ पैसा कमाने के बारे में सोचते हैं कई लोग ठगी करके अर्थात नकली रुद्राक्ष बेच के खुद तो पैसे कमा लेते हैं लेकिन अनजान लोगों को नकली रुद्राक्ष बेच देते हैं। अक्सर देखा गया है कि, लोग पैसों के लालच में केमिकल इत्यादि का इस्तेमाल करके रुद्राक्ष का रंग-रूप बदलकर उसे असली रुद्राक्ष के रूप में बेचते हैं। कई बार दो रुद्राक्ष को एक साथ जोड़ कर बेच दिया जाता है। इसके अलावा कई बार रुद्राक्ष के ऊपर गणेश भगवान, नाग देवता, शिवलिंग इत्यादि की आकृति बनाकर भी लोगों को रुद्राक्ष की तरफ रिझाया और उन्हें मोटे पैसे में बेच दिया जाता है।
हालांकि रुद्राक्ष धारण करने से पहले हमेशा किसी जानकार व्यक्ति से परामर्श लेकर उचित विधि से ही उसका पालन करने की सलाह दी जाती है। तो आइये अब जानते हैं कि, किन तरीकों से हम असली रुद्राक्ष की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
- रुद्राक्ष की पहचान के लिए आप रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबाल दें। इसके बाद अगर रुद्राक्ष का रंग ना निकले या उस पर कोई भी असर नहीं हो तो इसका मतलब होता है यह रुद्राक्ष असली है।
- इसके अलावा आप दूसरा सरल उपाय यह कर सकते हैं कि, रुद्राक्ष को पानी में डाल दें। अगर वह डूब जाता है तो यह रुद्राक्ष नकली होता है।
- रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से कई गुना गहरा दिखाई दे तो यह असली रुद्राक्ष की पहचान होती है। अमूमन तौर पर गहरे रंग के रुद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वालों को उतना अच्छा नहीं माना जाता। हालांकि असलियत में रुद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर आर्टिफिशियल कलर चढ़ाया जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रुद्राक्ष अक्सर इस्तेमाल किए हुए रुद्राक्ष होते हैं, क्योंकि ऐसे रुद्राक्ष तेल या पसीने के संपर्क में आने से इस रंग के हो जाते हैं।
- रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए आप चाहे तो उसे सुई से कुरेद सकते हैं। ऐसा करने से अगर रुद्राक्ष से रेशा निकलता है तो रुद्राक्ष असली होता है और अगर ऐसा नहीं होता है तो नकली रुद्राक्ष होता है।
- असली रुद्राक्ष की ऊपरी सतह कभी भी एक समान नहीं होती है। हालांकि वहीं नकली रुद्राक्षों में अनेकों रुद्राक्ष की ऊपरी पठार एक समान होते हैं।
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हम आशा करते हैं अगली बार जब आप रुद्राक्ष खरीदने जाएं तो इन तरीकों को अपनाकर आप जान सके कि, आप को दिया जा रहा रुद्राक्ष असली है या नकली। इसके अलावा अगर आप जानना चाहते हैं कि किस रुद्राक्ष को किस विधि से और किस दिन पहनना शुभ होगा तो इसके लिए आप पढ़े हमारा विस्तृत लेख।
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