Movie Review: क्या ‘भांगड़ा पा ले’ दर्शकों का दिल जीत पाने में होगी सफल?

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  • रिलीज़ की तारीख – 01 नवंबर 2019

  • रिलीज़ का समय- सुबह 9 बजे

  • रिलीज़ की जगह- मुंबई  

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‘भांगड़ा पा ले’ फिल्म की नाम अनुसार कुंडली 

  1. अवकहडा चक्र के अनुसार,  ‘भांगड़ा पा ले’ फिल्म का नाम मूल नक्षत्र के तीसरे चरण के अंतर्गत आता है, और इस नक्षत्र का ये चरण धनु राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी ग्रह गुरु बृहस्पति होता है। वहीं दूसरी ओर मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है (केवल विंशोत्तरी दशा प्रणाली में)
  2. ऊपर दी गई कुंडली को समझें तो उसमें धनु राशि दूसरे भाव में मौजूद है। यह भाव 7 वें भाव से 8 वें स्थान पर आता है, जिससे आमतौर से लोकप्रियता, प्रसिद्धि, नाम का पता चलता है और फिल्म की बात करें तो ये भाव ‘हिट’ का बोध करता है।   
  3. कुंडली के अनुसार, धनु का दूसरे भाव में होना वहां मौजूद शनि, केतु  और चंद्र के साथ युति का निर्माण कर रहा है।  
  4. ज्योतिष की  माने तो शनि और केतु ऐसे ग्रह होते हैं जो सिनेमाई कला या भौतिकवादी विकास या सफलता का कभी समर्थन नहीं करते हैं। इसके साथ ही चंद्रमा जो पानी से संबंधित ग्रह होता है उसका अग्नि चिह्न (धनु) में होना बहुत अच्छा संकेत नहीं देता है। जिससे ये घर कमज़ोर एवं पीड़ित नज़र आ रहा है। 

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  1. चलिए अब गणना करते हैं गुरु बृहस्पति की शक्ति की,  जो धनु राशि का स्वामी ग्रह होता है। उपरोक्त कुंडली में बृहस्पति पहले यानी लग्न भाव में मौजूद है, जो फिल्म के लिहाज से तो अच्छा संकेत है, परन्तु वृश्चिक राशि में होना बृहस्पति के लिए अच्छा नहीं देखा जा रहा है। 
  2. वैदिक ज्योतिष में गुरु बृहस्पति कुछ ग्रहों से शत्रुता का भाव रखता है, जिसमें से शुक्र भी एक ग्रह है। वहीं बुध के भी बृहस्पति से अच्छे संबंध नहीं देखें जाते हैं। इस कारण बृहस्पति का इस भाव में अपने शत्रु ग्रहों के साथ होना उसे निर्बल एवं पीड़ित करेगा। 
  3. ग्रहों-नक्षत्रों की ये युति फिल्म के विरुद्ध जा सकती है।  

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  1. इसलिए, यह फिल्म निर्माता के लिए ‘भांगड़ा पा ले’ फिल्म एक सफल मिशन नहीं होगी और फिल्म रिलीज उनके लिए एक कठिन समय होगा।
  2. नोट: जब बृहस्पति सप्तम भाव को दृष्टि देता है (अगर वृषभ या कन्या राशि वहां मौजूद हो) तब ये सातवें घर कारकत्व को बर्बाद कर देगा, जिसका अर्थ है ‘हिट’ नहीं होने देगा।   

ऊपर दी  भविष्यवाणी केवल और केवल ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर की गई है। इसलिए इसमें परिवर्तन की गुंजाईश अधिक है।

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