महाभारत से जुड़े कई ऐसे क़िस्से हैं जिन्हे हम सब सुनकर बड़े हुए हैं। इनमें से कुछ क़िस्से हमें अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं तो वहीँ कुछ ऐसे भी क़िस्से होते हैं जिन्हे सुनकर हमारे आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रहती। ऐसा ही एक किस्सा, महाभारत से ही जुड़ा हुआ, हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको उसपर यकीन करना बेहद मुश्किल हो जायेगा। ये किस्सा है पांडव भाइयों द्वारा अपने मृत पिता के माँस को खाने का किस्सा।
कहा जाता है कि युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के पिता पांडु को किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि अगर वो किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसी वजह के चलते उन्होंने कभी भी अपनी दोनों पत्नी कुंती और माद्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे। हालाँकि पांडु की पत्नी कुंती को ऋषि दुर्वासा ने वरदान दिया था कि अगर कभी भी वो किसी भी देवता का आह्वान करके उनसे संतान प्राप्ति का वरदान मांगती हैं तो उनका ये वरदान ज़रूर पूरा होगा।
महाराज पांडु के कहने पर कुंती ने एक-एक कर के कई देवताओं का आह्वान किया और उसी तरह माद्री ने भी कई देवताओं का आह्वान किया। इसका फल ये हुआ कि ऋषि दुर्वासा के वरदान से कुंती को तीन पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन मिले और माद्री को दो पुत्र नकुल और सहदेव मिले। लेकिन एक दिन महाराज पांडु खुद पर नियंत्रण न रख सके और उन्होंने माद्री से शारीरिक संबंध बना लिए। ऐसा करने की वजह से उनपर ऋषि के श्राप का असर हो गया और उनकी तत्काल ही मृत्यु हो गयी।
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पिता की इच्छा पूरी करने के लिए ही खाया उनका मांस
बताया जाता है कि असल में पांडवों का जन्म महाराजा पांडु के वीर्य से नहीं हुआ था इसलिए उनके पाँचों बेटों में उनका कोई भी ज्ञान, कोई भी कौशल या कोई भी अंश नहीं था, इसलिए ये खुद महाराज पांडु की ख़्वाहिश थी कि उनके बच्चे उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर का मांस थोड़ा-थोड़ा खा लें ताकि उनका कुछ अंश, कुछ कौशल, पांडवों के अंदर भी आ जाए। महाराज पांडु की इसी बात का मान रखते हुए पाँचों पांडवों ने अपने मृत पिता के शरीर का मांस खाया था।
सहदेव को हो गया था भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञान
अब पांडव भाइयों द्वारा अपने मृत पिता का मांस खाने को लेकर भी दो कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार ये कहा जाता है कि मृत पिता का मांस तो चारों भाइयों ने मिलकर ही खाया था लेकिन इसका सबसे बड़ा हिस्सा सहदेव ने खाया था। वहीँ दूसरी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए सभी भाइयों ने नहीं केवल सहदेव ने ही अपने मृत पिता का मांस खाया।
वहीँ दूसरी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि अपने पिता की इच्छा का पालन करते हुए सहदेव ने अपने पिता के मस्तिष्क का तीन टुकड़ा किया। जैसे ही उन्होंने पहला टुकड़ा खाया उन्हें इतिहास का ज्ञान हुआ। दूसरा टुकड़ा खाते ही उन्हें वर्तमान का ज्ञान हुआ और तीसरे टुकड़े पर उन्हें भविष्य का ज्ञान हो गया। इसलिए ही कहा जाता है कि पांचो पांडवों में सबसे ज़्यादा ज्ञानी सहदेव ही थे।
भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञान होने की वजह से सहदेव को भविष्य में होने वाली कई बातों के बारे में पहले से ही था।
कहा तो ये भी जाता है कि अपने इसी हुनर के बल से उन्हें पहले से ही महाभारत के युद्ध का नतीजा पता चल चुका था। तब भगवान कृष्ण को इस बात का डर हुआ कि कहीं सहदेव ये बात सबको ना बता दें इसलिए उन्होंने सहदेव को ये श्राप दे दिया कि अगर उन्होंने युद्ध में होने वाली कोई भी बात किसी से बताई तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।