क्यों मनाते हैं पोंगल का त्यौहार? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त की जानकारी

भारत विविधताओं का देश है। यहां के त्यौहार इस देश की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। भारत के हर एक शहर, हर एक जगह का अपना एक त्यौहार होता है जिसका अपना अलग ही महत्व और खूबसूरती बताई गई है। तो आइए आज हम बात करते हैं दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले त्योहार पोंगल के बारे में। जहां उत्तर भारत में हर साल मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है वहीं, दक्षिण भारत में इसी दिन को पोंगल के रूप में मनाए जाने का विधान है। 

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पोंगल 4 दिनों तक मनाए जाने वाला एक बेहद ही खास और महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है। इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि, इस दिन तमिल लोग अपनी बुरी आदतों का त्याग करते हैं। पारंपरिक रूप से बात करें तो पोंगल का यह त्यौहार संपन्नता को समर्पित माना गया है। इस त्यौहार में समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित पूजा अर्चना की जाती है। आइए अब जानते हैं कि, पोंगल का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है? साथ ही जानते हैं कि, इस वर्ष पोंगल का मुहूर्त क्या है? 

2021 में पोंगल कब है?

14 जनवरी, 2021 (गुरुवार)

थाई पोंगल संक्रांति मुहूर्त New Delhi, India के लिए

संक्रांति पल :08:03:07

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पोंगल पर होने वाले धार्मिक कार्य और अन्य आयोजन

  • पोंगल का यह त्यौहार 4 दिनों तक लगातार मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार का पहला दिन भोगी पोंगल कहलाता है।
  • दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहते हैं।
  • तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है और,
  • चौथे दिन को कन्या पोंगल कहते हैं। 

जैसे इन दिनों के नाम अलग-अलग हैं, वैसे ही इन्हें मनाए जाने की पूजा-अर्चना भी अलग-अलग प्रकार की होती है। मुख्य रूप से इस त्यौहार के बारे में कहा जाता है कि, दक्षिण भारत के लोग जब फसल काटते हैं तो उसकी खुशी प्रकट करने और आने वाली फसल की अच्छी होने के लिए भगवान से प्रार्थना किए जाने का विधान होता है। इस त्यौहार में सुख-समृद्धि के लिए लोग धूप, सूर्य, इंद्र देव और कृषि संबंधित पशु आदि की पूजा करते हैं और उनका आभार प्रकट करते हैं। 

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पोंगल का धार्मिक महत्व 

  • पोंगल के पहले दिन इंद्र देव की आराधना की जाती है। इंद्रदेव का सीधा संबंध वर्षा से है और खेती के लिए वर्षा बेहद ही आवश्यक होती है, इसलिए खेती के लिए बारिश अच्छी हो इस कामना से इस दिन इंद्र देव की पूजा की जाती है। पोंगल के पहले दिन यानी इंद्र देव की पूजा वाले दिन लोग अपने घरों से पुराने और खराब सामानों को निकालते हैं और उन्हें जला देते हैं।
  • पोंगल के दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। वर्षा की ही तरह खेती के लिए सूर्य भी बेहद ही आवश्यक होता है। इस दिन लोग विशेष तरह से खीर बनाते हैं और उसे सूर्य भगवान को अर्पित करते हैं। 
  • पोंगल पर्व के तीसरे दिन कृषि से संबंधित पशु जैसे गाय, बैल इत्यादि की पूजा की जाती है। खेती के लिए धूप और वर्षा की ही तरह कृषि पशु बेहद ही आवश्यक होते हैं। ऐसे में पोंगल पर्व के तीसरे दिन उन्हें नहलाया-धुलाया जाता है और फिर श्रृंगार करके उन्हें तैयार किया जाता है। इस दिन बैलों के सींगों को बेहद ही खूबसूरत रंगों में रंगा जाता है। 
  • पोंगल त्योहार का चौथे और आखिरी दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अपने घरों को लोग फूलों से सजाते हैं। महिलाएं अपने आंगन में रंगोली बनाती हैं और इस दिन लोग एक दूसरे के घरों में मिठाई इत्यादि बांटकर इस दिन की शुभकामनाएं देते हैं। पोंगल के आखिरी दिन घर को सजाने के साथ ही लोग आम और नारियल के पत्तों से तोरण बनाते हैं और इसे अपने घरों के दरवाजों पर लगाते हैं। 

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वैसे तो पोंगल का यह त्योहार मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है लेकिन इस पर्व का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व मानव समुदाय के लिए बेहद ही ख़ास होता है। इस त्यौहार पर गाय के दूध में उबाल को बेहद ही महत्व दिया जाता है। इसके पीछे की मान्यता है कि जिस तरह से दूध का उबाल आना शुभ होता है ठीक उसी तरह से हर मनुष्य के मन में भी शुद्ध संस्कारों से उज्जवल दीप प्रज्वलित होना चाहिए।

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