29 सितंबर से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। माँ दुर्गा को समर्पित इन 9 दिनों को लोग बहुत ही श्रद्धा पूर्वक मानते है। देश के सभी कोनों में अलग-अलग तरीके से माता की पूजा की जाती है, लेकिन देशभर में बंगाली लोगों कि दुर्गा पूजा बहुत प्रसिद्ध है। इनके पूजा करने का तरीका दूसरे समुदाय की तुलना में बहुत अलग होता है। लेकिन बंगालियों की एक ऐसी प्रथा है जो सबको हैरान कर देती है और वो है नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज खाना। सामान्य तौर पर नवरात्रि के समय पूरा माहौल उत्सवमय होता है। हर जगह लोग व्रत-उपवास आदि रखते हैं। जहाँ कुछ लोग इस समय प्याज़-लहसुन तक को हाथ नहीं लगाते, वहीँ बंगाल में लोग माँस-मछली खाने से परहेज नहीं करते। चलिए आज आपको अपने इस लेख में बताते हैं कि आख़िर नवरात्रि के इतने पवित्र दिन में भी बंगाल के लोग क्यों नॉन-वेज खाते हैं।
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नॉन-वेज खाने के पीछे ये है मान्यता
माना जाता है कि नवरात्रि के समय मां दुर्गा अपने मायके में कुछ दिन गुज़ारने आती है। बंगाल में लोग माता रानी को अपने परिवार का एक हिस्सा मानते हैं, इसलिए वो इन नौ दिनों में अपने परिवार के सदस्य को उनके स्वागत के तौर पर खुश करने के लिए कई तरह के पसंदीदा व्यंजन बनाते हैं, जैसे कि माँस, मछली और अनेक प्रकार की मिठाईयां। बंगाल के सबसे बड़े त्यौहार दुर्गा पूजा में श्रद्धालु मां दुर्गा को माँस का चढ़ावा भी देते हैं। लेकिन दुर्गा पूजा के इस मौके पर बंगाली ब्राह्मण विधवा महिलाओं को नॉन-वेज खाने की मनाही होती है। विवाहित महिलाएं फिर भी मांस, मछली खा सकती है, लेकिन इन दिनों बंगाली ब्राह्मण विधवा स्त्रियों को पारम्पारिक सात्विक भोजन करना होता है। बंगाल के लोगों की पूजा विधि और प्रसाद हमेशा सबको हैरान करती हैं।
बंगाल में ही नहीं इन राज्यों में भी खाते हैं नॉनवेज
दुर्गा पूजा के दौरान माँस-मछली का नाम सुनते ही लोग हक्के-बक्के रह जाते हैं। अधिकांश घरों में नॉनवेज तो दूर प्याज़-लहसन खाने तक की सख्त मनाही होती है। वहीँ बंगाल ही नहीं देश के कई और राज्यों में ब्राह्राण भी इन दिनों नॉनवेज का सेवन करते है। उत्तराखंड में कुछ जगहों पर नवरात्रि के मौके पर ब्राह्मण लोग देवी के सम्मान में भैंसे की बलि देकर उन्हें खुश करते है। इसके बाद वो इस मांस को पकाते है और अपने ही समुदाय के लोगों में प्रसाद के रूप में बांट देते हैं। वहां लोगों का यह मानना है कि माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। महिष का अर्थ होता है “भैंस”। इसीलिए वो भैंस की बलि देते हैं। वहीँ राजस्थान में शाक्त सम्प्रदाय के लोगों में, जो कि शक्ति की आराधना करते हैं, इन दिनों बकरें की बलि और शराब चढ़ाते हैं।
उम्मीद है कि आपको इस लेख कि मदद से समझ में आ गया होगा, कि क्यों बंगाल के लोग नवरात्रि में भी नॉनवेज खाने से भी परहेज नहीं करते है।
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