रामायण में इस बात का ज़िक्र है कि धर्म-युद्ध में लंका के राजा रावण की भगवान राम के हाथों मृत्यु हो गयी थी। अपने बल के अहंकार में आकर रावण ने भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था जिसके पश्चात भगवान राम लंका गए और अपनी पत्नी को बचाते हुए रावण को मौत के घाट उतार दिया था। रावण की मौत के साथ-साथ लंका में चल रहा युद्ध भी अचानक से समाप्त हो गया था। युद्ध के बाद भगवान राम, उनके भाई लक्ष्मण, उनकी पत्नी सीता, परम भक्त हनुमान जी के साथ क्या हुआ ये बात तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि रावण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी के साथ क्या हुआ? रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी कहाँ गयी?
आज अपने इस लेख में हम आपको इसी बात के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर लंकापति रावण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी के साथ क्या हुआ।
माता पार्वती ने मंदोदरी को दिया था श्राप
हिन्दू पुराणों में एक कथा बहु-प्रचलित है जिसमें मंदोदरी के बारे में कुछ ऐसे क़िस्से बताए गए हैं जिनके बारे में हम आप शायद ही जानते हों. एक कथा के अनुसार मधुरा नाम की एक अप्सरा हुआ करती थीं। अप्सरा मधुरा माता पार्वती की बहुत बड़ी उपासक थी। एक दिन माता पार्वती से मिलने की चाह में अप्सरा मधुरा कैलाश पर्वत पर जा पहुंची , लेकिन उस वक़्त माता पार्वती वहां मौजूद नहीं थीं।
कैलाश पर्वत पर उस वक़्त भगवान शिव ज़रूर मौजूद थे। जैसे ही अप्सरा मधुरा की नज़र भगवान शिव पर पड़ी वो उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने में जुट गई और इसके लिए वो पूजा करने लग गई। कुछ समय पश्चात जब माता पार्वती वहां आई तो उन्हें अप्सरा मधुरा का ये कदम बिलकुल अच्छा नहीं लगा और वो ये सब देखकर बहुत गुस्सा हो गईं। गुस्से में माता पार्वती ने अप्सरा मधुरा को श्राप से मेंढ़क बना दिया और उससे एक कुएँ में 12 वर्षों तक रहने को कहा। ऐसा सुनकर भगवान शिव को बुरा लगा, उन्होंने माता पार्वती से काफी विनती की जिसके बाद माता पार्वती ने मधुरा को कम से कम एक वर्ष तक कुएँ में रहने का आदेश दिया।
अप्सरा मधुरा माता पार्वती की बात सुनकर कुएँ में चली गई और वहां जाकर उसके पूजा करना शुरू कर दिया। जहाँ एक तरफ अप्सरा मधुरा कुएँ में दिन-रात पूजा कर रही थीं वहीँ दूसरी तरफ असुरों के देवता मयासुर और उनकी पत्नी हेमा जिनके पहले से दो पुत्र थे वो एक बेटी की कामना कर रहे थे। एक बेटी की चाह के लिए वो दोनों सालों-साल से कठोर तपस्या कर रहे थे। इसी दौरान अप्सरा मधुरा का श्राप का एक साल पूरा हो गया और वो कुएँ में ही अपने असली रूप में आ गईं। असली रूप में आते ही अप्सरा मधुरा मदद के लिए पुकारने लग गईं ।
अप्सरा थी मंदोदरी
मयासुर को जैसे ही अप्सरा मधुरा की आवाज़ आयी वो भागकर कुएँ के पास पहुंचे और उन्होंने मधुरा को बचा लिया। तब उन्होंने अप्सरा मधुरा का नाम मंदोदरी रखा। कुछ समय बाद असुरों के देवता मयासुर से मिलने रावण पहुंचा। रावण की नज़र जैसे ही मंदोदरी पर पड़ी वो मंत्र-मुग्ध हो गया। इसके बाद रावण ने अपने दिल की इच्छा बताते हुए मयासुर से कहा कि मैं आपकी बेटी को पसंद करता हूँ और उससे विवाह करना चाहता हूँ। इस विवाह के लिए मयासुर राज़ी नहीं था।
रावण ने जबरन किया था मंदोदरी से विवाह
ऐसे में रावण ने मंदोदरी के पिता के खिलाफ जाकर उससे विवाह कर लिया। रावण और मंदोदरी के बाद में तीन पुत्र भी हुए। कहा जाता है कि मंदोदरी को हमेशा से पता था कि उनका पति रावण बल के अहंकार में आ चुका है। ऐसे में जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था तब मंदोदरी ने उन्हें सलाह दी थी कि वो ऐसा गलत काम ना करें और माता सीता को वापिस उनकी कुटिया में छोड़ आएं लेकिन रावण नहीं माना।
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जिसका नतीजा ये हुआ कि रावण और भगवान राम के बीच भीषण युद्ध हुआ। रावण के मरने से पहले मंदोदरी युद्ध भूमि में आयी और वहां का विनाश और अपने पति की हालत देख कर वो अत्यंत दुखी हुईं। रावण का छोटा भाई विभीषण भगवान विष्णु का भक्त था इसलिए रावण के कुल में केवल वही जीवित बचा। बताया जाता है कि रावण के बाद लंका का राज-पाठ भी विभीषण को ही सौंपा गया था।
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विभीषण से हुई मंदोदरी की शादी
युद्ध के अंतिम चरण में रावण मृत्यु-शैय्या पर लेटा हुआ था। तब रोटी-बिलखती मंदोदरी को देखकर उसने कहा कि, “मुझे मुक्ति मिल गयी है। लेकिन मैं नहीं चाहता कि मेरे पीछे तुम्हें कोई दुःख हो इसलिए तुम मेरे छोटे भाई विभीषण से शादी कर लो।” मंदोदरी पति-व्रता पत्नी थीं इसलिए उन्होंने अपने पति की ये बात भी मान ली और रावण की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने देवर विभीषण से शादी कर ली और फिर हमेशा के लिए लंका की महारानी बनकर रहीं।
हालाँकि इस बात से जुड़ीं एक कथा है जिसके अनुसार कहा जाता है कि युद्ध में रावण को पराजित करने के बाद भगवान राम ने खुद मंदोदरी को विभीषण से विवाह करने का प्रस्ताव दिया था जिसके बाद मंदोदरी ने काफी लंबे समय तक के लिए खुद को महल में कैद कर लिया था। काफ़ी समय बाद उन्होंने महल से निकलने का फैसला किया कर तब उन्होंने विभीषण से शादी करने का प्रस्ताव भी मान लिया।