अगर आपकी कुंडली में भी है ये विपरीत राजयोग तो आपको धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता।

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार कुंडली में ग्रहों की युति से कई प्रकार के योग बनते हैं, जिनमें से कुछ शुभ जबकि कुछ अशुभ परिणाम देते हैं। कुंडली में शुभ ग्रहों के योग से राजयोग भी बनते हैं। इन्हीं में से एक होता है विपरीत राजयोग। आइए आज चर्चा करते हैं विपरीत राजयोग के बारे में। 

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आखिर कैसे बनता है विपरीत राजयोग? 

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब किसी कुंडली में छठे, अष्टम व द्वादश (6, 8 और 12वें) भाव के स्वामी ग्रह युति योग बनाते हैं तो इस परिस्थिति में विपरीत राजयोग बनता है। इसके साथ ही 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी ग्रहों की अंतरदशा के कारण बनता है। विपरीत राजयोग को बेहद शुभ फलदायक माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में विपरीत राजयोग बनता है उसे धन-दौलत, गाड़ी, बंगला, सुख-सुविधाएं आदि की प्राप्ति होती है। हालांकि विपरीत राजयोग का प्रभाव ज़्यादा दिनों तक नहीं रहता। 

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विपरीत राजयोग तीन प्रकार के होते हैं : 

  1. हर्ष विपरीत राजयोग : 

यह राजयोग कुंडली के  6, 8 और 12वें भाव में बनता है। जिस जातक की कुंडली में हर्ष विपरीत राजयोग बनता है वह शारीरिक रूप से बलशाली और धन से परिपूर्ण होता है। इन लोगों को समाज में पद, प्रतिष्ठा भी हासिल होती है।

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  1. विपरीत सरल राजयोग : 

यह राजयोग विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करने की क्षमता प्रदान करता है। इस राजयोग के प्रभाव से व्यक्ति विद्वान, बुद्धिमान और धनी बनता है। इस राजयोग वाला जातक अत्यंत धन-दौलत का मालिक बन जाता है।

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  1. विपरीत विमल राजयोग : 

कुंडली के 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी अगर 12वें घर में हो या इस घर का स्वामी 6, 8 में हो तो विमल विपरीत राजयोग बनता है। जिस जातक की कुंडली में विपरीत विमल राजयोग बनता है उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां रहती हैं।

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