आज के आधुनिक युग में दान की प्रथा खत्म होती जा रहा है, व्यक्ति के किए गए दान में बदले का स्वार्थ छिपा होता है। अक्सर हम उनसे ही लेन-देन रखते हैं जिनसे बदले में पाने की उम्मीद होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं, सनातन धर्म में दान को विशेष दर्जा प्राप्त है, दान का अर्थ होता है- दान देने का भाव अर्थात् निस्वार्थ भाव से किया गया दान-पुण्य। ज्यादातर लोगों को लगता है कि दान केवल पैसों का ही होता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं दान कई प्रकार का होता है और यदि मनुष्य जीवन में पांच तरह के दान को करता है तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है और जीवन में किसी भी प्रकार के कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है। तो आइए आपको इस लेख में बताते हैं कि कौन-कौन से दान करने से मनुष्य का कल्याण संभव है।
कन्या का दान
हिंदू धर्म में कन्या दान को महादान का दर्जा प्राप्त है। कन्या दान माता-पिता द्वारा किया गया दान है, जो भी माता-पिता संकल्प लेकर अपनी बेटी का हाथ वर के हाथ में सौंपते है, उस दान को कन्या दान या महादान कहा जाता है। ये दान केवल उन्हीं को करने का सौभाग्य मिलता है जिनकी बेटियां होती हैं परन्तु यदि कोई अन्य भी कन्या दान करना चाहता है यानि जिनकी कोई पुत्री नहीं है तो वो गोद ली हुई पुत्री का कन्या दान कर इस दान से मिलने वाले पुण्य को प्राप्त कर सकते हैं। हिंदु धर्म में कन्या दान से बड़ा कोई दान नहीं माना गया है।
अन्न का दान
हिंदू धर्म में अन्न दान को महत्वपूर्ण दान का दर्जा दिया गया है। कहते हैं जो व्यक्ति अन्न दान करता है, उसे अनेक प्रकार के पुण्य की प्राप्ति होती है क्योंकि अन्न दान से एक भूखे व्यक्ति का पेट भरता है और किसी की भूख मिटाने से बड़ा दूसरा कोई पुण्य नहीं, इसलिए सनातन धर्म में अन्न दान को विशेष दान का दर्जा प्राप्त है।
विद्या का दान
हिंदू धर्म में विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ और महत्वपूर्ण दान माना गया है। यह दान गुरु द्वारा शिष्य को दिया जाता है। गुरू द्वारा दिया गया विद्या दान शिष्य को ज्ञान की प्राप्ति कराता है, जिससे वो जीवन में आने वाली हर समस्या का बुद्धिमानी के साथ सामना करता है। यही कारण है कि गुरु द्वारा अपने शिष्य को दिए गए विद्यादान को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है। ये दान केवल गुरू द्वारा शिष्य को दिया जा सकता है।
भूमि का दान
हिंदू मान्यताओं के आधार पर यदि आप भूमि का दान करते हैं, तो इसका भी विशेष महत्व बताया गया है। यदि इंसान सोच समझकर सही तरह से अपनी भूमि का दान करता है, तो इसका महत्व बढ़ जाता है। जैसे किसी आश्रम, भवन, धर्मशाला, गौशाला, विद्यालय या प्याऊ के लिए यदि आप अपनी भूमि का दान करते हैं तो इस दान को हिंदू धर्म में श्रेष्ठ दान की श्रेणी में रखा गया है यदि कोई भी जातक अपनी भूमि को अच्छे काम के लिए दान करता है, तो उसे इसका अवश्य अच्छा फल मिलता है।
गाय का दान
सनातन धर्म में गाय दान को भी उच्च दान की श्रेणी में रखा गया है, पौराणिक मान्यताओं के आधार पर जो भी जातक गाय का दान करता है, उसे और उसके पूर्वजों को लोक और परलोक में जीवन-मृत्यु के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है। हिन्दू धर्म में गाय के दान को विशेष दान का दर्जा दिया गया है, और ऐसी मान्यता है, कि गौ दान से जातक के पूर्वजों और आने वाली पीढ़ियों को भी उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।
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