वैदिक ज्योतिष ग्रहों के गोचर को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रह के गोचर का प्रभाव दुनिया भर के जीव-जंतुओं पर पड़ता है। चूंकि अब जल्द ही शुक्र गोचर होने जा रहा है, ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको शुक्र गोचर से जुड़ी पांच बेहद जरूरी बातें बताने वाले हैं।
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वैदिक ज्योतिष में शुक्र का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शुक्र को एक शुभ ग्रह माना जाता है। शुक्र किसी भी जातक की कुंडली में भौतिक सुखों और वैवाहिक संबंध का कारक माना गया है। सभी बारह राशियों में शुक्र का आधिपत्य वृषभ और तुला राशि पर है। वहीं 27 नक्षत्रों में शुक्र भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामी माना गया है। बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह माने जाते हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा से शुक्र का बैर है। एक राशि में शुक्र लगभग 23 दिनों तक गोचर करता है।
आइये अब जान लेते हैं कि शुक्र का गोचर कब होने वाला है।
शुक्र का गोचर कब होने वाला है?
शुक्र का गोचर साल 2021 में 17 जुलाई को शनिवार की सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर सूर्य के स्वामित्व वाली राशि सिंह में होने वाला है। शुक्र इस राशि में 11 अगस्त 2021 को बुधवार की सुबह 11 बजकर 20 मिनट तक मौजूद रहेंगे। इसके बाद वे बुध के स्वामित्व वाली राशि कन्या में गोचर कर जाएंगे। जाहिर है कि शुक्र के इस गोचर का दुनिया भर के जीव-जंतुओं पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है। ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि शुक्र किसी भी जातक की कुंडली में मजबूत या कमजोर होने पर जातकों के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है।
आइये अब आपको सबसे पहले ये बताते हैं कि कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत हो तो जातक को क्या फल मिलते हैं।
यदि कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में हो
शुक्र को किसी भी जातक की कुंडली में भौतिक सुख, कामवासना, कला, वैवाहिक सुख, सौन्दर्य, शोहरत, प्रतिभा आदि का कारक माना गया है। शुक्र यदि किसी जातक की कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है तो उस जातक का कला के प्रति झुकाव होता है। ऐसे जातकों को जीवन में सुख-सुविधाओं की कमी नहीं रहती है। वैवाहिक जीवन सुखद रहता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और जीवन में रोमांस आता है।
आइये अब जान लेते हैं कि शुक्र यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो जातकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
यदि कुंडली में शुक्र कमजोर स्थिति में हो
शुक्र यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उस जातक का वैवाहिक जीवन दुख से भर जाता है। पति-पत्नी के संबंध बिगड़ जाते हैं। जीवन में दरिद्रता आती है। लाख सुख-सुविधाओं के होने के बावजूद भी व्यक्ति उनका उपयोग नहीं कर पाता है। पुरुषों की कुंडली में कमजोर शुक्र उनकी कामुक शक्तियों को कमजोर करता है जबकि महिलाओं में कमजोर शुक्र गर्भपात की वजह बनता है। इसके अलावा किडनी और आँख संबंधी बीमारियां भी जातकों को परेशान करती हैं।
ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में शुक्र कमजोर स्थिति में हो उन्हें शुक्र शांति के उपाय करने चाहिए। आइये अब हम आपको शुक्र शांति के कुछ आसान उपाय बता देते हैं।
शुक्र शांति के उपाय
- शुक्रवार का दिन शुक्र देवता को समर्पित होता है। ऐसे में कुंडली में शुक्र की स्थिति को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखें। नमक और अन्न ग्रहण न करें। फलाहार पर रह सकते हैं।
- शुक्रवार को सफ़ेद या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें। इससे शुक्र देवता आप पर बेहद प्रसन्न होंगे।
- हर रोज सुबह में माँ लक्ष्मी या माँ जगदम्बा की आराधना करें। इसके अलावा भगवान परशुराम की पूजा करने से भी शुक्र देवता प्रसन्न होते हैं।
- श्री सूक्तं का पाठ करें।
- दही, खीर, रंग-बिरंगे कपड़े, चावल, चांदी, इत्र आदि का शुक्रवार के दिन दान करें। कुंडली में शुक्र की स्थिति बेहतर होगी।
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