नए साल में इन उपायों से करें शुक्र को प्रसन्न और करियर में पाएं सफलता

नया साल शुरू हो चुका है और ऐसे में हर एक इंसान 2020 के बुरे साय से हर मायने में उबरने की हर मुमकिन कोशिश में लगा हुआ है। फिर चाहे बात हो अपना आर्थिक पक्ष सुधारने की या करियर में कुछ नया और बेहतर करने की। तो आइए जानते हैं कि, कैसे शुक्र ग्रह एक इंसान के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखता है और कैसे कुंडली में मौजूद शुक्र ग्रह यदि अशुभ स्थिति में हो तो इंसान के जीवन में ढेरों परेशानियां खड़ी कर देता है। ऐसी स्थिति में जातकों को शुक्र के बुरे प्रभाव से बचने के लिए शुक्रवार के दिन उपवास रखने की और शुक्र ग्रह की शांति की सलाह दी जाती है।

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शुक्र ग्रह का प्रभाव सिर्फ इतना ही नहीं है, ज्योतिषी मानते हैं कि, इंसान के करियर को सही दिशा देने या बिगाड़ने में भी शुक्र ग्रह का बहुत बड़ा योगदान होता है। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि, शुक्र ग्रह का कुंडली के सभी 12 भावों में क्या और कैसा प्रभाव होता है। साथ ही जानते हैं यदि कुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में मौजूद हो तो उसके दुष्प्रभावों को किन सरल सटीक उपाय से कम या खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा यदि आपको अपने करियर के बारे में कोई संदेह हो, कोई प्रश्न हो, या कोई परामर्श प्राप्त करना हो तो आप आज ही एस्ट्रोसेज स्पेशल कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट फॉर प्रोफेशनल्स की मदद ले सकते हैं। 

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शुक्र की चमक एवं शान अन्य ग्रहों से अलग व निराली होती है। शुक्र की आराधना कर शुक्र को बलवान बनाकर सुख व ऐश्वर्य पाया जा सकता है। शुक्र ग्रह से प्रभावित युवतियाँ सौंदर्य प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज करती हैं। कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं, जो कुछ दूर तक तो युवतियों का सहयोग करते हैं, लेकिन जैसे ही दूसरे प्रतिभागियों के ग्रह भारी पड़ते हैं, कमजोर ग्रह वाली युवतियाँ पिछड़ने लगती है। ऐसे में शुक्र ग्रह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो आइये इस आर्टिकल में हम आपको शुक्र ग्रह का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव जानने के साथ-साथ जानते हैं कमज़ोर शुक्र को मज़बूत करने के कुछ सरल और सटीक उपाय और मंत्र।

इस कड़ी में सबसे पहले जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में विभिन्न भावों में शुक्र की उपस्थिति किस प्रकार से उसके कार्य क्षेत्र को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।

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कुंडली के विभिन्न भावों में शुक्र का प्रभाव 

प्रथम भाव में शुक्र का फल  

पहले भाव में स्थित शुक्र जातक को कला का शौकीन, संगीत, नृत्य‍ और चित्र-कला में रूचि-पूर्ण कार्य करवाता है और हमेशा राजकार्य में कुछ न कुछ गतिविधि बनाये रखता है। सामान्य‍ तौर पर प्रथम भाव में शुक्र भाग्य‍ को अच्‍छा बनाता है और अपने जीवन को सुखमय व्यतीत करता है। कॉग्निएस्ट्रो प्रोफेशनल रिपोर्ट की मदद से आप अपने करियर के बारे में अधिक जान सकते हैं। 

दूसरे भाव में शुक्र का फल  

दूसरे भाव में स्थित शुक्र ग्रह जातक को अधिक धन की  प्राप्ति करवाता है। जातक को समृद्ध व जीवनसाथी के साथ व्यापार के लिए प्रेरित करवाता है। जातक दिखने में सुंदर व विलासिता से भरा जीवन बिताते हैं। जातक भव्‍य और सुंदर चीजों, मिष्ठान, लोकप्रिय, जौहरी, मिट्टी के सामान से जुड़ा व्यवसाय, कृषि, पशु, कविता पाठ, आदि से जुड़ा हुआ कार्य करवाता है ।

तीसरे भाव में शुक्र का फल  

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो  ऐसा जातक  कृपण, आलसी, चित्रकार, विद्वान तथा यात्रा करने का शौकीन होता है। आध्यात्मिक कर्मों के संचय को भी दर्शाता है व विदेश से जुड़े कारोबार को करता है। साथ ही, ऐसा जातक सोशल मीडिया, मनोरंजन, ऑनलाइन, अन्य  उपकरण का व्यापार व कार्य करता है। 

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चतुर्थ भाव में शुक्र का फल  

जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो  ऐसा जातक  निजी जीवन या अफेयर को दर्शाता है। साथ ही जातक छोटे भाई-बहनों से जुड़ कर विदेश से जुड़ा व्यापार करता है। मीडिया, वस्त्र, फर्नीचर, घर के अंदर की कलात्मक वस्तुएँ, कार, ऑर्किटेक्चर, जमीन, वाहन, घोड़ा, झील, नदी, समुद्र, नाला, तालाब, आदि से सम्बन्धित नौकरी अथवा व्यापार करता है। 

पंचम भाव में शुक्र का फल  

जन्म कुंडली के पंचम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक सामाजिक झुकाव का प्रतिनिधित्व करता है या एक अच्छा  राज नेता  बनता है। ऐसा जातक कलात्मक कार्यों, नाटक, मनोरंजन, हॉल और पार्टी,  रोमांस, प्यार, प्रेम प्रसंग, सिनेमा, मनोरंजन से जुड़ा कार्य और भौतिक सुखों जैसे-खेल, ओपेरा, ड्रामा, संगीत, नृत्य, शेयर बाजार, जुआ, मैच फ़िक्सिंग और लॉटरी  से जुड़ा कार्य करता है।

छठा भाव में शुक्र का फल  

जन्म कुंडली के छठा भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो  ऐसा जातक राजनीति, न्यायपालिका की कार्यवाही, देश में सांप्रदायिक सौहार्द और श्रमिक संस्थाओं व राष्ट्र रक्षा एवं सेना से जुड़ा कार्य करता है। ऐसा जातक स्वास्थ्य, मेडिकल सेवाएँ और स्वास्थ्य कार्यकर्ता जैसे- नर्सिंग, दंत चिकित्सक और डॉक्टरी से जुड़ा हुआ कार्य करता है। शादीशुदा जातक अपने बच्चों के भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं या उनके लिए एक आदर्श कैरियर की तलाश में हैं, तो वो भी हमारी कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 10 तक) और कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 12 तक) से अपने हर सवाल का जवाब आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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सप्तम भाव में शुक्र का फल

जन्म कुंडली के सप्तम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो  ऐसा जातक यदि किसी  आध्यात्मिक जीवन से जुड़ा हुआ कार्य करता है। क्रिएटिविटी, ननिहाल पक्ष से जुड़ कर कार्य करता है। संपत्ति या ज़मीन जायदाद से जुड़ा हुआ व्यापार भी ऐसे जातकों को कामयाब बनाता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि मौजूदा नौकरी, पेशा, या आपका व्यवसाय आपके लिए सही और उचित है कि नहीं, तो अभी आर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो की प्रोफेशनल रिपोर्ट और पाएं आपकी कुंडली के आधारित अपने लिए सटीक करियर विकल्प की संपूर्ण जानकारी।

अष्टम भाव में शुक्र का फल

जन्म कुंडली के अष्टम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक दीर्घजीवी व कटुभाषी होता है। इसके ऊपर कर्जा चढ़ा रहता है। ऐसा जातक खदान, कोयला, सट्टा व्यापार, लॉटरी, मंत्र, तंत्र, एवं आध्यात्मिक वस्तुओं से जुड़ा हुआ व्यापार व नौकरी करता है ।

नवम भाव में शुक्र का फल

जन्म कुंडली के नवम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक धर्मादि कार्यों जुड़ा कार्य, राजकीय सेवा व खेल कूद से जुड़े हुए कार्य से अपने जीवन में आजीविका को प्राप्त करता है और अपने जीवन को सुखमय तरीके से व्यतीत करता है।

दशम भाव में शुक्र का फल

जन्म कुंडली के दशम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो ऐसा जातक व्यापार, समृद्धि, सरकार से सम्मान, अधिकारी पद, घुड़सवारी, एथलेटिक्स, समाज सेवा, कृषि,  ताक़तवर कार्यों,  शिक्षण, आदेशात्मक कामों, आदि चीज़ों से जुड़ा कार्य करता है।

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एकादश भाव में शुक्र का फल 

इस भाव में शुक्र ग्रह हो तो ऐसा जातक रत्नों व सफेद वस्तुओं से  जुड़ा हुआ कार्य करता है व साथ ही ज्ञान देने वाला, शेयर बाज़ार, संगीत,फिल्मों व वाहन से जुड़ा हुआ कार्य करता है ,अपने मित्रों के साथ जुड़ कर सामाजिक मदद करने वाला होता है व उससे अपने जीवन की आजीविका को प्राप्त करता है और अपने जीवन को सुखमय बना कर जीता है

द्वादश भाव में शुक्र का फल 

जन्म कुंडली के द्वादश  भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो  तो  ऐसा जातक परोपकार, धर्मार्थ या सुधारक संस्थान, जेल, शरण और अस्पताल आदि से जुड़ा होता है। इस भाव में बैठे शुक्र ग्रह के जातक अपराधियों, जासूसों, गुप्त बलों और गुप्त दुश्मनों, भूमिगत जैसे कार्य व  मंत्रालय से जुड़ा कार्य करते हैं।

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शुभ-अशुभ शुक्र ग्रह का प्रभाव 

जिन लोगों की कुंडली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन्हें जीवन में भौतिक संसाधनों का आनंद प्राप्त होता है, लेकिन जिस जातक की कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर होती है उन्हें अपने जीवन में आर्थिक कष्ट, स्त्री सुख में कमी, डायबिटीज़ और सांसारिक सुखों में कमी इत्यादि परेशानी झेलनी पड़ती है। तो आइये अब जानते हैं कि कुंडली में यदि शुक्र दुर्बल अवस्था या पीड़ित अवस्था में हो तो क्या उपाय करने से उसे सही किया जा सकता है।

कुंडली में शुभ शुक्र हो तो बेहतरीन करियर विकल्प:

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र प्रबल अवस्था में मौजूद है तो उनके लिए सबसे अच्छे करियर विकल्प क्या हो सकते हैं, आइये इस पर डालते हैं एक नज़र:

वनस्पति विज्ञान, मनोरंजन, मीडिया, फैशन डिजाइनिंग, वास्तुकला, नृत्य, बागवानी, चित्रकला, वनस्पति विज्ञान, पर्यटन, विमानन, आतिथ्य, मानविकी, ललित कला और ग्राफिक्स

शुक्र ग्रह की शन्ति के उपाय 

  • माँ लक्ष्मी और माँ जगदम्बा की पूजा करें।
  • भगवान परशुराम की पूजा करें।
  • ऐसे जातकों को श्री सूक्त का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
  • सफ़ेद और गुलाबी रंग अपने जीवन में शामिल करें।
  • अपनी पार्टनर, जीवन-साथी और हर महिला का सम्मान करें, भूल से भी कभी इनका अनादर ना करें।
  • चरित्र-वान बनें और कलात्मकता का विकास करें।
  • शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं जैसे, दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चाँदी, चावल इत्यादि का दान करें।

शुक्र ग्रह की शांति के लिए व्रत 

शुक्र ग्रह की शांति के लिए शुक्रवार के दिन उपवास रखना बेहद फलदायी साबित होता है। इस दिन व्रत रखकर आप अपने कार्यक्षेत्र/पेशे/करियर में सफलता हासिल कर सकते हैं।

शुक्र ग्रह की शांति के लिए रत्न

जिन जातकों की कुंडली में शुक्र पीड़ित अवस्था में होता है उन्हें हीरा धारण करने की सलाह दी जाती है।

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शुक्र ग्रह की शांति के लिए जड़ी 

कुंडली में मौजूद पीड़ित शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अरंड मूल अथवा सरपंखा मूल धारण करें। आप इन जड़ियों को शुक्रवार के दिन, शुक्र की होरा अथवा शुक्र के नक्षत्र में धारण कर सकते हैं।

शुक्र ग्रह की शांति के लिए रुद्राक्ष 

शुक्र के लिये 6 मुखी रुद्राक्ष अथवा 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना फ़ायदेमंद होता है।

शुक्र ग्रह की शांति के लिए यंत्र 

 शुक्र यंत्र

शुक्र मंत्र 

शुक्र बीज मंत्र: इस मंत्र के उच्चारण से जीवन में आर्थिक संपन्नता, प्रेम और आकर्षण में बढ़ोतरी होती है।

 “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः”

शुक्र का तांत्रिक मंत्र

“ॐ शुं शुक्राय नमः।”

शुक्र का वैदिक मंत्र

ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।

ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।

इस प्रकार कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित होकर शुक्र ग्रह आपके कार्यक्षेत्र को अलग-अलग रूपों में परिभाषित करता है। उपरोक्त दिए हुए फल केवल सामान्य प्रकृति के हैं। व्यक्तिगत विश्लेषण व्यक्ति विशेष की कुंडली पर आधारित होता है तथा देश, काल और पात्र के सिद्धांत के आधार पर भिन्न हो सकता है।

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!