हिंदू धर्म में अनेकों व्रत और त्योहार मनाए और किए जाते हैं। इन्हीं में से एक व्रत है वट सावित्री का व्रत। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए रखती हैं और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं। इस वर्ष वट सावित्री का व्रत 10 जून को गुरुवार के दिन किया जाएगा।
सिर्फ इतना ही नहीं जानकारी के लिए बता दें कि, 10 जून को वट सावित्री के व्रत के साथ-साथ इसी दिन शनि जयंती भी पड़ रही है, ज्येष्ठ माह की अमावस्या भी पड़ रही है और साथ ही इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। ऐसे में हर मायने में यह दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण रहने वाला है। तो आइए अपने इस विशेष आर्टिकल में जान लेते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है, शनि जयंती का शुभ मुहूर्त क्या है, और साथ ही सूर्य ग्रहण का समय क्या रहने वाला है। इसके अलावा इस आर्टिकल में यह भी जान लेते हैं कि वट सावित्री का व्रत के साथ-साथ किन उपायों को करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और साथ ही सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
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वट सावित्री 2021 शुभ मुहूर्त
तिथि : 10 जून, 2021
दिन : गुरुवार
अमावस्या प्रारम्भ : 09 जून, 2021 को 14 बजकर 25 सेकंड से
अमावस्या समापन : 10 जून 2021 को 16 बजकर 24 मिनट और 10 सेकंड पर
पारण की तिथि : 11 जून 2021
पारण का दिन : शुक्रवार
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शनि जयंती 2021 के शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास अमावस्या तिथि आरंभ- 09 जून दिन बुधवार दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
ज्येष्ठ मास अमावस्या तिथि समाप्त- 10 जून दिन गुरुवार शाम 04 बजकर 22 मिनट पर
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साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण समय और कहां आएगा नजर
10 जून 13:42 बजे से-18:41 बजे तक
कहाँ आएगा नज़र? उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण
वट सावित्री व्रत के दिन अवश्य करें ये उपाय
- अपने घर में सुख समृद्धि के लिए और अपने परिवार की खुशहाली के लिए वट सावित्री व्रत के दिन एक ऐसी काली गाय ढूंढ लें जिसपर कोई और अन्य निशान ना हो यानी कि वह पूरी तरह से काली ही हो। ऐसी गाय को 8 बंदी के लड्डू खिलाए फिर उसकी परिक्रमा करें और उसके बाद उसकी पूंछ को अपने सिर पर 8 बार झाड़ लें। हिंदू धर्म में वैसे भी गाय को देवी मां का दर्जा प्राप्त है ऐसे में यह उपाय करने से आपको देवी देवता की प्रसन्नता अवश्य हासिल होगी।
- इसके अलावा वट सावित्री व्रत के दिन काले कुत्ते को रोटी अवश्य खिलाएं। इस रोटी में तेल लगा दें।
- वट सावित्री व्रत के दिन स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। इस दिन सुबह उठकर मीठा दूध पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं और तेल का दीपक जलाएं। इसके अलावा इस दौरान ‘ॐ शं शनिश्चरायै नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद पेड़ की परिक्रमा करें और शनिदेव की पूजा करें।
- इस वर्ष वट सावित्री व्रत के दिन शनिदेव की पूजा करते समय हनुमान भगवान का ध्यान भी अवश्य करें। हनुमान भगवान की चालीसा पढ़े।
- इसके अलावा वट को बरगद के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में इस दिन के व्रत में मुमकिन हो तो किसी बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करते हुए इस पर कच्चा सूत लपेटे। यदि ऐसा मुमकिन नहीं है तो आप अपने घर पर ही बरगद के पेड़ की डाली ला करके उसकी पूजा कर सकते हैं। यदि आपके पास बरगद की डाली भी मौजूद नहीं है तो आप इस दिन की पूजा में तुलसी के पौधे के साथ यह उपाय कर सकती है। यानि आप तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें और उस पर सूत लपेटे। इस दौरान आप सावित्री मां का ध्यान करें और उनसे किसी भी भूल चूक की क्षमा मांग लें।
वट सावित्री पूजा में चने का महत्व
वट सावित्री की पूजा में चनों का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने के लिए सावित्री ने उनसे याचना की थी तो इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें उनके पति यानी सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे। इसके अलावा यमराज ने सावित्री को तीन वरदान भी दिए थे। बताया जाता है कि यम देवता ने सत्यवान के प्राण चने के रूप में सावित्री को वापस लौटाए थे। जिसके बाद सावित्री ने इस चने को अपने पति के मुंह में रख दिया था जिससे सत्यवान के प्राण वापस आ गए थे। कहा जाता है यही वजह है कि इस दिन चने का विशेष महत्व माना गया है।
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