वट सावित्री व्रत 2020 : जानें इस दिन क्यों करते हैं वट-वृक्ष की पूजा!

वट सावित्री के व्रत से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी!

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन को मनाते हैं। इस साल यह व्रत 22 मई, शुक्रवार को पड़ रहा है। महिलाएं वट सावित्री का व्रत अखंड सौभाग्य एवं कल्याण की कामना और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। आपकी सलामती और आपके जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए एस्ट्रोसेज कल से आपके लिए शुरू कर रहा है “एस्ट्रोसेज सुपर समर सेल”, जिसमें आपको सभी ज्योतिषीय सेवाओं पर भारी डिस्काउंट मिलेगा। ज़्यादा जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट पर विज़िट करें। 

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ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है, वह सभी तरह की परेशानियों से दूर रहता है और उसे बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। बात अगर सेहत की हो तो इस मुश्किल के समय में यह व्रत खास महत्व रखता है, क्योंकि कोरोना काल में हम सभी चाहते हैं कि हमारे साथ-साथ हमारे परिवार के लोग भी सही सलामत और स्वस्थ रहें। 

वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है। इसके साथ ही महिलाएं सत्यवान-सावित्री और यमराज की पूजा भी करती हैं। सावित्री और सत्यवान की कथा तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आख़िर इस दिन वट वृक्ष की पूजा ही क्यों की जाती है? अगर नहीं पता तो आज का हमारा यह लेख आपको वट सावित्री से जुड़ी सारी जानकारियाँ देगा। 

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 

सबसे पहले जानते हैं कि इस साल वट सावित्री व्रत के दिन किस मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए-

वट सावित्री व्रत 22 मई, 2020, शुक्रवार
अमावस्या तिथि आरम्भ 21 मई, 2020 को 21:38:10 से 
अमावस्या तिथि समाप्त 22 मई , 2020 को 23:10:10 पर


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वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री का व्रत करने से स्त्रियों का सुहाग अचल रहता है। सावित्री ने भी इसी व्रत को कर अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीत लिया था। तब से यह प्रथा चली आ रही है कि जो भी महिला इस दिन सच्चे मन से पूजा करेगी और व्रत रखेगी उसके पति की उम्र लंबी होगी और उस पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाएंगे। इस व्रत में सत्यवान सावित्री की यमराज सहित पूजा की जाती है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती है। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अभी घर से बाहर निकलना और सार्वजनिक जगहों पर जाना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है, आप वट सावित्री व्रत की पूजा अपने घरों में रहते हुए ही करें। कहते हैं ये व्रत आपकी सच्ची श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है, इसीलिए पवित्र मन से घर पर रहकर व्रत का पालन और पूजन करें। 

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क्यों करते हैं वट वृक्ष की पूजा?

हिंदु धर्म में वट वृक्ष को विशेष स्थान प्राप्त है। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और आगे के हिस्से में शिव का वास है। भगवान बुद्ध को भी वट वृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इसके नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा आदि सुनने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी वट वृक्ष बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह पर्यावरण में मौजूद हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल दवाईयां बनाने में भी की जाती हैं। अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध वट का पेड़ दीर्घायु, सौभाग्य और ज्ञान का पूरक माना जाता है। वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पुन: जीवित किया था, तब से यह व्रत वट-सावित्री के नाम से किया जाता है। 

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वट सावित्री व्रत पूजा विधि 

वट सावित्री का व्रत करवा चौथ की तरह  ही पति के लिए की जाती है, केवल इस दिन की जाने वाली पूजा की विधि अलग होती है। इस दिन की पूजा की विधि जगह के अनुसार अलग-अलग होती है। ऐसी मान्यता है कि सही पूजन सामग्री और विधि के बिना इस दिन की गई पूजा अधूरी होती है। इसीलिए आप अपनी पूजा सामग्री में चना, बांस का पंखा, लाल या पीला धागा, धूपबत्ती, फूल, पांच प्रकार के फल, जल का पात्र, सिंदूर और लाल कपड़ा ज़रूर रखें। चलिए जानते हैं अब इस दिन की जाने वाली पूजा की विधि –

  • वट सावित्री के दिन सुहागिन स्त्रियां प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें।  
  • इसके बाद नए या साफ़ वस्त्र पहनकर, 16 श्रृंगार कर लें। 
  • अब पूजा की सारी सामग्री को लेकर एक वट (बरगद) के पेड़ के नीचे जाएँ। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बाहर निकलना अभी सही नहीं है, इसीलिए आप वट वृक्ष के तस्वीर को सामने रखकर उसकी पूजा करें। 
  • पेड़ के नीचे या पेड़ के चित्र को जहाँ रखा है वहां सफाई करें और अपनी सभी पूजा की सामग्री को वहां रखें।  
  • सत्यवान-सावित्री और यमराज की फोटो को वट वृक्ष के नीचे स्थापित करें।  
  • अब लाल कपड़ा, फल, फूल, रोली, मोली, सिन्दूर, चना आदि से उनकी पूजा करें और उन्हें अर्पित करें।   
  • पूजा के बाद बांस के पंखें से उन्हें हवा करें।  
  • इसके बाद पेड़ में 5, 11, 21 या जितना संभव हो धागे को लपेटते हुए परिक्रमा करें। 
  • परिक्रमा लगाने के बाद कथा पढ़ें और वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। ये सभी प्रक्रिया आप वट वृक्ष के चित्र के साथ भी करें। 
  • घर लौटने के बाद उसी बांस के पंखे से पति को हवा करें और फिर पति के हाथ से पानी पी कर व्रत खोलें।  
  • पूजा के चने को प्रसाद के रूप में सबको बाँट दें। 
  • पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम के समय मीठा भोजन करें।  

कोरोना संकट को देखते हुए आप सभी से निवेदन है कि महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा बताए दिशा-निर्देशों का पालन करें और इस साल वट सावित्री व्रत की पूजा आप अपने-अपने घरों में रहकर करें।  

आशा करते हैं इस लेख में  दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी। 

 एस्ट्रोसेज के साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद।