नया साल 2019, आपकी ज़िंदगी की दहलीज़ पर दस्तक दे चुका है। इस नए साल के लिए आपने अपनी आँखों में कई सपने संजोए होंगे? आपके दिल में कई आशाएं होंगी? साथ ही मन में यह सवाल भी कौंध रहा रहा होगा कि ये सपने कैसे पूरे होंगे? क्या आपको वह खुशी मिल पाएगी जिसकी आपको कबसे हसरत है? कहते हैं कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है। मानव जन्म हुआ ही है कर्म करने के लिए। समय इस बात का गवाह है कि जिसने कर्म करने से इंकार कर दिया और भाग्य के भरोसे बैठा गया, उसके हाथों कुछ नहीं आता है। इसलिए निरंतर आगे बढ़ने से ही व्यक्ति को उसकी मंज़िल मिलती है।
अपनाएं ये आसान वास्तु टिप्स
आधुनिक वास्तु टिप्स के द्वारा आप अपनी आशाओं, सपनों और लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ आसान काम करनें होंगे। जैसे वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक चिन्ह अंकित करना चाहिए। स्वास्तिक चिन्ह मुख्य द्वार की शुद्धि हेतु बनाया जाता है। स्वास्तिक बनाने के लिए हल्दी रोली या गेरु खड़िया का प्रयोग करें। इसके अलावा बाजार में पिरामिड स्वास्तिक चिन्ह भी उपलब्ध है। जो कि मुख्य द्वार पर लगाए जा सकते हैं। साथ ही घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ हरियाली का प्रबंध करें। मुख्य द्वार पर गिलोय की चढ़ती हुई बेल मंगल ग्रह को शांत करती है। यह एंटीसेप्टिक के लिए भी कारगर है। गिलोय एक औषधीय गुणों वाला पौधा है, जो वातावरण को संक्रमण रहित बनाता है। यह बेल हमारे द्वार से आने वाले इन्फेक्शन से हमें बचाती है।
वहीं स्वागत कक्ष में मुख्य द्वार की तरफ मुख करते हुए लाफिंग बुद्धा या अंदर आता हुआ कछुआ उचित दिशा में लगाएं। कछुआ स्वास्थ्य व समृद्धि का प्रतीक होता है। यह अलग-अलग धातुओं का मार्केट में उपलब्ध है। विभिन दिशाओं के तत्वों के अनुसार इसे लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। स्वागत कक्ष की उत्तर पूर्व दिशा में क्रिसमस ट्री अवश्य लगाएं। यह शुभ व सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसमें फर्नीचर की व्यवस्था इस तरह करें कि घर का मुखिया का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में हो ऐसा करने से घर के मुखिया की बात का प्रभाव आने वाले आगंतुक पर पड़ता है।
अपनी आदतों में लाएं सकारात्मक बदलाव
नव वर्ष में कुछ ऐसी आदतों में बदलाव लाएं जो कि जिससे उसका प्रभाव आपके जीवन पर सकारात्मक पड़ता हो। प्रायः ऐसा देखा गया है कि लोग अपने शयनकक्ष में ही भोजन करते हैं। इस वर्ष शयन कक्ष में भोजन करने की आदत को त्यागें। शयन कक्ष में भोजन करने से हमारे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव हम पर पड़ता है। यह हमारे जीवन में क्रोध, लड़ाई व दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके विपरीत रसोई घर में भोजन करने की व्यवस्था करें जिससे कि हमारे राहु ग्रह की शांति बनी रहे।
कैलेण्डर 2019 में इस बात का रखें ध्यान
नए वर्ष पर हम नया कैलेंडर लगाते हैं। यह कैलेंडर घर की उत्तर या पूर्वी दीवार पर लगाएं। कैलेंडर में बने चित्रों पर अवश्य ध्यान दें। इन चित्रों का सकारात्मक होना बहुत ही आवश्यक है। प्रेरणादायी विचार वाले कैलेंडर का प्रयोग करें। अगर कैलेंडर में कोई देवी देवता का चित्र बना हो तो उसे दक्षिण दिशा में लगाने से बचें। साल के पहले दिन घर के मध्य या ब्रह्म स्थान की साफ सफाई करें। सर्वप्रथम अगरबत्ती जलाएं फिर धूप बत्ती बाद में कपूर व शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इससे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त होंगी।
वैभव और समृद्धि पाने के लिए करें ये उपाय
पेड़े पौधों के द्वारा भी वास्तु उपचार संभव है। घर की अग्नेय कोण( दक्षिण-पश्चिम) दिशा में बैगनी रंग के गमले में मनी प्लांट की बेल लगाएं। ऊपर की तरफ चढ़ती हुई मनी प्लान्ट को लगाने से समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है और आय के नए मार्ग सृजन होते हैं। इसी दिशा में गोल्डन फिश का जोड़ा भी लगाया जा सकता है। इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
घर की पश्चिम दिशा में पाँच लड़ी वाला विंड चाइम लगाएं। ऐसा करने से केतु ग्रह की शुद्धि होगी। आपकी एकाग्र शक्ति मज़बूती होगी और मानसिक चिंताएं दूर होंगी। इसके अलावा आप बुरी संगति से भी दूर रहेंगे। घर के सभी दरवाजो की ऑयलिंग करें। दरवाजों से आवाज़ आना अशुभ माना जाता है। घर में जो भी टूटे-फूटे सामानों को न रखें। रिश्तो में मिठास लाने के लिए शयनकक्ष में गुलाब का अरोमा डिस्पेंसर रखें। ऐसा करने से प्रेम, सहयोग व संतुलन की भावना विकसित होगी और जीवन में सुख शांति व समृद्धि का विस्तार होगा।
इस तरह के कुछ उपायों से आप अपने जीवन को सुखी और ख़ुशहाल बना सकते हैं। ध्यान रहे, ये छोटी-छोटी वास्तु टिप्स को अपनाकर आप बड़ी कामयाबी को प्राप्त कर सकते हैं।
आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें।
आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ
दीप्ति जैन एक जानी-मानी वास्तुविद हैं, जिन्होंने पिछले 3 सालों से वास्तु विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और प्रतिभा को बखूबी दर्शाया है। उनके इस योगदान के लिए उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। दीप्ति जैन न केवल वास्तु बल्कि सामाजिक मुद्दों, हस्तरेखा विज्ञान, अध्यात्म, कलर थेरेपी, सामुद्रिक शास्त्र जैसे विषयों की भी विशेषज्ञ हैं।