‘वसंत पंचमी’ माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाये जाने वाला हिंदू त्यौहार है। इस दिन हम विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। इसलिए इस पर्व को ‘श्री पंचमी’ भी कहते हैं। यह त्योहार भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के स्वागत हेतु जश्न के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में कई ऐसे तीज-त्यौहार हैं जो कि नई फसलों के आगमन में मनाए जाते हैं। इन पर्वों में बसंत पंचमी का नाम प्रमुख रूप से आता है। वसंत के मौसम में पूरा वातावरण व प्रकृति पीली स्वर्ण रूपी सरसों की फसल से खिल उठती है। जौ और गेहूं व आम के पेड़ों पर बौर आ जाती हैं।
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बसंत पंचमी में यह होता है पीले रंग का महत्व
इस दिन पीले रंग का बहुत महत्व है। वसंत पंचमी के दिन हर व्यक्ति पीले रंग के वस्त्र धारण करता है। पीला रंग वैष्णव धर्म व ज्ञान का प्रतीक है। पीला रंग सत्वगुण का प्रतीक हैं। पीला रंग पांच तत्वों में क्षितिज का प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी व्यक्ति मे पाँचो तत्वों का उचित मेल उसे पूर्णता प्रदान करता है। पीले रंग का प्रयोग व्यक्ति को ज्ञानवान, विवेकी व उदार बनाता है। आधुनिक वास्तु शास्त्र के अनुसार पीला रंग खांसी जुकाम, लीवर, अपज, पीलिया, कमज़ोर तंत्रिका तंत्र, गैस, सूजन, तिल्ली के रोगों आदि के उपचार में प्रयुक्त होता है। पीले रंग की वस्तु या वस्त्र के उचित प्रयोग व विशेषज्ञों की सलाह से गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार यह रंग गुरु ग्रह का प्रतीक है। वहीं लक्षण ज्योतिष के अनुसार मानसिक अशांति, नीरस जीवन, झगड़ालू वातावरण, असम्मान की स्थिति, धन का अपव्यय, गुरु ग्रह का दूषित होने का संकेत है। बसंत पंचमी का यह पर्व अपने गुरु ग्रह की शांति के लिए शुभ अवसर होता है। वसंत पंचमी के दिन अगर पीड़ित व्यक्ति भगवान विष्णु व माँ सरस्वती की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करता है, तो उसे उचित लाभ मिलता है।
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वसंत पंचमी में होने वाली पूजा की विधि
- भगवान विष्णु व माँ सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के आसन पर स्थापित करें।
- पीले रंग के वस्त्र अर्पण करें।
- हरसिंगार या गेंदे के पुष्प चढ़ायें।
- चंदन का टीका लगाएं तथा धूप जलाएं।
- शुद्ध देशी घी में हरसिंगार का इत्र डालकर दीप जलाएं।
- पीले मीठे चावल का भोग लगाएं।
- पीले चावल का दान व्यक्ति के गुरू व चंद्र ग्रह का शोधन करते हैं।
- इस प्रसाद का ज्यादा से ज्यादा लोगों में वितरण करें।
हरसिंगार की मीठी सुगंध वातावरण में व पंच तत्वों में संतुलन बनाने मे सहायक है। हरसिंगार के इत्र का दीपक पूरे वातावरण को संतुलित करता है। वहीं घी के दीपक जलने से शुक्र ग्रह शुभ होता है तथा शारीरिक व मानसिक विकास होता है। आर्थिक स्थिति व सम्बन्धों मे सुधार आता है। चंदन की खुशबू से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
वसंत पंचमी के दिन करें ये कार्य
इस दिन पपीते व केले का दान करना शुभ फल देता है। इस दिन अपने गुरु से आशीष अवश्य लें। उन्हें पीले रंग के वस्त्र दान करें। अपने घर की उत्तर व उत्तर पूर्व दिशा में पीले रंग का फूल का पौधा लगाएं। जिन विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन नहीं लगता, उनके लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। दीप धूप जलाएं एवं पीले रंग के पुष्प अर्पण करें। माँ सरस्वती की प्रतिमा के सामने एक पीले रंग के कागज़ पर लाल रंग की कलम से ग्यारह या इक्कीस बार माँ सरस्वती का ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिखें। इसके चंदन का टीका माता को लगाने के बाद अपने माथे पर भी लगाएं। माँ सरस्वती के आशीष से विद्यार्थी ज्ञानवान व एकाग्रचित्त बनता है।
आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ
दीप्ति जैन एक जानी-मानी वास्तुविद हैं, जिन्होंने पिछले 3 सालों से वास्तु विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और प्रतिभा को बखूबी दर्शाया है। उनके इस योगदान के लिए उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। दीप्ति जैन न केवल वास्तु बल्कि सामाजिक मुद्दों, हस्तरेखा विज्ञान, अध्यात्म, कलर थेरेपी, सामुद्रिक शास्त्र जैसे विषयों की भी विशेषज्ञ हैं।