सनातन धर्म में व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक माह में कोई न कोई व्रत व त्योहार जरूर पड़ता है। इसी क्रम में श्रावण मास का आख़िरी शुक्रवार बहुत ख़ास माना जाता है क्योंकि हर साल सावन का आख़िरी शुक्रवार माता वर लक्ष्मी को समर्पित होता है। यह व्रत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि मां वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई थी। शास्त्रों में मां वरलक्ष्मी के रूप को बेहद आकर्षक बताया गया है। उनके रूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि मां वरलक्ष्मी निर्मल जल व दूध की तरह सफेद हैं। साथ ही, सोलह श्रृंगार और आभूषणों से सुसज्जित हैं।
मान्यता है कि मां वरलक्ष्मी का ये व्रत रखने से अष्टलक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता समाप्त होती है। इस साल वर लक्ष्मी का व्रत काफ़ी ख़ास है क्योंकि इस बार इस दिन एक विशेष योग का निर्माण हो रहा है और इस विशेष योग के दौरान व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित कथा और उपाय के बारे में।
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वरलक्ष्मी व्रत 2023 की पूजा शुभ मुहूर्त
वरलक्ष्मी व्रत तिथि: 25 अगस्त 2023 (शुक्रवार)
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (सुबह): 25 अगस्त की सुबह 05 बजकर 55 से 07 बजकर 42 मिनट तक।
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (दोपहर): दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक।
कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त (शाम): शाम 06 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 50 मिनट तक।
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्य रात्रि): रात 10 बजकर 50 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 45 तक
वरलक्ष्मी व्रत पर बन रहा है शुभ योग
वरलक्ष्मी व्रत के दिन बेहद शुभ योग वैधृति योग का निर्माण हो रहा है। यह योग 24 अगस्त 2023 की शाम 08 बजकर 35 मिनट से 25 अगस्त 2023 शाम 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
वरलक्ष्मी व्रत दक्षिण भारत के राज्यों (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना) में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के वर लक्ष्मी स्वरूप की पूजा विधि-विधान से की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान पुण्यदायी मिलता है। इसके अलावा, गरीबी दूर होती है और सौभाग्य, सुख-शांति, संतान, अपार धन की प्राप्ति होती है। यही नहीं ऐसा माना जाता है कि देवी का वरलक्ष्मी रूप वरदान देता है और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है इसलिए देवी के इस रूप को वरलक्ष्मी कहा जाता है।
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वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
- वरलक्ष्मी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। फिर व्रत संकल्प लें।
- पूजा करने के लिए एक साफ चौकी लें उस पर लाल कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें और माता पर लाल चुनरी चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान को कुमकुम, चंदन, इत्र, धूप, वस्त्र, कलावा, फल और अक्षत भगवान को अर्पित करें।
- गणपति के समक्ष देसी घी का और माता लक्ष्मी के समझ सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद गणपति का नाम लें और उनके मंत्र का जाप करें।
- फिर माता वरलक्ष्मी की पूजा की शुरुआत करें।
- इसके बाद मां लक्ष्मी के मंत्र का कमलगट्टे या स्फटिक की माला से जाप करें। वरलक्ष्मी व्रत कथा जरूर सुनें व पढ़ें। इसके बाद अंत में आरती करें।
वरलक्ष्मी व्रत कथा
पौराणिक कथानुसार, मगध राज्य में कुंडी नामक एक नगर हुआ करता था। उस नगर में चारुमति के नाम की एक महिला रहती थी। चारुमति अपने परिवार के प्रति समर्पित थी, जो अपने सास, ससुर एवं पति की जिम्मेदारियों का निर्वहन अच्छे से करती थी। इसके अलावा वह माता लक्ष्मी की बड़ी भक्त थी। वे पूरे विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करती थी। एक दिन रात में सपने में आकर माता लक्ष्मी ने चारुमति को सावन मास की पूर्णिमा से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखने की बात कही।
चारुमति ने शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के द्वारा बताएं अनुसार नियमपूर्वक माता लक्ष्मी का व्रत किया। चारुमति की पूजा जैसे ही संपन्न हुई और वो कलश की परिक्रमा कर रही थी तो वैसे ही शरीर पर सोने के आभूषण सजने लगे थे और चारुमति पूरी तरह सोने के जेवरों से सज गई। साथ ही, चारुमति का घर भी धन-धान्य से भर गया। इसके बाद चारुमति ने नगर में सभी को इस व्रत के बारे में बताया, जिसके बाद नगर की सभी महिलाओं ने वरलक्ष्मी की व्रत रखना शुरू किया और इस तरह सभी की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई और इस तरह व्रत का महत्व बढ़ने लगा। तब से आज तक इस व्रत को लोग पूरे विधि विधान से रखते हैं।
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वरलक्ष्मी व्रत पर करें ये आसान ज्योतिष उपाय
वरलक्ष्मी व्रत के दिन कुछ आसान उपाय करना विशेष फलदायी साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
मनोकामना पूरी करने के लिए
मां लक्ष्मी के स्वरूप वरलक्ष्मी को कमल का फूल अति प्रिय है इसलिए इस दिन माता के चरणों में कमल का फूल जरूर अर्पित करें। यदि कमल का फूल न मिल पाए तो गुलाब या कोई सफेद फूल भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक की हर मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए
दांपत्य जीवन में खुशहाली प्राप्त करने के लिए व घर में सुख-समृद्धि बनी रहने के लिए पति-पत्नी दोनों को वरलक्ष्मी का व्रत करना चाहिए। साथ ही, कुछ ब्राह्मणों को घर बुलाकर भोजन करवाकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
आर्थिक जीवन मजबूत करने के लिए
माता लक्ष्मी को पीली व सफेद कौड़ियां काफी पसंद है इसलिए इस दिन मां के चरणों में 11 पीली या सफेद कौड़ियां अर्पित करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आप चाहे तो इन कौड़ियों को बाद में एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी, अलमारी आदि में रख सकती हैं। इससे आपका आर्थिक जीवन संतुलन में रहते है।
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कर्ज मुक्ति के लिए
मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए साथ ही, कर्ज से मुक्ति के लिए वरलक्ष्मी व्रत के दिन श्री सूक्त व कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
संतान प्राप्ति के लिए
माता लक्ष्मी को सफेद रंग के व्यंजन अति प्रिय है इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी को मखाने की खीर का भोग जरूर लगाएं। आप चाहे तो भोग में बताशा भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से सात्विक, अनुशासित और संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है।
इस दिन करें विशेष मंत्रों का जाप
जप करने का मंत्र
वरलक्ष्मी व्रत के दिन माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।। पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ।। ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट्।।
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