अगर कहा जाए कि नौ ग्रहों में से सबसे महत्वपूर्ण ग्रह शनि को माना गया है तो यह गलत नहीं होगा। कर्मफल दाता शनि का नाम सुनते ही कई लोग भयभीत हो उठते हैं क्योंकि उनके मन में ऐसी धारणा बन चुकी है कि शनि देव हमेशा बुरे परिणाम देते हैं। हालांकि ऐसा सही नहीं है। अपने नाम के अनुसार शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
शनि देव का गोचर भी उनकी ही तरह महत्वपूर्ण माना जाता है। हाल ही में 5 जून को शनि देव वक्री हुए थे और उनकी यह वक्री अवस्था 141 दिनों तक रहने वाली है। इसी कड़ी में अब शनिदेव 12 जुलाई को मकर राशि में अपनी वक्री अवस्था में ही गोचर करने वाले हैं। शनि की इस वक्री चाल से 12 जुलाई से धनु, मकर, और कुंभ राशि के जातकों की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।
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वक्री शनि: महत्व और अर्थ
किसी भी ग्रह की वक्री अवस्था या वक्री चाल का अर्थ होता है उसका उल्टी गति में चलना। ऐसे में बात करें शनिदेव की उल्टी चाल की तो इस दौरान कुछ राशियों को विशेष तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। साथ ही इस दौरान धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों को भी विशेष सावधान रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि इन राशियों की साढ़ेसाती शुरू होने वाली है।
हालांकि यहां घबराने वाली बात नहीं है शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं जिनकी जानकारी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं। साथ ही इस ब्लॉग में वक्री शनि के सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले अशुभ प्रभाव के बारे में भी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।
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वक्री शनि 2022: समय और अवधि
सबसे पहले बात कर लें समय और अवधि कि तो, वक्री शनि का स्वराशि मकर में गोचर 12 जुलाई, 2022 की सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर होने जा रहा है। अपनी इस अवस्था और इस राशि में शनि देव 23 अक्टूबर तक रहेंगे और इसके बाद शनि इसी राशि में मार्गी हो जाएंगे। स्वाभाविक सी बात है शनि का वक्री गोचर सभी 12 राशियों के जीवन पर विशेष प्रभाव डालेगा। अपनी राशि पर इस गोचर का प्रभाव जानने के लिए पढ़ें अपना विस्तृत गोचर फल।
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वक्री शनि के दुष्प्रभाव से बचाएंगे ये ज्योतिषीय उपाय
- शनिदेव की रोजाना पूजा करें।
- शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनि मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें।
- शनि से संबंधित वस्तुओं का गरीब लोगों में दान करें।
- विषेशतौर पर बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें।
वक्री शनि गोचर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- इस समय कुंभ राशि, मकर राशि, और धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं।
- ऐसे में धनु राशि के जातकों पर शनि साढ़ेसाती का यह आखिरी और अंतिम चरण है। शनि के इस परिवर्तन से धनु राशि के जातकों की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी।
- इसके अलावा मकर राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का यह दूसरा चरण है।
- कुंभ जातकों का शनि साढ़ेसाती का यह पहला चरण है।
- इसके अलावा मिथुन राशि और तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैया चल रही है।
ऐसे में विशेष तौर पर इन 5 राशि के जातकों को ऊपर दिए गए उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।
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वक्री शनि: गोचर फल और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके दसवें भाव यानी कि पेशे और प्रतिष्ठा के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करने जा रहे हैं। इस दौरान …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नौवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके नौवें भाव यानी कि पिता, आध्यात्मिकता और धर्म के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। आशंका है कि इस दौरान …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि आठवें और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके आठवें भाव यानी कि अनिश्चितताओं और रहस्य विज्ञान के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सातवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके सातवें भाव में यानी कि संगठन, साझेदारी और विवाह के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। जो लोग अपने…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके छठे भाव यानी कि रोग, प्रतिस्पर्धा, ऋण और सेवा के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान आपके…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें और छठे भाव के स्वामी हैं और यह आपके पांचवें भाव यानी कि शिक्षा, संतान और रोमांस के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। छात्रों के लिए यह समय…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि चौथे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके चौथे भाव यानी कि भवन तथा आराम के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। यदि आप लंबे…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं और यह आपके तीसरे भाव यानी कि साहस, लघु यात्रा और भाई-बहन के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान आपके…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए शनि दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं और यह आपके दूसरे भाव यानी कि परिवार, संवाद और धन के भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान आपके…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए शनि प्रथम भाव यानी कि व्यक्तित्व के भाव तथा दूसरे भाव यानी कि धन भाव के स्वामी हैं और यह आपके दूसरे भाव से प्रथम भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। इस दौरान आपकी…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि बारहवें भाव यानी कि विदेश यात्रा, व्यय और हानि के भाव तथा प्रथम भाव यानी कि व्यक्तित्व के भाव के स्वामी हैं और यह आपके बारहवें भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। जो लोग किसी …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शनि ग्यारहवें भाव और बारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके बाहरवें भाव से ग्यारहवें भाव में वक्री अवस्था में गोचर करेंगे। शनि का आपके बारहवें भाव से…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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