वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह एक निश्चित समयावधि पर ही गोचर करता है। ग्रहों के गोचर का प्रभाव आम जन-जीवन एवं देश दुनिया पर भली-भांति देखने को मिलता है। न्यायदाता शनि ने बीते माह जुलाई में वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश किया था और अब अगले महीने 23 अक्टूबर तक शनि ऐसे ही वक्री अवस्था में मकर राशि में रहने वाले हैं।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
भगवान सूर्य के पुत्र शनि देव को तीनों लोकों के न्यायधीश अथवा कर्मफल दाता माना जाता है। कहते हैं शनि देव सभी जातकों को उनके द्वारा किये गए कर्म के अनुसार फल देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्याम वर्ण होने की वजह से भगवान सूर्य ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था, जिसके चलते पिता-पुत्र एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं। शनिदेव यमराज और माँ यमुना के भाई हैं।
शनि देव को उनकी अशुभ दृष्टि की वजह से जाना जाता है जिस भी जातक पर इनकी दृष्टि पड़ जाती है उसका कुछ न कुछ अनिष्ट होना निश्चित है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, मान्यता है कि स्वयं देवों के देव महादेव के पुत्र श्री गणेश भी शनि देव के प्रभाव से नहीं बच पाए थे और उन्हें अपना सिर शनि की दृष्टिपात की वजह से गंवाना पड़ा था।
लेकिन फिर भी शनि देव सनातन धर्म में पूजनीय हैं। देश में उनके कई मंदिर हैं जहाँ श्रद्धालु सम्पूर्ण श्रद्धा भाव से शनि देव की पूजा करते हुए उनसे मन्नत मांगते हैं कि वह सदैव अपनी कृपा दृष्टि अपने भक्तों पर बनाए रखें। भगवान शनि की सवारी कर्कश आवाज़ वाला कौवा माना जाता है और काला रंग भगवान शनि को अत्यंत प्रिय है। यही नही शनि देव को नवग्रहों के बीच अहम स्थान प्राप्त है जो मानव जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
शनि देवता का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शनि को किसी भी जातक की कुंडली में दुख, रोग, पीड़ा, खनिज, तेल, लोहा, विज्ञान आदि का कारक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में वर्णित 12 राशियों में से दो राशियाँ यानी कि मकर और कुम्भ राशि पर शनि देव का आधिपत्य है। वहीं 27 नक्षत्रों के बीच यह पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों के स्वामी माने जाते हैं। शनि तुला राशि में उच्च होते हैं तो वहीं मेष राशि में नीच हो जाते हैं।
शनि को लेकर आमतौर पर लोगों के मन में यह धारणा बनी रहती है कि शनि लोगों का हमेशा अनिष्ट ही करते हैं लेकिन सत्य तो यह है कि शनि अगर किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थान पर बैठे हों तो वे शुभ फल भी प्रदान करते हैं और यदि शनि किसी जातक की कुंडली में नीच स्थान पर बैठे हों तो सामान्य स्थिति में उस जातक का जीवन कष्टों से भर जाता है।
शनि रिपोर्ट से जानें शनि की साढ़े साती और शनि की महादशा के बारे में सब कुछ
शनि का जीवन पर प्रभाव
शनि यदि किसी जातक की कुंडली में नीच हो जाये तो ऐसे जातक को जीवन में आर्थिक, शारीरिक और मानसिक पीड़ाओं का सामना करना पड़ता है। जीवन में दुर्घटनाओं के योग बनते हैं। साथ ही पिता से मनमुटाव भी बढ़ जाता है। कई जातकों के लिए कारावास तक के योग भी बनते हैं। शनि बुरी स्थिति में हो तो गंभीर रोगों जैसे कि कैंसर, पैरालिसिस, इत्यादि को जन्म देते हैं।
वहीं किसी जातक की कुंडली में यदि शनि शुभ फल देने की स्थिति में हो तो ऐसे जातक को सकारात्मक फल मिलते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से मेहनती, लग्नशील और न्यायप्रिय होते हैं। ऐसे जातकों का चित्त स्थिर होता है और वह काफी धैर्यवान हो जाते है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है और साथ ही ऐसे जातकों की आयु लम्बी होती है।
शनि की वक्री चाल से इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम
मेष राशि: स्वराशि मीन में शनि का वक्री होना मेष राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से फलदायी रहेगा। शनि देव मेष राशि में दशम भाव में वक्री हुए हैं, जो करियर, नौकरी और कारोबार का भाव माना जाता है। ऐसे में शनि का दशम भाव में वक्री होना इस राशि के जातकों के लिए मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगा। नई नौकरी अथवा प्रमोशन होने की भी प्रबल संभावनाएं हैं। यदि आप अपना कारोबार करते हैं तो शनि देव की कृपा से आपको सफलता प्राप्त होगी, जिससे आपको धन लाभ होगा। साथ ही कारोबार में विस्तार भी देखने को मिल सकता है। व्यापार में किया गया निवेश आपके लिए आर्थिक समृद्धि के द्वार खोलेगा।
मीन राशि: मीन राशि के जातकों को वक्री शनि व्यापार और नौकरी में अपार सफलता प्रदान करेंगे। मीन राशि से शनि 11वें भाव में वक्री होने जा रहे हैं, जो कि आय और लाभ का कारक माना जाता है। शनि अपनी इस वक्री स्थिति में जातकों को आर्थिक लाभ प्रदान करेंगे, साथ ही पदोन्नति के नए द्वार खुलेंगे। इस दौरान बनने वाले व्यापारिक संबंध आपके लिए प्रगति के द्वार खुलेंगे। स्टॉक मार्केट में निवेश भी आपके लिए लाभकारी हो सकते है। अगर आपका कारोबार या करियर शनि और गुरु ग्रह से संबंधित है तो आपको इस समय आपको सफलता मिल सकती है।
कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब
धनु राशि: शनि ग्रह का अक्टूबर तक वक्री रहना आपके लिए लाभप्रद साबित हो सकता है। शनि देव आपकी कुंडली से दूसरे भाव में वक्री हुए हैं, जिसे ज्योतिष में धन और वाणी का भाव माना गया है। इसलिए इस समय आपको शेयर मार्केट अच्छा धनलाभ हो सकता है। साथ ही आपको इस दौरान अटका हुआ धन भी प्राप्त हो सकता है। कारोबार में अच्छे धनलाभ के योग हैं। वहीं जिन लोगों का करियर वाणी से संबंधित है। उन लोगों के लिए यह समय कामयाबी भरा साबित हो सकता है। इस दौरान आप लोग वाहन और प्रापर्टी खरीद सकते हैं। लेकिन आप लोगों पर अभी शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। इसलिए आप लोगों को अभी वाहन संभालकर चलाना चाहिए।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।