संकटों से घिरे हैं तो उत्पन्ना एकादशी पर जरूर कर लें ये उपाय, पहले जान लें शुभ मुहूर्त व तिथि!

संकटों से घिरे हैं तो उत्पन्ना एकादशी पर जरूर कर लें ये उपाय, पहले जान लें शुभ मुहूर्त व तिथि!

सनातन धर्म में प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी की तिथियां पड़ती हैं। हर एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है। इसी क्रम में अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी तिथि सारी एकादशी तिथियों में बेहद ख़ास होती है। पौराणिक मान्यता है कि इस एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के जीवन से सभी दुख दूर हो जाते हैं और सभी पापों का नाश होता है। इसके अलावा, मोक्ष प्राप्ति के लिए भी ये एकादशी बहुत अधिक लाभकारी मानी जाती है। .

तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, किस दिन कौन से उपाय करने चाहिए व इस दिन पढ़ी जाने वाली कथा।

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उत्पन्ना एकादशी 2024: तिथि व समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है और इस साल यह व्रत 26 नवंबर 2024, मंगलवार के दिन किया जाएगा। 

एकादशी तिथि प्रारम्भ:  नवम्बर 26, 2024 की मध्यरात्रि 01 बजकर 04 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: नवम्बर 27, 2024 की सुबह 03 बजकर 49 मिनट तक।

उत्पन्ना एकादशी व्रत मुहूर्त 

उत्पन्ना एकादशी पारण मुहूर्त : 27 नवंबर 2024 की 01 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक

अवधि : 2 घंटे 6 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय : 27 नवंबर की सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक

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उत्पन्ना एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में उत्पन्ना एकादशी के व्रत को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी को ‘व्रतों की जननी’ भी कहा जाता है। इस व्रत के पीछे मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसे करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों का निवारण होता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति का मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं और वह आध्यात्मिक उन्नति की ओर आगे बढ़ता है।

उत्पन्ना एकादशी का व्रत व्यक्ति को पवित्रता और साधना का मार्ग दिखाता है। इस दिन साधक उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं, जिससे आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, इस दिन की जाने वाली पूजा विधि के बारे में।

  • उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद घर को स्वच्छ करें और पूजा स्थान को पवित्र करें।
  • फिर व्रत का संकल्प लें, भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर ध्यान करें।
  • भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, अगरबत्ती, अक्षत (चावल), फल, मिठाई, पंचामृत, जल, और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • जल, रोली, चंदन और अक्षत चढ़ाकर भगवान का अभिषेक करें।
  • तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित करें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं।
  • दीपक और धूप जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • यदि आप व्रत रख रहे हैं तो पूरे दिन उपवास रखें। फलाहार कर सकते हैं लेकिन अनाज और तामसिक भोजन से परहेज करें।
  • रात्रि में भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और उनकी कहानियां सुनें।
  • द्वादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत पारण करें।

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उत्पन्ना एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में, एक अत्यंत शक्तिशाली और क्रूर राक्षस था, जिसका नाम मुर हुआ करता था, जिसने देवलोक और पृथ्वीलोक दोनों में आतंक मचाया था। मुर इतना शक्तिशाली था कि उसे पराजित करना देवताओं के लिए भी असंभव हो गया था। उसके अत्याचारों से देवता त्रस्त होकर थे और उन्हें उस राक्षस से छुटकारा पाने के लिए भगवान विष्णु की शरण ली और उनसे सहायता की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने मुर का अंत करने का वचन दिया और उससे युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।

भगवान विष्णु और मुर के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ, जो कई दिनों तक चला। मुर को पराजित करना आसान नहीं था। युद्ध के दौरान भगवान विष्णु थक गए और बद्रिकाश्रम में एक गुफा के भीतर विश्राम करने चले गए। मुर ने सोचा कि यह सही अवसर है और उसने भगवान विष्णु पर अचानक हमला करने की योजना बनाई।

जब मुर ने भगवान विष्णु पर वार करना चाहा, तभी भगवान विष्णु की शक्ति से एक अद्भुत देवी प्रकट हुईं। देवी ने मुर के आक्रमण को विफल कर दिया और तुरंत उसका वध कर दिया। देवी का नाम उत्पन्ना देवी रखा गया, क्योंकि वे भगवान विष्णु की शक्ति से उत्पन्न हुई थीं। इस घटना के बाद भगवान विष्णु जागे और देवी की वीरता को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने देवी उत्पन्ना को वरदान दिया कि उनकी पूजा उत्पन्ना एकादशी के दिन की जाएगी और जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी और वह मोक्ष प्राप्त करेगा।

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उत्पन्ना एकादशी के दिन किए जाने वाले आसान उपाय

उत्पन्ना एकादशी के दिन किए गए उपाय विशेष फलदायी माने जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से जीवन के कष्टों का निवारण होता है। आइए जानते हैं, इस दिन किए जाने वाले कुछ शानदार उपाय।

तुलसी का पूजन करें

भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इसलिए उत्पन्ना एकादशी के दिन तुलसी के पौधे का पूजन करें, घी का दीपक जलाएं और उसके पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित करें। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

पीले वस्त्र धारण करें

इस दिन पीले वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय रंग है। ऐसा करने से आर्थिक जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।

घी का दीपक जलाएं

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और घर से दरिद्रता दूर जाती है।

उत्पन्ना एकादशी के दिन शंख बजाएं

उत्पन्ना एकादशी के दिन शंख बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है। शंख की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सुख-शांति लाती है।

भगवान विष्णु के मंत्र का जाप

इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। यह उपाय मानसिक शांति बहुत अधिक लाभकारी होता है।

दान-पुण्य करें

एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। इससे जीवन में समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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व्रत का पालन करें

इस दिन व्रत रखना विशेष लाभकारी होता है। यदि संभव हो, तो पूरे दिन निराहार व्रत रखें, अन्यथा फलाहार कर सकते हैं। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।

जल में तिल मिलाकर स्नान

उत्पन्ना एकादशी के दिन स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करें। यह उपाय आपके सभी पापों के नाश करती है और पुण्य की प्राप्ति करवाती है।

भगवान विष्णु की कथा सुनें

इस दिन भगवान विष्णु की कथा अवश्य सुननी और पढ़नी चाहिए। माना जाता है कि इसके बिना व्रत अधूरा होता है। इस दिन कथा सुनने से भक्तों को भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- उत्पन्ना एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?

शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।

2- उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब करना चाहिए?

उत्पन्ना एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर 2024 को रखा जाएगा।

3- उत्पन्ना एकादशी का मतलब क्या होता है?

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी व्रत मनाने की अनूठी परम्परा है। इसी दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी।

4- एकादशी का व्रत क्या खाकर तोड़ना चाहिए?

विशेष रूप से ध्यान रखें कि व्रत का पारण अन्न खाकर नहीं करना चाहिए। इसके बाद आप अन्य चीजें जैसे मेवे या फल आदि खा सकते हैं।