25 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि हिंदु धर्म का एक विशेष पर्व है। यह संस्कृत से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देशभर में यह त्यौहार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं, लेकिन एक चीज़ जो हर जगह सामान्य होती है वो है माँ दुर्गा की पूजा। हर व्यक्ति नवरात्र के समय में माता को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करता है और अपने सभी दुखों को दूर कर देने की प्रार्थना करता है।
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नवरात्रि के दौरान लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। माता में इतनी आस्था रखने के बावजूद, अभी भी आप नवरात्रि और माँ दुर्गा के विषय में बहुत सी बातों से अनजान होंगे। जैसे, नवरात्रि के आख़िरी दिन पर ही कन्या पूजन क्यों करते हैं? माता की सवारी क्या-क्या होती है? माता को क्या भोग लगाएँ! नवरात्रि के 9 दिनों में किन रंगों का इस्तेमाल करें, कौन से मंत्र का जाप करें। इस तरह की कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ आपको नहीं होंगी, इसीलिए अपने इस लेख के ज़रिए आज हम आपको नवरात्रि से जुड़ी सभी जानकारियाँ देंगे।
1 साल में कुल कितने होते हैं नवरात्र?
देवी पुराण के अनुसार एक साल में कुल चार नवरात्र होते हैं- दो प्रत्यक्ष(चैत्र और आश्विन) और दो गुप्त(आषाढ़ और माघ)। साल के पहले माह चैत्र में पहली नवरात्रि, साल के चौथे माह यानि आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि, अश्विन माह में तीसरी नवरात्रि और ग्यारहवें महीने में चौथी नवरात्रि मनाते हैं। इन चारों नवरात्रों में आश्विन माह की “शारदीय नवरात्रि” और चैत्र माह की “चैत्र नवरात्रि” सबसे प्रमुख मानी जाती है।
आने वाले सालों में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि की तारीख़
नवरात्रि |
2020 | 2021 |
2022 |
चैत्र नवरात्रि |
बुधवार, 25 मार्च 2020 | मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 | शनिवार, 2 अप्रैल 2022 |
शारदीय नवरात्रि |
शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 | गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 | सोमवार, 26 सितंबर 2022 |
चैत्र नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
साल में आने वाले सभी नवरात्रि ऋतुओं के संधि काल में होते हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान मौसम बदलता है और गर्मियों की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में बीमारी आदि होने का सबसे ज़्यादा खतरा रहता है। नवरात्रि का व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मानसिक शक्ति प्राप्त होती है और शरीर एवं विचारों की भी शुद्धि होती है।
नवरात्रि के पहले दिन क्यों करते हैं कलश स्थापना(घटस्थापना) ?
पुराणों के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है, इसलिए लोग माँ दुर्गा की पूजा से पहले कलश स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं।
कैसे करें घटस्थापना?
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त, सही समय और सही तरीके से ही घटस्थापना करनी चाहिए। पूजा स्थल पर मिट्टी की वेदी बनाकर या मिट्टी के बड़े पात्र में जौ या गेहूं बोएं। अब एक और कलश या मिट्टी का पात्र लें और उसकी गर्दन पर मौली बाँधकर उसपर तिलक लगाएँ और उसमें जल भर दें। कलश में अक्षत, सुपारी, सिक्का आदि डालें। अब एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े या लाल चुन्नी में लपेट लें। नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र में बांध लें। इन चीज़ों की तैयारी के बाद ज़मीन को साफ़ कर के पहले जौ वाला पात्र रखें, उसके बाद पानी से भरा कलश रखें, फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। अब आपकी कलश स्थापना की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर दुर्गा जी और शालीग्राम को विराजित कर उनकी पूजा करें। इस कलश को 9 दिनों तक मंदिर में ही रखें। आवश्यकतानुसार सुबह-शाम कलश में पानी डालते रहें।
किस दिन करें, किस देवी की पूजा?
- प्रतिपदा – शैलपुत्री
- द्वितीया – ब्रह्मचारिणी
- तृतीया – चंद्रघंटा
- चतुर्थी – कूष्मांडा
- पंचमी – स्कंदमाता
- षष्ठी – कात्यायनी
- सप्तमी – कालरात्रि
- अष्टमी – महागौरी
- नवमी – सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा के सोलह श्रृंगार?
कुमकुम या बिंदी | सिंदूर | काजल | मेहँदी |
गजरा | लाल रंग का जोड़ा | मांग टीका | नथ |
कान के झुमके | मंगल सूत्र | बाजूबंद | चूड़ियां |
अंगूठी | कमरबंद | बिछुआ | पायल |
क्या है सभी 9 देवियों के नाम का अर्थ?
- शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री
- ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी
- चंद्रघंटा – चाँद की तरह चमकने वाली
- कूष्माण्डा – पूरा जगत में फैले पैर
- स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता
- कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मी
- कालरात्रि – काल का नाश करने वाली,
- महागौरी – सफेद रंग वाली मां
- सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली।
नवरात्रि में क्यों बोया जाता है जौ?
नवरात्रि में जौ बोने के पीछे प्रमुख कारण यह माना जाता है कि जौ यानि अन्न ब्रह्म स्वरुप है, और हमें अन्न का सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा धार्मिक मान्यता के अनुसार धरती पर सबसे पहली फसल जौ उगाई गई थी।
नवरात्रि में क्यों करते हैं कन्या पूजन ?
छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है और वे ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं, इसीलिए नवरात्रि में इनकी विशेष पूजा करते हैं।
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उम्र के अनुसार कन्याओं को कौन सी देवी का स्वरूप मानते हैं!
- चार साल की कन्या – कल्याणी,
- पांच साल की कन्या – रोहिणी,
- छ: साल की कन्या – कालिका,
- सात साल की कन्या – चण्डिका,
- आठ साल की कन्या – शांभवी,
- नौ साल की कन्या – दुर्गा
- दस साल की कन्या – सुभद्रा
कन्या पूजन में क्यों भैरव के रूप में रखते हैं बालक ?
भगवान शिव ने माँ दुर्गा की सेवा के लिए हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है, इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी ज़रूरी होती है। तभी कन्या पूजन में भैरव के रूप में एक बालक को भी रखते हैं।
दिन के अनुसार तय होता है माता का वाहन !
नवरात्रि का पहला दिन यदि रविवार या सोमवार हो तो मां दुर्गा “हाथी” पर सवार होकर आती हैं। यदि शनिवार और मंगलवार से नवरात्रि की शुरुआत हो तो माता “घोड़े” पर सवार होकर आती हैं। वहीं गुरुवार और शुक्रवार का दिन नवरात्रि का पहला दिन हो तो माता की सवारी “पालकी” होती है। और अगर नवरात्रि बुधवार से शुरू हो तो मां दुर्गा “नाव” में सवार होकर आती हैं।
कौन-कौन से होते हैं माता के वाहन?
हाथी, घोड़ा, डोली, नाव, मुर्गा, भैंस, उल्लू, गधा, नंगे पांव, सिंह, हंस, बाघ, बैल, गरूड, मोर
माता के किन वाहनों को मानते हैं शुभ और किन्हें अशुभ
- हाथी- शुभ
- घोड़ा- अशुभ
- डोली- अशुभ
- नाव- शुभ
- मुर्गा-अशुभ
- नंगे पाव- अशुभ
- गधा- अशुभ
- हंस- शुभ
- सिंह- शुभ
- बाघ- शुभ
- बैल- शुभ
- गरूड- अशुभ
- मोर- शुभ
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नवरात्रि के 9 दिनों में 9 देवियों के 9 बीज मंत्र
दिन | देवी | मंत्र |
पहला दिन | शैलपुत्री | ह्रीं शिवायै नम:। |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी | ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। |
तीसरा दिन | चन्द्रघण्टा | ऐं श्रीं शक्तयै नम:। |
चौथा दिन | कूष्मांडा | ऐं ह्री देव्यै नम:। |
पांचवा दिन | स्कंदमाता | ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:। |
छठा दिन | कात्यायनी | क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:। |
सातवाँ दिन | कालरात्रि | क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:। |
आठवां दिन | महागौरी | श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:। |
नौवां दिन | सिद्धिदात्री | ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:। |
नवरात्रि के 9 दिनों में करें इन 9 रंगों का इस्तेमाल
- प्रतिपदा – पीला रंग
- द्वितीया – हरा रंग
- तृतीया – भूरा रंग
- चतुर्थी – नारंगी रंग
- पंचमी – सफेद रंग
- षष्ठी – लाल रंग
- सप्तमी – नीला रंग
- अष्टमी – गुलाबी रंग
- नवमी – बैगनी रंग
नवरात्रि के 9 दिनों में ज़रूर लगाएँ माँ दुर्गा को ये भोग
प्रतिपदा | द्वितीया | तृतीया | चतुर्थी | पंचमी | षष्ठी | सप्तमी | अष्टमी | नवमी |
गाय का घी |
शक़्कर | दूध व दूध की मिठाई | मालपुए | केला | शहद | गुड़ | नारियल |
तिल |
माता दुर्गा के पति कौन हैं?
माँ दुर्गा को भगवान शिव की पटरानी कहा जाता है।
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