यहाँ एक साथ तीन रूप में मौजूद हैं गणपति, हर मनोकामना करते हैं पूरी

भगवान गणपति ऐसे देवता हैं जिनका नाम किसी भी शुभ काम से पहले लेना चाहिए।  कहते हैं ऐसा करने से उस काम में सौ फीसदी सफ़लता मिलती है। आज इन्ही शुभकर्ता विघ्नहर्ता भगवान गणपति के एक ऐसे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ एक नहीं दो नहीं पूरे तीन गणपति एक साथ विराजते हैं।  इस मंदिर के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि एक बार भी अगर किसी भी भक्त को इनके दर्शन का सौभाग्य मिल जाता है तो उस भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होने की गारंटी मान ली जाती है.

इस मंदिर में नव-विवाहित जोड़े शादी के बाद दर्शन के लिए अवश्य आते हैं क्योंकि कहा जाता है कि अगर यहाँ से कोई आशीर्वाद ले लेता है तो उसका पूरा जीवन ख़ुशियों भरा बीतता है। इस मंदिर में मौजूद विनायक की तीनों मूर्तियां स्वयंभू हैं. इस मंदिर में आने वाले भक्त पहले चिंतामन के दर्शन करते हैं और फिर इच्छामन गणेश के दर्शन करते हैं। इनसे भक्त अपनी इच्छाएं पूरी होने के वरदान मांगते हैं। इसके बाद बारी आती है इस मंदिर में विराजित भगवान गणेश के तीसरे स्वरूप सिद्धिविनायक की जिन्हे रिद्धि-सिद्धि के दाता भी कहा जाता हैं.

मंदिर में स्थित चिंतामन भगवान, इच्छामन भगवान और सिद्धिविनायक जब एक बार किसी भी शुभ काम का ज़िम्मा अपने ऊपर ले लेते हैं तो उसे निर्विघ्न पूरा करके ही छोड़ते हैं. भगवान गणपति के दरबार में भक्तों को उनकी हर समस्या का निश्चित समाधान अवश्य ही मिलता है. उज्जैन में बने इस मंदिर में अगर बप्पा की मूर्ति अनूठी है तो वहीं इस मंदिर में पूजा का विधि विधान भी कुछ कम अनोखा नहीं है.

भगवान को दिया जाता है सबसे पहला निमंत्रण

भक्त मानते हैं कि अगर किसी भी शुभ काम से पहले यहाँ आकर भगवान से वो ख़ुशी बाँटी जाये, उन्हें उस मौके का निमंत्रण दिया जाये तो उस काम के निर्विघ्न पूरा होने की गारंटी हो जाती है। यही वजह है जिसके चलते पूजा के बाद मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर भक्त अपनी बात भगवान गणपति तक पहुँचाते हैं और फिर अपनी मनोकामना और इच्छा पूरी होने पर भक्त यहां आकर सीधा स्वस्तिक बनाकर भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं। कुछ भक्त मंदिर में मौली बांधकर भी बप्पा से अपनी इच्छा कहते हैं और बप्पा उसे भी अवश्य ही सुनते हैं।

उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान से मांगी जाती है मनोकामना

वैसे तो मध्य प्रदेश में भगवान गणपति के अनगिनत मंदिर हैं लेकिन उन सब में बप्पा का ये धाम सबसे ऊंचा दर्जा रखता है। यहाँ एक छत के नीचे विनायक के तीन-तीन रूपों का आशीर्वाद पा कर भक्त अपने भाग्य को सराहना नहीं भूलते हैं। वैसे तो किसी भी भगवान को खुश करना मुश्किल नहीं होता है लेकिन इस मंदिर  में विराजे गणपति भगवान को खुश करना बेहद ही आसान है। इस मंदिर में केवल भगवान को मोतीचूर के लड्डू चढ़ाने और मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाने भर से ही भगवान खुश होकर भक्तों की सभी मनोकामना पूरी कर देते हैं।

कहते हैं इस मंदिर में त्रेतायुग में भगवान राम और माता सीता खुद भगवान गणपति का आशीर्वाद मांगने के लिए आए थे। सुबह-सुबह ही मंदिर के द्वार खुलने के साथ ही मंदिर में चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक के स्वरूपों की पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो जाता है जो देर रात तक जारी रहता है. मंदिर का द्वार खुलते ही मंदिर के पुजारी भगवान चिंतामन का जल से अभिषेक करते हैं। इसके बाद भगवान को दूध, घी और पंचामृत चढ़ाया जाता है. पंचामृत से भगवानों के तीनों स्वरूपों का अभिषेक करने के बाद मूर्तियों पर घी और सिंदुर का लेप कर तीनों देवताओं का श्रृंगार किया जाता  है। इसके बाद मंदिर में आरती का सिलसिला शुरू हो जाता है।