तुर्की भूकंप 2023: ज्योतिषीय विश्लेषण!

तुर्की भूकंप 2023: तुर्की एक ऐसा गणराज्य है जो अपने खूबसूरत समुद्री तटों, चहल-पहल वाले बाज़ारों और अखरोट के फल (हेज़लनट) के लिए जाना जाता है क्योंकि दुनियाभर में हेज़लनट का 75% उत्पादन तुर्की में होता है और अब तुर्की बीते 24 घंटों में चार बार भूकंप के झटकों से कांप उठा है। यहाँ सबसे पहले आया भूकंप सबसे ज्यादा विनाशकारी था जो कि सोमवार को तुर्की और सीरिया में 7.8 की तीव्रता से आया और इसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस भूकंप में अपनी जान गंवाने वालों की संख्या अकेले तुर्की में ही 4000 को पार कर गयी है। हालांकि, बचाव अभियान लगातार चलने के कारण इस संख्या के अभी और बढ़ने की आशंका है। लेकिन अत्यधिक ठंड होने की वजह से बचाव कर्मियों को रेस्क्यू अभियान सुचारु रूप से चलाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि असल में तुर्की चार टेक्टोनिक प्लेटों पर बसा हुआ है जिसका सीधा अर्थ है कि किसी भी प्लेट में होने वाली हल्की-सी हलचल भी पूरे देश को हिलाकर रख सकती है।     

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एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको 06 फरवरी 2023 सोमवार को तुर्की और सीरिया के कुछ भागों में आये भूकंप के बारे में ज्योतिषीय दृष्टिकोण के माध्यम से जानकारी प्रदान करेगा। इस ब्लॉग में हम ज्योतिष के नज़रिये से तुर्की में घटित इस भयंकर घटना का विश्लेषण करेंगे कि कौनसा ग्रह इस तबाही के लिए जिम्मेदार है? जैसे कि हम सभी तुर्की की भौगोलिक स्थिति के बारे में तो जानते हैं लेकिन अब नज़र डालते हैं इसके ज्योतिषीय दृष्टिकोण पर।

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तुर्की: ज्योतिष की दृष्टि से 

यदि हम तुर्की की कुंडली के बारे में बात करें तो, लग्न मिथुन का है जिसमें कि चंद्रमा पहले भाव में विराजमान है। राहु तीसरे भाव में और केतु नौवें भाव में स्थित है जबकि लग्न भाव का स्वामी बुध पांचवें भाव में शनि, शुक्र और सूर्य के साथ मौजूद हैं। वहीं, छठे भाव का स्वामी मंगल चौथे भाव में और बृहस्पति देव छठे भाव में स्थित है। अब इन सभी बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद हम जानेंगे कि आखिरकार तुर्की को 24 घंटों के अंदर लगातार 4 भूकंप का सामना क्यों करना पड़ा।

  • तुर्की की कुंडली पर नज़र डालें तो हम देखेंगे कि तुर्की की सूर्य की महादशा के साथ शनि की अन्तर्दशा चल रही है। शनि देव आठवें भाव के स्वामी हैं जो कि दुर्घटना का भाव है और महादशा स्वामी के रूप में सूर्य आठवें भाव में स्थित हैं। मिथुन लग्न के लिए सूर्य एक अशुभ ग्रह है जो तीसरे भाव के स्वामी हैं।
  • शनि और सूर्य देव के बीच गोचर और भावों के स्वामी के रूप में संबंध का होना इस बात का प्रमाण है कि तुर्की के लिए यह समय कठिन है। हालांकि, सूर्य और शनि की दुश्मनी को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है।     
  • वर्तमान समय में चाहे हम राहु और केतु के गोचर के हिसाब से देखें या फिर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति के हिसाब से, यदि महादशा के स्वामी सूर्य एवं अन्तर्दशा के स्वामी शनि राहु और केतु के संपर्क में आते हैं तो सूर्य और शनि इन दोनों ग्रहों से प्रभावित हो रहे हैं। छाया ग्रह राहु-केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है और इन्हें भूकंप जैसी दुर्घटनाओं के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

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  • सामान्यतौर पर, भूकंप, दुर्घटनाओं आदि के लिए मंगल को कारक माना जाता है जो मानव जीवन को बड़ी संख्या में हानि पहुंचा सकता है। वर्तमान समय में छठे भाव के स्वामी के रूप में मंगल बारहवें भाव में गोचर कर रहे हैं जो कि अशुभ भाव होने के साथ-साथ त्रिक भाव भी है। 
  • राहु के स्वामित्व वाले स्वाति नक्षत्र में सूर्य और मंगल के आधिपत्य वाले चित्रा नक्षत्र में शनि की मौजूदगी के कारण तुर्की को इतने बड़े भूकंप का सामना करना पड़ा। 
  • लग्न भाव के स्वामी बुध मंगल ग्रह के स्वामित्व वाले नक्षत्र चित्रा में विराजमान हैं। ग्रहों की ये स्थिति परिस्थितियों को तुर्की के लिए चुनौतीपूर्ण बना रही है।

एस्ट्रोसेज की पूरी टीम इस मुश्किल दौर में तुर्की के साथ है और हमारे द्वारा यह एक छोटा सा प्रयास था पाठकों को यह समझाने के लिए कि ग्रहों की दशा और स्थिति किस प्रकार देश-दुनिया को प्रभावित कर सकती है। हम आशा करते हैं कि इस दुखद समय से तुर्की जल्द ही उबर सकें और उन सभी लोगों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं जिन्होंने इस विनाशकारी भूकंप में अपने प्रियजनों को खो दिया।   

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