आपने अक्सर देखा होगा कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति अपने निजी जीवन में बहुत ज्यादा परेशान और मानसिक कुण्ठा से ग्रसित होते हैं। खासतौर से जब किसी को उसकी समस्या का समाधान नहीं मिल पाता है तो उसे आत्महत्या करना ही एक मात्र रास्ता सूझता है और वह अपने बहुमूल्य जीवन को समाप्त कर लेता है। जहाँ एक तरफ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सुसाइड को मानसिक तनाव का कारण माना गया है वहीं दूसरी तरफ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कुछ ग्रहों के अशुभ योग को भी इसका प्रमुख कारण माना गया है।
कुंडली में राहु और चन्द्रमा का ऐसा संयोग बनने पर आत्महत्या की प्रवृति मन में आती है
किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि केंद्र में किसी चन्द्रमा की उपस्थिति ना हो तो उस व्यक्ति का ध्यान आत्महत्या की तरफ जा सकता है। कुंडली पर यदि राहु का अशुभ प्रभाव हो तो ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा सकता है। इसके अलावा तनावग्रष्त होकर उन्माद में आकर राहु और चन्द्रमा की ख़राब स्थिति बनने से व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है। अंकशास्त्र के अनुसार मूलांक 2, 4, 7 और 8 वाले जातकों के अंदर आत्महत्या करने की प्रवृति सबसे ज्यादा होती है।
ग्रहों की ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति आत्महत्या से बच सकता है
यदि व्यक्ति की कुंडली के केंद्र में केवल शुभ ग्रहों की उपस्थिति हो तो ऐसे में व्यक्ति के मन में आत्महत्या जैसी कुप्रवृति नहीं आती है। यदि कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत हो तो, ऐसे में व्यक्ति जीवन की सभी समस्याओं का सामना कुशलतापूर्वक करते हुए कभी भी अपने मन में आत्महत्या का विचार नहीं लाते है। कुंडली में होने वाले ग्रह नक्षत्रों के शुभ परिवर्तन से भी इस कुविचार से बचा जा सकता है।
कुंडली में आत्महत्या के योग होने पर इन उपायों को जरूर करें
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पहले से ही आत्महत्या के योग हों तो ऐसी स्थिति में कुछ विशेष उपायों को अपनाकर आप आत्महत्या के ख़्याल से बच सकते हैं। सुसाइड की प्रवृति से बचने और इस दोष के निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं :
आत्महत्या की प्रवृति से बचने के लिए नियमति रूप से भगवान् शिव और कृष्ण जी की विधिवत पूजा अर्चना करें। ऐसा करने से आपकी कुंडली में मौजूद आत्महत्या के योग भी दूर हो सकते हैं।
कुंडली में अगर आत्महत्या के योग हों तो ऐसे व्यक्ति को कभी भी मोती या हीरे के आभूषण नहीं धारण करना चाहिए।
आत्महत्या की कुप्रवृति से बचने के लिए जहाँ तक हो सके शारीरिक परिश्रम करें।
ऐसे व्यक्तियों को माँस, मछली और शराब आदि के सेवन से हमेशा दूर रहना चाहिए।