हिन्दू धर्म में भादो माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि का समय श्राद्धपक्ष या पितृपक्ष कहलाता हैं। बीते 13 सितंबर से श्राद्धपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, इस दौरान लोग अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण क्रिया करते हैं। पिंडदान के लिए अमूमन लोग बिहार स्थित गया जाते हैं। लेकिन आज हम आपको भारत के कुछ अन्य पितृस्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें पिंडदान के लिए प्रमुख स्थल माना जाता है। पितरों का पिंडदान अवश्य किया जाना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइये जानते हैं उन दस महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में जहाँ पिंडदान की क्रिया की जाती है।
बद्रीनाथ
बता दें कि बद्रीनाथ स्थित ब्रह्म कपाल तीर्थस्थल को मुख्य रूप से पिंडदान के लिए बेहद ख़ास माना जाता है। यहाँ आकर लोग पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान की क्रिया करते हैं। ब्रह्म कपाल तीर्थस्थल अलखनंदा नदी के तट पर स्थित है।
देव प्रयाग
उत्तराखंड स्थित देव प्रयाग को भी पूर्वजों के पिंडदान के लिए बेहद पवित्र स्थल माना जाता है। यहाँ पितृपक्ष के दौरान आकर आप पितरों के पिंडदान की क्रिया विधि पूर्वक कर सकते हैं।
हरिद्वार
उत्तराखंड स्थित हरिद्वार को भी पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। बता दें कि यहाँ मुख्य रूप से सप्तगंगा, त्रि गंगा और शक्रावर्त में विधि पूर्वक पितरों के लिए पिंडदान की क्रिया संपन्न की जाती है।
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कुरुक्षेत्र
आपको जानकर शायद हैरानी हो लेकिन पंजाब के अंबाला से सटे कुरुक्षेत्र को भी पिंडदान की क्रिया के लिए प्रमुख स्थान माना जाता है। कुरुक्षेत्र में सरस्वती नदी के तट पर पिंडदान की क्रिया संपन्न की जाती है।
मथुरा
जी हाँ मथुरा के ध्रुव घाट पर धूरव टीले के पास तर्पण और पिंडदान की क्रिया संपन्न करवाई जाती है। यहाँ श्राद्ध के दौरान लोगों की भाड़ी भीड़ नजर आती है जो हर साल अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए आते हैं।
बिठूर
उत्तरप्रदेश के कनपुर से सटे बिठूर में भी पिंडदान की क्रिया की जाती है। बता दें बिठूर स्थित ब्रह्मा घाट पर पितरों के लिए तर्पण क्रिया करवायी जाती है।
अयोध्या
शास्त्रों में अयोध्या को सभी सात पुरी में से एक पुरी माना गया है। यहाँ सरयू नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण क्रिया करना बेहद शुभ माना जाता है। रामनगरी अयोध्या में पिंडदान करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
प्रयागराज
इलाहाबाद प्रयागराज को वैसे भी बेहद पवित्र स्थल माना जाता है। यहाँ तीन नदियों के संगम पर पिंडदान की क्रिया करना ख़ासा लाभकारी माना जाता है। देव भूमि प्रयागराज में विधि पूर्वक पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध क्रिया के लिए जरूर जाएँ।
वाराणसी
वाराणसी या काशी को मुख्य रूप से शिव जी का स्थान माना जाता है। कहते हैं कि यहाँ मणिकर्णिका घाट पर पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। तमाम पितृस्थानों में से एक काशी को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है।
गया
अंत में आपको बताते हैं भारत के बेहद प्रमुख पितृस्थान गया के बारे में। माना जाता है कि इस जगह को स्वयं देवताओं ने मृतक आत्मा की शांति के लिए चुना था। इसलिए यहाँ हर साल विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान हज़ारों की संख्या में लोग आकर अपने पितरों के लिए पिंडदान की क्रिया करते हैं।
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