हम सभी जानते हैं कि व्यक्ति के जीवन में प्रत्येक ग्रह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और इनका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ता है। इसी प्रकार, नवग्रहों के राजा माने जाने वाले और अपनी रोशनी से संसार को रोशन करने वाले सूर्य का भी अपना महत्व है जो कुंडली में मज़बूत होने पर व्यक्ति को सुख-समृद्धि, सफलता प्रदान करते हैं। लेकिन यदि आप राजयोग जैसा सुख, वैभव एवं ऐश्वर्य पाना चाहते हैं तो एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको सूर्य देव के एक ऐसे अचूक उपाय के बारे में बताएगा जिससे आप ये सब अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं। लेकिन सबसे पहले जानते हैं दान और इसके महत्व के बारे में।
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आदित्य मंडल दान से सूर्य देव होंगे प्रसन्न
सनातन धर्म में किये जाने वाला कोई भी कार्य बिना दान-पुण्य के पूरा नहीं माना जाता है। जब ये दान-पुण्य किसी ख़ास दिन या फिर अमावस्या, पूर्णिमा के दिन किया जाता है तो विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलने लगती है। हालांकि, दान के विषय में पुराणों में वर्णित है कि पुण्य कमाने से पाप कर्मों में कमी आती है।
धर्मग्रंथों में कई तरह के दान के बारे में बताया गया है और उन्हीं में से एक है आदित्य मंडल दान। ज्योतिष के अनुसार, आदित्य मंडल दान को करने से सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कुंडली में उपस्थित कई प्रकार के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। माना जाता है कि इस दान को करने से सूर्य देव जातक से प्रसन्न होकर राजयोग जैसा सुख प्रदान करते हैं। आइये अब आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं कि आदित्य मंडल दान की विधि पर।
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आदित्य मंडल दान कैसे करें?
आदित्य मंडल दान को बहुत ही लाभकारी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने सबसे पहले धर्मराज़ युधिष्ठिर को इस दान के बारे में बताया था। आदित्य मंडल दान को करने के लिए ‘जौ’ (यव) में गुड़ और गाय का घी मिलाकर आदित्य मंडल के आकार का पुआ बनाया जाता है और इसके पश्चात सूर्य देव की उपासना करके उनके सामने लाल चंदन से मंडप बनाया जाता है और इस मंडप के ऊपर सूर्य मंडल को रख दिया जाता है।
दान के समय इस मंत्र का करें जाप
भगवान सूर्य की पूजा के बाद ब्राह्मण को बुलाकर उन्हें लाल रंग के वस्त्र, दक्षिणा और सूर्य मंडल का दान श्रद्धाभाव से करना चाहिए। इस दान को करते समय नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करें। मान्यता है कि इस मंत्र को दान करते वक़्त जाप करने से पुण्य प्राप्त होता है।
आदित्यतेजसोत्पन्नं राजतं विधिनिर्मितम्
श्रेयसे मम विप्र त्वं प्रतिगृहेणदमुत्तमम्
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