सूर्य का नक्षत्र गोचर: सबसे पवित्र नक्षत्र में सूर्य के गोचर से चमकने वाला है इन राशियों का भाग्य!

एक और महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की जानकारी लेकर ऐस्ट्रोसेज अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से एक बार फिर आपके सामने पेश है। हमारी हमेशा से यही कोशिश रही है कि हम अपने रीडर्स को हर एक ज्योतिषीय घटना की जानकारी आपको सबसे पहले प्रदान कर सकें। इसी कड़ी में सूर्य 20 जुलाई, 2023 को नक्षत्र गोचर करने वाला है जिस दौरान वह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश कर जाएगा। आइए अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं पुष्य नक्षत्र में सूर्य के गोचर का लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानते हैं पुष्य नक्षत्र का अर्थ क्या होता है, इसके कौन-कौन से पद होते हैं, और यह गोचर सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करने वाला है। 

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नक्षत्र गोचर भी राशि गोचर जितना ही महत्वपूर्ण होता है और किसी विशेष समय पर किसी विशेष ग्रह द्वारा दिए जाने वाले परिणामों की सही भविष्यवाणी करने में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। सूर्य वर्तमान में कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं और पुष्य नक्षत्र में गोचर करने वाले हैं जो चंद्रमा द्वारा शासित कर्क राशि में आता है।

पुष्य नक्षत्र में सूर्य गोचर- समय 

सूर्य का एक राशि में गोचर आमतौर पर लगभग 30 दिनों की अवधि के लिए होता है। इस समय रेखा के अंदर आमतौर पर सूर्य दूसरी राशि में गोचर का जाता है। लगभग इन 30 दिनों की अवधि में सूर्य उस राशि विशेष के अंतर्गत आने वाले अलग-अलग नक्षत्रों से भी गुजरता है। इस बार सूर्य चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर कर रहा है और इसी कड़ी में 20 जुलाई 2023 को शाम 5 बजकर 08 मिनट पर पुष्य नक्षत्र में गोचर कर जाएगा।

पुष्य नक्षत्र 

बात करें पुष्य नक्षत्र की तो सभी 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र पुष्य नक्षत्र होता है। पुष्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है पोषक। कहते हैं इस नक्षत्र के तहत पैदा हुए व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह नक्षत्र गाय के थन का प्रतिनिधित्व करता है। पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से सबसे प्रिय नक्षत्रों में से एक माना गया है क्योंकि इस पर गुरु बृहस्पति और कर्म के ग्रह शनि का शासन होता है इसीलिए किसी भी तरह की आध्यात्मिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए यह नक्षत्र बेहद अनुकूल माना जाता है। इसके अलावा देखभाल, पालन-पोषण, उपचार, दान पुण्य, आदि इस नक्षत्र के तहत पैदा हुए जातक ने अंदर देखने को मिलता है। यह नक्षत्र बेहद ही शुभ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र कर्क राशि में अंश 03:20 से 16:40 तक रहता है। पुष्य नक्षत्र के देवता का दर्जा गुरु बृहस्पति को प्राप्त है।

पुष्य नक्षत्र के 4 पद 

पुष्य नक्षत्र का पहला पद: पुष्य नक्षत्र का पहला पद सूर्य द्वारा शासित सिंह नवांश में पड़ता है। यहां उपलब्धि, धन, परिवार, पैतृक गौरव, इत्यादि पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस पद में ग्रहों का मजबूत सहयोग होता है। 

पुष्य नक्षत्र का दूसरा पद: पुष्य नक्षत्र का दूसरा चरण बुध द्वारा शासित कन्या नवांश में आता है। यहां कड़ी मेहनत करने वाले जातकों की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस पद में अच्छे भौतिक परिणाम प्राप्त होते हैं। 

पुष्य नक्षत्र का तीसरा पद: पुष्य नक्षत्र का तीसरा पद या चरण शुक्र द्वारा शासित तुला नवांश में आता है। यहां घर परिवार और विलासिता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। 

पुष्य नक्षत्र का चौथा पद: पुष्य नक्षत्र का चौथा चरण मंगल ग्रह के स्वामित्व वाली वृश्चिक नवांश में आता है। यह गुप्त पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। जो जातकों को दिव्य शक्तियों से जोड़ने का काम करता है। हालांकि सहिष्णुता और दूसरों पर निर्भरता जैसे नकारात्मक लक्षण भी यहां देखने को मिलते हैं।

ज्योतिष में सूर्य ग्रह

खगोलीय दृष्टि से सूर्य पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा का मुख्य और सबसे बड़ा स्त्रोत माना गया है। साथ ही यह सभी जीवित जीव जीवों, और प्राणियों के अस्तित्व का आधार भी है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य राशि चक्र की पांचवी राशि सिंह का स्वामी है और काल पुरुष कुंडली के पांचवें घर का भी स्वामी है। सूर्य मेष राशि में 19 डिग्री पर उच्च का हो जाता है और तुला डिग्री तुला राशि में 10 डिग्री पर नीच का माना जाता है। सूर्य 28 में से तीन नक्षत्रों कृतिका नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी है। 

सूर्य चंद्रमा, मंगल, और बृहस्पति के साथ मित्रता रखता है, बुध के साथ इसके संबंध तटस्थ हैं, वहीं शनि, शुक्र, राहु, और केतु के साथ उसके रिश्ते शत्रुत्व हैं। सूर्य जातक के पिता, आत्मा, अहंकार, सरकार, का कारक माना जाता है। इसके अलावा सूर्य ग्रह शक्ति, अधिकार, नियंत्रण, आत्मविश्वास, आकर्षण, आदि जैसी विशेषताओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है उनका जीवन बेहद ही शानदार होता है और उन्हें इस बात का अच्छी तरह से एहसास होता है कि वह कौन हैं और उनका जन्म किस काम के लिए हुआ है। 

ज्योतिष में शनि ग्रह 

शनि मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि को न्याय का स्वामी माना गया है। साथ ही यह उन सभी चीजों का प्रतिनिधित्व करता है जिन से हम अपने दैनिक जीवन में देरी अनुशासन जैसे बचने की कोशिश करते हैं। शनि को बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह और एक कठिन कार्यकर्ता ग्रह माना गया है जिससे कर्म के स्वामी का भी दर्जा प्राप्त है। यही वजह है कि शनि ग्रह को ग्रहों के बीच न्यायाधीश कहा जाता है। 

शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र का स्वामी भी होता है इसीलिए कोई भी भविष्यवाणी करने से पहले शनि की महिमा और शक्ति को जानना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। पुष्य नक्षत्र ही नहीं शनि अनुराधा नक्षत्र और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पर भी शासन करता है। शनि अपने मित्र शुक्र द्वारा शासित राशि तुला में उच्च का होता है और मंगल द्वारा शासित मेष राशि में नीच का माना गया है।

पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव 

  • ऐसे जातकों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बेहद ही व्यवस्थित होता है। ऐसे जातकों के पास काम करने की सटीक योजना होती है और उस पर यह कायम भी रहते हैं। ऐसे जातक अपने जीवन में भ्रमित नहीं होते हैं और उन्हें बेहद ही सही ढंग से पता होता है कि उन्हें अगला क्या कदम उठाना है। 
  • ऐसे जातकों में आध्यात्मिक गहराई देखने को मिलती है। पुष्य नक्षत्र को आध्यात्मिक विकास के लिए सबसे अच्छा नक्षत्र माना गया है। ऐसे में ऐसे जातक जीवन उसके उद्देश्य और किसी महान चीज से उसके संबंध के बारे में सवाल पूछने के लिए जाने जाते हैं। मुमकिन है कि आपको उसका उत्तर भी मिल जाता है। 
  • कई बार अपने ज़िद्दी रवैया के चलते आप चीजों को सही ढंग से देख नहीं पाते हैं। ऐसे जातक लोगों या फिर किसी बात के प्रति इतने समर्पित हो जाते हैं कि यह देख ही नहीं पाते कि वह किस क्षेत्र से कैसे जुड़ते हैं। 
  • ऐसे जातक अपने प्रियजनों के प्रति बेहद सुरक्षात्मक हो सकते हैं। दोस्तों और खासकर के परिवार के लोगों के प्रति आपकी निष्ठा और समर्पण सराहनीय होता है। हालांकि अपने रिश्ते को हद से ज्यादा सुरक्षात्मक होकर के कई बार यह रिश्ते खराब भी कर सकते हैं। ऐसे में इसका विशेष ध्यान रखें। 
  • पुष्य नक्षत्र के तहत पैदा हुए जातक विशेष रूप से आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे लोग साधना में समर्पित होते हैं और बेहद ही निष्ठावान होते हैं। 
  • ऐसे जातक स्वतंत्र स्वभाव के होते हैं और अगर आपको कोई चीज पसंद नहीं होती है तो आप इसको बिल्कुल भी नहीं अपनाते हैं। 
  • ऐसे व्यक्तियों में बेहद ही ज्यादा आत्म नियंत्रण और तपस्या देखने को मिलती है। जिससे आप अपनी अधिकांश इच्छाओं और भावनाओं को नियंत्रण में रखने में कामयाब होते हैं। साथ ही ऐसे जातक शायद ही कभी अपना संयम खोते हैं।

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पुष्य नक्षत्र में सूर्य गोचर का राशि अनुसार प्रभाव और भविष्यवाणी

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी है और पुष्य नक्षत्र में इन जातकों के लिए चतुर्थ भाव में गोचर करने वाला है। क्योंकि नक्षत्र के देवता बृहस्पति का भी जातकों पर प्रभाव पड़ेगा इसीलिए इस राशि के जातक अपने घर परिवार के वातावरण और घरेलू सुख-सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते नजर आएंगे। जिन व्यक्तियों का सूर्य चतुर्थ भाव में है वह इस अवधि में बेहद सक्रिय और रोमांचक घरेलू जीवन के माध्यम से खुद को अलग करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा ऐसे जातक अपने घर परिवार से जुड़े ढेरों काम करते और दूसरों की तुलना में अपने घर की गुणवत्ता और सुंदरता पर गर्व करते नजर आ सकते हैं।

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी है और अपने पुष्य नक्षत्र में गोचर के दौरान आपके तीसरे भाव में आ जाएगा। तीसरे भाव में सूर्य वृषभ राशि के जातकों को जोखिम लेने की क्षमता और कठिन लेकिन महत्वपूर्ण कार्य करने का साहस प्रदान करेगा। सूर्य की यह स्थिति वृषभ राशि के जातकों के जीवन में विलासिता प्रदान करेगी। ऐसे जातक वफादार रहेंगे। तृतीय भाव में सूर्य व्यक्ति को निपुण प्रकाशन एवं संपादन कार्य से जुड़े लोगों को शुभ परिणाम प्रदान करेगा। ऐसे व्यक्ति अपने शब्दों की शक्ति का उपयोग करके सामने वाले को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही ऐसे व्यक्ति सरकार और प्रशासन से लाभ प्राप्त करने में भी कामयाब रहेंगे।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव का स्वामी है और पुष्य नक्षत्र में गोचर के दौरान आपके दूसरे भाव में स्थित हो जाएगा। यह जातकों को अपने कौशल और व्यक्तित्व की बहुमुखी प्रतिभा के माध्यम से वित्तीय सफलता प्राप्त करने में सहायक साबित होगा। ऐसे जातक पैसों के मामलों में कंजूस नहीं होते हैं बल्कि उदारता पूर्वक खर्च करने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। विशेष तौर पर जब वह अपने दोस्तों और सहकर्मियों के बीच होते हैं तब। इस अवधि में मिथुन राशि के जातकों को अपने परिवार के लोगों का पूरा सहयोग मिलेगा। साथ ही जो जातक पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं वह इस गोचर से अपार लाभ कमाएंगे। इस नक्षत्र में सूर्य पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े जातकों को लाभ प्रदान करेगा। वह अच्छा मुनाफा कमाएंगे और जीवन में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। सूर्य आपके विरोधियों और शत्रु को परास्त करने और उन पर विजय दिलाने में भी आपकी सहायता करेगा।

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके बारहवें भाव का स्वामी है और अपने इस नक्षत्र गोचर के दौरान आपके पहले भाव में स्थित होगा। ऐसे में कर्क राशि के जो जातक सरकारी नौकरी के क्षेत्र से जुड़े हैं उनके लिए यह समय लाभदायक रहेगा। इसके अलावा राजनेताओं को भी इस गोचर से लाभ मिलेगा लेकिन क्योंकि सूर्य बारहवें भाव का स्वामी भी है इसीलिए इस अवधि में आपके जीवन में अनावश्यक खर्चे बढ़ सकते हैं। आप पैसे बचाने में सक्षम नहीं होंगे या फिर अपनी कमाई से अधिक खर्च करते नजर आएंगे। कर्क राशि के कुछ जातकों का आत्मविश्वास अति आत्मविश्वास में बदल सकता है। इस अवधि में आपकी सोच ऐसी हो सकती है कि आपकी फैसले आपके लिए सबसे अच्छे हैं और उससे बेहतर कोई आपके बारे में सोच नहीं सकता। एक मैनेजर के रूप में आप अपने अधीनस्थों के साथ अनुचित व्यवहार करते नजर आ सकते हैं। जिससे लोगों के बीच आप की अपेक्षा हो सकती है साथ ही इनमें से कुछ लोग आपके दुश्मन भी बन सकते हैं। ऐसे में सावधान रहें। 

सिंह राशि 

सूर्य सिंह राशि के प्रथम भाव का स्वामी है और शासक ग्रह भी है और पुष्य नक्षत्र में गोचर के दौरान आपके बारहवें भाव में प्रवेश कर जाएगा। यहां सूर्य सिंह राशि के जातकों को आध्यात्मिक झुकाव प्रदान करेगा लेकिन सामान्य तौर पर जीवन में बहुत सारे तनाव की वजह भी बन सकता है। मुमकिन है कि इस दौरान जातकों का मन अव्यवस्थित रह सकता है और आपको अपने जीवन में ढेरों उतार-चढ़ाव से गुजारना पड़ सकता है। इस अवधि में सिंह राशि के जातकों को अपने परिवार से दूर भी जाना पड़ सकता है और आपके खर्चों में अपार वृद्धि देखने को मिलेगी। मुमकिन है कि आप अपनी कमाई और अपने खर्चों के बीच संतुलन बनाने में सक्षम नहीं होंगे लेकिन अगर अन्य ग्रहों की स्थिति या समर्थन करती है तो आपकी आय स्थिर हो सकती है और यहां पर चिंता की कोई बात नहीं होगी। 

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कन्या राशि 

सूर्य कन्या राशि के बारहवें भाव का स्वामी है और पुष्य नक्षत्र में गोचर के दौरान आपके ग्यारहवें भाव में स्थित होगा। कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव का स्वामी होने के चलते आपके खर्चों में वृद्धि कराएगा। इस अवधि में आपका विदेश जाने का सपना पूरा हो सकता है। इसके साथ ही यह समय सोशल नेटवर्किंग के बीच कुछ टकराव का सामना करने की स्थिति बना सकती है। मुमकिन है कि इस अवधि में आपके कार्यस्थल पर राजनीति हो जिसमें आप को घसीटा जा सकता है। इसके अलावा आपके प्रेम संबंधों के लिहाज से भी यह समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि सूर्य आपके प्रेम और रोमांस के पांचवें घर पर दृष्टि डाल रहा है। ऐसे में यह समय आपके जीवन में ढेरों मानसिक तनाव लेकर आ सकता है। 

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके दशम भाव में स्थित होगा। इस अवधि में लंबे समय तक एक ही जगह पर या एक ही स्थिति में रहना आपको बेचैन कर सकता है। आप अपने जीवन में हमेशा ऊर्जा से भरपूर रहते हैं और हमेशा सफलता की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं। यह आपके जीवन में सूर्य का प्रभाव ही है। ऐसे में हर समय प्रगति की इच्छा रखना स्वाभाविक है। हर कोई चाहता है कि आपके जैसी नेतृत्व और प्रबंधकीय क्षमता उनके पास हो। इसके साथ ही आपके करीबी लोग आपको अपने पास पाकर बेहद ही खुश होंगे क्योंकि सामाजिक नेटवर्क का ग्यारहवें भाव का स्वामी दसवें भाव में गोचर कर रहा है। 

आपको अपने प्रयासों से भौतिक सुख सुविधाएं भी प्राप्त होंगी। आपके उद्देश्य और इरादे और आपका ध्यान सही राह पर है। इसके अलावा अपने पेशेवर विकास के बारे में अनावश्यक चिंता ना करें क्योंकि गोचर से आपको इस संदर्भ में पर्याप्त अवसर मिलने की प्रबल संभावना है। हालांकि अन्य ग्रहों का प्रभाव भी यह तय करेगा कि आप इन संभावनाओं को समय रहते अपने जीवन में शामिल कर पाएंगे या नहीं। 

वृश्चिक राशि 

सूर्य आपके दशम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान धर्म और भाग्य के नवम भाव में गोचर कर जाएगा। नवम भाव में सूर्य की स्थिति वाले जातक आशावाद और सकारात्मकता से भरे होते हैं। उनमें एक ऐसा उत्साह होता है जो किसी भी समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने में कारगर साबित होता है। आप अपने कर्म के माध्यम से लोगों को प्रभावित करते हैं। नवम भाव में सूर्य वृश्चिक राशि के जातकों को पिता और आध्यात्मिक गुरुओं से लाभ कमाने में मदद प्रदान करेगा। ऐसे जातक आध्यात्मिक प्रगति के भी हो सकते हैं। आप मुमकिन है कि इस समय में किसी आध्यात्मिक तीर्थ स्थल पर जाने की योजना बनाएँ या फिर कहीं तीर्थ यात्रा पर भी आप जाने का विचार कर सकते हैं।

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धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके नवम भाव का स्वामी है और अपने इस नक्षत्र गोचर के दौरान आपके अष्टम भाव में आ जाएगा। सूर्य के इस गोचर के परिणाम स्वरूप आपको विरासत के माध्यम से संपत्ति प्राप्त होने की प्रबल योग बनते नजर आ रहे हैं। साथ ही इस अवधि में आप अपने वित्त का प्रबंधन बेहद ही समझदारी से करते नजर आएंगे। मुमकिन है कि आपके इस समझदार प्रबंधन को देखकर आपके पिता या फिर ससुर अपनी सारी संपत्ति आपको देने का निर्णय कर सकते हैं। इस राशि के जातकों को घूमना ज्यादा पसंद होता है और ऐसे में घूमने के लिए आप हमेशा तैयार नजर आते हैं। दुनिया के अलग-अलग स्थानों पर जाना आपको बेहद पसंद है क्योंकि आप थोड़े घुमक्कड़ स्वभाव के हैं और आपको घूमना बेहद ही पसंद है।

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके अष्टम भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके सप्तम भाव में स्थित होगा। सातवां घर विवाह, व्यवसायिक साझेदारी, और यौन संबंध जैसे प्रतिबद्ध और कानूनी बंधनों का प्रतिनिधित्व करता है। सातवें घर में सूर्य की प्रतिकूल स्थिति में सूर्य जातकों के वैवाहिक जीवन में परेशानी की वजह बन सकता है। इसका यह भी अर्थ निकलता है कि कभी-कभी ज्यादा अहंकार और आक्रामकता या फिर क्रोध के चलते आपके वैवाहिक जीवन में इस अवधि में कुछ बड़े और बेहद ही नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य आपके सप्तम भाव का स्वामी है और अपने इस नक्षत्र गोचर के दौरान आपके छठे भाव में स्थित हो जाएगा। छठे भाव में सूर्य वाले लोग अपने आप में पूर्णतावादी होते हैं और जब बात आती है दूसरों से काम लेने की तो बेहद ही ज्यादा आधिकारिक स्वभाव के हो जाते हैं। यह लोग स्वयं अपने कौशल की सराहना करते हैं लेकिन कभी-कभी इसी वजह के चलते दूसरे लोग उनके दुश्मन बन जाते हैं और आपको नुकसान पहुंचाने या आपसे बेहतर बनने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि छठे भाव में सूर्य अपने दुश्मनों पर विजय हासिल करने की शक्ति प्रदान करता है।

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान आपके पंचम भाव में आ जाएगा। पंचम भाव में सूर्य मीन राशि के जातकों को खेल में अपनी प्रतिभा साबित करने और इसी क्षेत्र में एक शानदार करियर बनाने के लिहाज से मददगार साबित होने वाला है। यदि आप इन क्षेत्रों में पेशेवर बन जाते हैं तो आप इन गतिविधियों से प्रसिद्धि और अच्छी मात्रा में धन अर्जित करने में कामयाब रहेंगे। पंचम भाव में सूर्य रचनात्मक दिमाग भी प्रदान करता है। ऐसे लोग ऊर्जा और बुद्धि से भरपूर होते हैं और अपने साहसी और विलक्षण स्वभाव के दम पर सफलता हासिल करते हैं।

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सूर्य का पुष्य नक्षत्र में गोचर- कारगर ज्योतिषीय उपाय

  • रविवार के दिन गुड, गेहूं और तांबे का दान करें। 
  • रविवार को छोड़कर बाकी सभी दिन तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें। 
  • रोजाना आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
  • अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा लाल और नारंगी रंग शामिल करें। 
  • रोज तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाल करके सूर्य को अर्घ्य दें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

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