सभी नवों ग्रहों में राजा का पद सूर्य को दिया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया है कि सूर्य आत्मा और पिता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। इसलिए ही कहा गया है कि सूर्य सृष्टि को चलाते हैं और अपने तेज से जनजीवन को प्रभावित करते हैं। सूर्य की कृपा हो तो इंसान को मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और पिता का साथ और स्नेह मिलता है।
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि सूर्य के विभिन्न भावों में होने से किस तरह का फल मिलता है।
पहले भाव में सूर्य का होना
अगर किसी जातक की कुंडली के पहले भाव में सूर्य के शुभ होता है तो इससे व्यक्ति ईमानदारी से धन कमाने में विश्वास रखता है और ऐसे इंसानों को सरकारी क्षेत्र से धन की प्राप्ति होती है।
दूसरे भाव में सूर्य का होना
अगर किसी जातक की कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य है तो वो भी विशेष फलदायी माना गया है। दूसरे भाव में सूर्य वाला इंसान आत्मनिर्भर होने के साथ शिल्पकला में माहिर खिलाड़ी होगा। ऐसे इंसान को हमेशा उसके परिवार का सहयोग मिलता है।
तीसरे भाव में सूर्य का होना
अगर किसी इंसान की कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य की स्थिति है तो इसे भी शुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति आत्मनिर्भर होने के साथ अमीर होते हैं और उसके कई छोटे भाई-बहन होते हैं। ऐसे व्यक्ति पर भगवान का आशीर्वाद होगा और वह अपनी बुद्धि के बल पर कमाई करेगा।
चौथे भाव में सूर्य का होना
कुंडली के चौथे भाव में सूर्य के शुभ होने से व्यक्ति सौम्य स्वभाव का होता है और बुद्धिमान होने के साथ अच्छा प्रशासक भी होता है। ऐसे इंसानों की कमाई काफी अच्छी होती है इसलिए ऐसे लोग अपने बच्चों के लिए काफी पैसा छोड़कर जाते हैं।
पांचवें भाव में सूर्य का होना
पांचवें भाव का शुभ सूर्य व्यक्ति के बच्चों का विकास करवाने वाला होता है। ऐसे इंसानों का परिवार सुखी और समृद्ध होता है और ऐसे व्यक्ति के बच्चों पर इसका शुभ प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि ऐसे जातकों की संतान अगर समय पर हो तो इससे और ज्यादा फायदा होता है।
छठे भाव में सूर्य का होना
सूर्य के कुंडली के छठे भाव में होना ज्यादा शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली तो होते हैं, लेकिन इनके जीवन-साथी के साथ इनकी दिक्कत बनी रहती है। ऐसे जातकों की पत्नी के क्रोधी स्वभाव के होने की वजह से तकलीफ़ होती है।
सातवें भाव में सूर्य का होना
कुंडली के सातवें भाव में सूर्य की स्थिति पूरी तरह से दूसरे ग्रहों के साथ तालमेल पर निर्भर करती है। सातवें भाव में सूर्य शुभ माना जाता है और बृहस्पति, मंगल या चंद्रमा दूसरे भाव में है, तो व्यक्ति को सरकार में मंत्री के जैसा पद प्राप्त होता है।
आठवें भाव में सूर्य का होना
आठवें भाव के शुभ सूर्य के होने पर व्यक्ति पुण्य करने वाला प्रतापी और राजा के समान गुण वाला होता है। जिस भी इंसान की कुंडली में सूर्य इस भाव में होता है उस व्यक्ति को 22वें साल में सरकार को सहयोग मिलता है।
यहाँ जानें : सूर्य ग्रह का 12 भावों में फल लाल किताब के अनुसार
नौवे भाव में सूर्य का होना
कुंडली के नौवें भाव का अनुकूल सूर्य व्यक्ति को अच्छे फल प्रदान करता है। ऐसे लोगों का स्वभाव बहुत अच्छा होता है। ये लोग अपने अच्छे स्वभाव के लिए ही जाने जाते हैं और ऐसे इंसान दूसरों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं।
दसवें भाव में सूर्य का होना
कुंडली के दसवें भाव का सूर्य सरकार से लाभ और सहयोग दिलवाता है। ऐसे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत होती है।
ग्याहरवें भाव में सूर्य का होना
ग्यारहवें भाव का शुभ सूर्य व्यक्ति को सरकार से लाभ दिलवाता है। ऐसे लोगों को बेटे ज्यादा होते हैं और इस तरह का व्यक्ति परिवार में मुखिया की भूमिका निभाते हैं।
बारहवें भाव में सूर्य का होना
बारहवें भाव का शुभ सूर्य पारिवारिक सुख देने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति को धन की प्राप्ति 24वें साल के बाद होती है और उन्हें कारोबार में अच्छा मुनाफ़ा भी होता है।