सूर्य का कुंभ राशि में गोचर: देश और दुनिया भर में आएंगे कैसे बदलाव?

सूर्य का कुंभ राशि में गोचर धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। कारण यह है कि सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और पृथ्वी पर जीवन और प्रकाश का मुख्य स्रोत है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सूर्य हमारे पुराणों में उल्लेखित सूर्य देव का स्वरूप है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य देव हमें जीवन, बल और ऊर्जा प्रदान करते हैं और हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं। भक्तजन सूर्य देव को प्रसन्न करने एवं उनका सम्मान करने के लिए प्रतिदिन विधिवत अर्घ्य देते हैं। साथ ही प्रत्येक रविवार को ‘सूर्य नमस्कार’ भी करते हैं।

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यदि सूर्य देव किसी जातक की कुंडली में बलवान हों तो वह जातक दृढ़ निश्चयी और हर कार्य में सफलता प्राप्त करने वाला होता है। साथ ही वह हमेशा अपने जीवन को पॉज़िटिव नज़रिए से देखता है तथा सुखद जीवन व्यतीत करता है। सूर्य देव की कृपा से जातक अपने जीवन में सफलता और मान-सम्मान प्राप्त करता है।

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सूर्य देव 13 फरवरी 2023 की सुबह 09 बजकर 21 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। हम जानते हैं कि सूर्य देव जिस दिन किसी विशेष राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस राशि की संक्रांति मनाई जाती है इसलिए 13 फरवरी 2023 को कुंभ संक्रांति का पर्व भी मनाया जाएगा। दूसरी ओर, कुंभ राशि में शनि देव पहले से ही विराजमान हैं। ऐसे में सूर्य और शनि देव कुंभ राशि में युति करेंगे, जो कि बेहद दिलचस्प है क्योंकि ज्योतिष में सूर्य और शनि एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माने गए हैं। हालांकि सूर्य और शनि देव पिता-पुत्र का संबंध रखते हैं, इसलिए ज़्यादा चिंता करने की बात नहीं है। आगे चलकर हम सूर्य-शनि की युति के प्रभावों पर विस्तार से बात करेंगे, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि कुंभ राशि में सूर्य और शनि जातकों के लिए कैसे साबित होंगे।

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कुंभ राशि में सूर्य देव

कुंभ वायु तत्व की राशि है, जिस पर शनि देव का शासन है। सूर्य देव का संबंध अग्नि तत्व से है। यहां कुंभ राशि और सूर्य देव की ऊर्जाएं विषम प्रवृत्ति की हैं, इसलिए सूर्य देव क्रोधित हो सकते हैं, मगर पिता-पुत्र का संबंध होने के कारण यह शांतिपूर्ण ढंग से पेश आएंगे।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य का कुंभ राशि में गोचर जातक को भावुक बनाता है, जिसके कारण वह हमेशा ज़रूरतमंद लोगों की मदद करता है और समाज कल्याण के बारे में ज़्यादा सोच-विचार करता है। सूर्य देव के प्रभाव वाले जातक को यदि मौका दिया जाए तो वह एक अच्छे नेता के रूप में उभरकर सामने आ सकता है क्योंकि सूर्य देव नेतृत्व कौशल भी प्रदान करते हैं। ऐसे जातक ओपन-माइंडेड और ईमानदार होते हैं। बस ये लोग इमोशनल होने से बचते हैं।

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कुंभ राशि में शनि देव

कुंडली का ग्यारहवां भाव यानी कि सोशल नेटवर्क और लाभ का भाव कुंभ राशि द्वारा शासित होता है, जो कि राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि है। जब कुंभ राशि में शनि देव का प्रवेश होता है तो दोनों एक-दूसरे को अविश्वसनीय रूप से गहन तरीके से प्रेरित करते हैं क्योंकि शनि देव कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं और कुंभ राशि के जातक बुद्धिमान, दूरदर्शी और खुले विचारों वाले होते हैं।

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कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति: देश और दुनिया पर प्रभाव

  • कुंभ राशि में सूर्य-शनि की युति के प्रभाव से देश की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार होने के योग बनेंगे।
  • सूर्य के इस गोचर दौरान, भारत सरकार नई योजनाओं के साथ आ सकती है। हो सकता है कि देश में चिकित्सा सहायता या देखभाल सस्ती कीमतों पर उपलब्ध करा दे या फिर समाज के सबसे निचले तबके को मुफ्त में चिकित्सा सेवा देने का ऐलान कर दे। इसके अलावा सरकार चिकित्सा से संबंधित मौजूदा योजनाओं में बदलाव भी कर सकती है। 
  • दुनिया भर में मेडिकल रिसर्च को गति मिलेगी। ऐसे में नए चिकित्सा आविष्कार या नई चिकित्सा तकनीक आशा की किरण बनकर सामने आ सकते हैं। 
  • इस गोचर के दौरान चिकित्सा उपकरणों (मेडिकल टूल्स) का व्यापार गति पकड़ सकता है।
  • जो लोग लकड़ी के प्रोडक्ट जैसे कि फर्नीचर आदि से जुड़े व्यवसाय में हैं या कच्ची लकड़ी की डीलरशिप का काम करते हैं, उन्हें इस गोचर के दौरान लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • सोने की कीमतों में कुछ हद तक स्थिरता आ सकती है।
  • आशंका है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुछ नए वायरस, संक्रमण, एलर्जी या बुखार लोगों को परेशान कर सकते हैं।
  • सामाजिक कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों, कलाकारों और पर्यावरण इंजीनियर्स के लिए यह अवधि अनुकूल साबित होगी।
  • ऊन, ऊनी प्रोडक्ट या फिर बुने हुए कपड़ों का व्यापार और निर्यात (एक्सपोर्ट) बढ़ सकता है।
  • कृषि से संबंधित गतिविधियों को लोकप्रियता मिलेगी।

सूर्य और शनि देव के शुभ प्रभाव पाने के उपाय

  • प्रतिदिन सुबह तांबे के बर्तन (कलश) से सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
  • प्रत्येक रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • ग़रीब/निर्धन लोगों को लाल या माणिक्य रंग के कपड़े दान करें।
  • ग़रीब/निर्धन लोगों को उड़द की दाल दान करें।
  • ज़रूरतमंद एवं वंचित लोगों की सेवा करें।

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