गुरूवार का दिन देशभर के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है, क्योंकि इसी दिन इस बात का पता चलेगा कि जनता ने इस बार किस राजनीतिक दल को देश की कमान सौंपने का फैसला किया है। लेकिन इससे पहले कि परिणामों की घोषणा हो, विपक्षी दलों ने EVM मशीन के मुद्दे को हवा देना शुरू कर दिया है। इस मामले में विपक्ष के करीब 21 दलों ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाज़ा खट-खटाते हुए बीते दिनों लोकसभा चुनाव की मतगणनना में वीवीपीएटी से निकलने वाली तमाम पर्चियों(100 फीसदी) का मिलान ईवीएम से कराने की मांग एक याचिका द्वारा की। ऐसे में अब सुप्रीमकोर्ट ने इसी याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए विपक्ष को झटका दे दिया है।
सुप्रीमकोर्ट ने फैसला देश की जनता पर छोड़ा
दरअसल वीवीपैट के ईवीएम से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यही नहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि, “ऐसी अर्जियों को बार-बार नहीं सुना जा सकता।” सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इस मामले पर अपना बयान सुनाते हुए ये भी कहा कि, “भारत की जनता को अपनी सरकार चुनने देना चाहिए, हम इसके बीच नहीं आ सकते।”
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की बैंच ने सुनाया फैसला
इस संदर्भ पर बोलते हुए न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने फैसला सुनाते हुए ये कहा कि, “चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ पहले ही इस मामले में अपना आदेश पारित कर चुकी है, ऐसे में दोबारा इसी याचिका पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है। हम बार-बार एक ही तरह की याचिका पर विचार नहीं कर सकते।”
याचिका संगठन पर लगाया काम में विघ्न डालने का आरोप
जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता टेक फॉर ऑल से कहा कि, “आप काम में विघ्न डाल रहे हैं। 100 फ़ीसदी लोगों द्वारा सरकार चुनी जाती है और हम इसके रास्ते में नहीं आना चाहते। कृपया देश को अपनी सरकार चुनने दी जाए।”
विपक्ष के खोखले दावों पर सुप्रीम कोर्ट ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
बताते चलें कि विपक्षी दलों ने अपनी इस याचिका में दावा किया था कि “ईवीएम के डिज़ाइन में कुछ ख़ामियाँ हैं, लिहाजा वीवीपीएटी से निकलने वाली तमाम पर्चियों (100 फीसदी) का मिलान ईवीएम से किया जाना चाहिए।” इस मामले में याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने बीते मंगलवार को इसी याचिका का उल्लेख करते हुए इस मामले में जल्द सुनवाई करने की मांग की थी लेकिन अब सुप्रीमकोर्ट का बयान आने पर ये साफ़ हो गया है कि कोर्ट की बैंच इस याचिका पर विचार करने के पक्ष में बिलकुल भी दिखाई नहीं दे रही है। लेकिन बावजूद इसके याचिकाकर्ता संगठन के वकील द्वारा बार-बार इस मामले पर सुनवाई करने की याचिका पर अदालत ने अब सख्त रुख दिखाते हुए इस याचिका को ही खारिज कर दिया है।
इससे पहले भी याचिका हुई थी खारिज
बताते चलें कि इस याचिका से पहले 7 मई को भी सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू समेत 21 विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्चियों में से कम से कम 25 फीसदी पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराने की मांग वाली एक और याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट हर संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीट की वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराने का आदेश दे चुकी है।