भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अनेकों ऐसे योगों की चर्चा की गयी है जो कि व्यक्ति के भौतिक जीवन को ही नहीं बल्कि व्यक्ति पूर्व जन्मों के कर्मो को प्रकट कर एक आनंदमय जीवन को प्राप्त कराता है। परन्तु इन योगों में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग हैं, और जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति के अनुसार ये अच्छे या बुरे परिणाम देते हैं। ऐसे ही दो योग हैं सुनफा और अनफा योग।
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ये दोनों ही योग जातक की कुंडली में चंद्रमा की मजबूत स्थिति के कारण बनते हैं। यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो राजयोग जैसे शुभ योग होते हुए भी उनका फल नहीं मिल पाता। अगर आपको भी अपनी कुंडली में मौजूद राजयोग की कोई भी जानकारी प्राप्त करनी है तो राजयोग रिपोर्ट इसमें आपके लिए सहायक साबित हो सकती है।
कुंडली में चंद्रमा की मजबूती सबसे ज्यादा मायने रखती है, क्योंकि इसी से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कुंडली में सुनफा-अनफा योग शुभ माने जाते हैं, इन दोनों योगों में से किसी भी एक योग से शुभ फल पाने के लिए कुंडली में चंद्रमा का मजबूत होना अनिवार्य है। यदि जातक का जन्म शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के बीच में हुआ हो, और चन्द्रमा के अंश 10 से 20 के बीच में हों तथा वह क्रूर-पापी ग्रहों से दृष्ट न हो, और वह स्वयं अशुभ स्थानों का अधिपति न हो, तो ऐसे में चन्द्रमा बली तथा शुभ प्रभाव देने वाला होता है।
सुनफा योग
ज्योतिष शास्त्र में सुनफा योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार, यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा से अगले घर में कोई ग्रह स्थित हो तो कुंडली में सुनफा योग बनता है। जो जातक को धन, संपत्ति तथा प्रसिद्धि प्रदान कर सकता है। किसी कुंडली में केवल सूर्य के ही चन्द्रमा से अगले घर में स्थित होने पर कुंडली में सुनफा योग नहीं बनता तथा ऐसी स्थिति में सूर्य के साथ कोई और ग्रह भी उपस्थित होना चाहिए।
उदाहरण के लिए यदि किसी कुंडली के नवमें घर में चन्द्रमा स्थित हो तथा कुंडली के दसवें घर में सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह स्थित हो तो कुंडली में सुनफा योग बनता है। अपनी प्रचलित परिभाषा के अनुसार सुनफा योग बहुत सी कुंडलियों में बन जाता है, किन्तु इनमें से बहुत से जातकों को इस योग के शुभ फल प्राप्त नहीं होते जिसके चलते इस योग के किसी कुंडली में बनने के लिए कुछ अन्य तथ्यों पर भी विचार करना आवश्यक है।
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किसी कुंडली में सुनफा योग बनने के लिए चन्द्रमा को उस कुंडली में शुभ होना चाहिए तथा चन्द्रमा से अगले घर में स्थित ग्रह अथवा ग्रहों को भी कुंडली में शुभ होना चाहिए तथा इनमें से किसी भी ग्रह के कुंडली में अशुभ होने की स्थिति में कुंडली में सुनफा योग नही बनेगा अथवा ऐसा सुनफा योग क्षीण होगा। इसके अतिरिक्त किसी कुंडली में सुनफा योग बनाने के लिए चन्द्रमा का किसी भी अशुभ ग्रह के प्रभाव से रहित होना भी आवश्यक है जिसका अर्थ यह है कि कुंडली में चन्द्रमा के साथ कोई अशुभ ग्रह स्थित न हो तथा कुंडली में कोई अशुभ ग्रह अपनी दृष्टि से भी चन्द्रमा पर अशुभ प्रभाव न डाल रहा हो क्योंकि किसी कुंडली में शुभ चन्द्रमा पर एक अथवा एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव कुंडली में बनने वाले सुनफा योग के शुभ फलों को कम अथवा बहुत कम कर सकता है।
सुनफा योग के शुभ फल निश्चित करने से पहले कुंडली में चन्द्रमा का बल तथा स्थिति आदि भी देख लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में चन्द्रमा के कर्क राशि में चौथे घर में स्थित होने से बनने वाला सुनफा योग कुंडली में चन्द्रमा के वृश्चिक राशि में आठवें घर में स्थित होने से बनने वाले सुनफा योग की तुलना में कहीं अधिक प्रबल तथा शुभ फलदायी होगा।
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सुनफा-अनफा योग का फल
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में सुनफा-अनफा योगों का सृजन होता हो, तो वह जातक यशस्वी, प्रतापी, समृद्धशाली, दयालु ,धनवान तथा किसी भी वर्ग-प्रखण्ड आदि का मुखिया होता है, उत्तम स्वास्थ्य, मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है अथवा अध्यात्म में रूचि बढ़ती है, यह योग जातक को शांतिपूर्वक जीवन जीने योग्य परिस्थितियां प्रदान करते हैं, जातक को इन दोनों योगों के शुभ फल इन दोनों ग्रहों की दशा-अंतर्दशा के मध्य प्राप्त होते हैं।
सुनफा योग
सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से दूसरे स्थान में हों तो उसे सुनफा योग कहते हैं, इस योग वाला व्यक्ति अपनी शैक्षिक योग्यताओं के लिए प्रसिद्ध व धनवान होगा, और जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करेगा ।
मंगल सुनफा योग फल
अगर कुण्डली में चन्द्र से दूसरे स्थान में मंगल स्थित हो, तो मंगल सुनफा योग बनता है। यह योग व्यक्ति को पराक्रमी, धनवान, कडक मिजाज, निष्ठुर वचन बोलने वाला, भूमि का स्वामी, हिंसा में रुचि रखने वाला बनाता है।
बुध सुनफा योग फल
बुध से सुनफा योग हो तो व्यक्ति वेद शास्त्र और संगीत में कुशल होता है। वह धर्मात्मा होता है। उसे काव्य करने में विशेष रुचि होती है। अपने गुणों के कारण वह सबका प्रिय होता है। इस योग का व्यक्ति शरीर से सुन्दर होता है।
गुरु सुनफा योग फल
गुरु से सुनफा योग बन रहा हो तो व्यक्ति अनेक विद्याओं का आचार्य होता है। अपनी योग्यता के कारण वह हर ओर विख्यात होता है। धर्म का पालन करने वाला होता है, व परिवार सहित धन से सम्पन्न होता है।
शुक्र सुनफा योग फल
सुनफा योग कुण्डली में शुक्र से बन रहा हो तो व्यक्ति खेती करने वाला, भूमि से युक्त, गृ्ह, वाहन को रखने वाला होता है। वह पराक्रमी व राजमान्य भी होता है। इसके अतिरिक्त उसमें चतुरता का गुण भी पाया जाता है।
शनि सुनफा योग फल
शनि से सुनफा योग हो तो व्यक्ति न्यायप्रिय होता है, वह अधिक मेहनती, गुणी, और भाग्यवान होता है।
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अनफा योग
ज्योतिष शास्त्र में अनफा योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा से पिछले घर में कोई ग्रह स्थित हो तो कुंडली में अनफा योग बनता है जो जातक को स्वास्थ्य, प्रसिद्धि तथा आध्यात्मिक विकास प्रदान करने वाला होता है। ज्योतिषियों का मानते हैं कि इस योग की गणना के लिए सूर्य का विचार नहीं किया जाता जिसका अर्थ यह है कि किसी कुंडली में केवल सूर्य के ही चन्द्रमा से पिछले घर में स्थित होने पर कुंडली में अनफा योग नहीं बनता तथा ऐसी स्थिति में सूर्य के साथ कोई और ग्रह भी उपस्थित होना चाहिए।
उदाहरण के लिए यदि किसी कुंडली के चौथे घर में चन्द्रमा स्थित हों तथा कुंडली के तीसरे घर में सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह स्थित हों तो कुंडली में अनफा योग बनता है। अपनी प्रचलित परिभाषा के अनुसार अनफा योग बहुत सी कुंडलियों में बन जाता है किन्तु इनमें से बहुत से जातकों को इस योग के शुभ फल प्राप्त नहीं होते जिसके चलते इस योग के किसी कुंडली में बनने के लिए कुछ अन्य तथ्यों पर भी विचार करना आवश्यक है।
सुनफा योग की भांति ही अनफा योग के किसी कुंडली में निर्माण के लिए भी कुंडली में चन्द्रमा तथा चन्द्रमा से पिछले घर में स्थित ग्रहों का शुभ होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त कुंडली में चन्द्रमा पर किसी भी अशुभ ग्रह की स्थिति अथवा दृष्टि के माध्यम से अशुभ प्रभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि चन्द्रमा पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव कुंडली में बनने वाले अनफा योग के शुभ फलों को कम अथवा बहुत कम कर सकता है। कुंडली में बनने वाले अनफा योग के बारे में फलादेश करने से पहले कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति तथा बल भी देख लेना चाहिए क्योंकि सुनफा योग की भांति ही अनफा योग के शुभ फलों में भी चन्द्रमा के बल तथा स्थिति के आधार पर बहुत अंतर आ सकता है।
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अनफा योग का फल
जिस व्यक्ति की कुण्डली में अनफा योग होता है, वह व्यक्ति सुन्दर, बलवान, गुणवान, मृ्दुभाषी व प्रसिद्ध होता है, इसके साथ ही वह शरीर से हृष्ट पुष्ट होता है, उसमें राजनेता बनने की योग्यता होती है।
मंगल अनफा योग फल
जब चन्द्र से बारहवें भाव में मंगल स्थित हो, तो मंगल अनफा योग बनता है। यह योग कुण्डली में होने पर व्यक्ति अपने ग्रुप का नेता होता है। वह तेजस्वी, स्वयं को सीमित रखने वाला होता है। अपने बल पर वह मान करता है, और झगडों और लडाई के लिए सदैव तैयार रहता है। उसमें क्रोध भावना अधिक पाई जाती है।
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बुध अनफा योग फल
बुध से अनफा योग बने तो व्यक्ति गंधर्व के समान सुन्दर होता है, वह गायक, चतुर, लेखक, कवि, वक्ता, राजसुख, और प्रसिद्धि पाने वाला होता है।
गुरु अनफा योग फल
अनफा योग गुरु से बनने पर व्यक्ति गंभीर, मेधावी, बुद्धिमान, राजकीय सम्मान प्राप्त और प्रसिद्ध कवि होता है।
शुक्र अनफा योग फल
शुक्र से अनफा योग बने तो व्यक्ति विपरीत लिंग में लोकप्रिय होता है, उसे राजा का स्नेह मिलता है, इसके साथ ही वह उत्तम वाहन युक्त होता है, तथा उसके प्रसिद्ध कवि होने की भी संभावनाएं बनती है।
शनि अनफा योग फल
शनि से अनफा योग हो तो व्यक्ति लम्बी बाहों वाला होता है। वह भाग्यवान होता है। गुणी, और संतान युक्त होता है।
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