भगवान गणेश की पूजा में क्यों नहीं उपयोग होता है तुलसीपत्र, जानें वजह

सनातन धर्म में भगवान गणेश का बहुत महत्व है। समस्त संसार में उन्हें विघ्नहर्ता का दर्जा प्राप्त है यानी ऐसे देवता जो अपने भक्तों के सारे विघ्न हर लें।। सनातन धर्म में भगवान गणेश इतने महत्वपूर्ण हैं कि कोई भी पूजा बिना श्री गणेश की स्तुति के शुरू नहीं की जाती है। भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश की जिस पर भी कृपा हो जाये उस व्यक्ति के भाग्य खुल जाते हैं और उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश को हरी दूर्वा व मोदक बहुत प्रिय है लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान गणेश को तुलसी का पत्ता अर्पित नहीं करना चाहिए। इस कार्य से भगवान गणेश नाराज हो जाते हैं और भक्तों को अशुभ फल देते हैं। 

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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में वो कथा बताएंगे जिसकी वजह से भगवान गणेश को तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित माना गया है। 

भगवान गणेश को क्यों नहीं चढ़ाया जाता है तुलसी का पत्ता?

पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी राजा धर्मात्मज की पुत्री थी। जब तुलसी विवाह योग्य हुईं तो उन्होंने विवाह हेतु अपने पिता से तीर्थ यात्रा पर जाने की आज्ञा मांगी। राजा ने तुलसी को आज्ञा दे दी और वे तीर्थ यात्रा पर निकाल पड़ीं।

इस दौरान एक दिन जब वो गंगा नदी के तट पर टहल रही थीं तब उन्हें वहाँ भगवान श्री गणेश दिखे जो तपस्या में लीन थे। भगवान गणेश के पूरे शरीर पर चंदन लगा था और गले में पुष्प की माला से उनका रूप बेहद दिव्य प्रतीत हो रहा था। वे एक सिंहासन पर विराजमान हो आंखें बंद किए इष्ट की स्तुति कर रहे थे, उनका ये मंत्रमुग्ध कर देने वाला रूप तुलसी को भा गया और उनके मन में भगवान गणेश से विवाह करने की इच्छा जागृत हुई। 

तुलसी ने तो भगवान गणेश को अपना स्वामी मान लिया लेकिन उन्हें भगवान गणेश की भी इच्छा जाननी थी। ऐसे में उन्होंने भगवान गणेश की तपस्या भंग कर दी। इस बात से भगवान गणेश क्रोधित हो गए और तुलसी के विवाह के प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि वे जीवन भर ब्रह्मचारी रहेंगे। तुलसी भी भगवान गणेश के इस व्यवहार से नाराज हो गयी और उन्होंने भगवान गणेश को श्राप दे दिया कि उनका एक नहीं बल्कि दो-दो स्त्रियों से विवाह होगा। यह सुनकर गणेश जी का क्रोध और बढ़ गया और बदले में उन्होंने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि उनका विवाह एक दैत्य से होगा।

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भगवान गणेश का ये श्राप सुनकर तुलसी को अपनी गलती का बोध हुआ और उन्होंने भगवान गणेश से क्षमा मांगी। यह देखकर भगवान गणेश ने तुलसी से कहा कि चूंकि तुलसी भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को बेहद प्रिय हैं इसलिए कलयुग में तुलसी की पूजा से जातकों को मोक्ष की प्राप्ति होगी लेकिन उन पर तुलसी के पत्ते चढ़ाना हमेशा वर्जित माना जाएगा।

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