कृष्ण जन्माष्टमी पर मुहूर्त अनुसार करें ये महाउपाय, प्रसन्न होंगे कान्हा

नटखट नंद गोपाल, यशोदा के नंद लाल, भक्तों के भगवान श्री कृष्ण, गोपियों के कान्हा, राधा का बंसीवाला, आदि न जाने किन-किन नामों से प्रसिद्ध है बांके बिहारी श्री कृष्ण। जिनका जन्म उत्सव हर वर्ष बड़ी धूमधाम से एक पर्व की तरह मनाया जाता है। यूँ तो श्री कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के रूप में हर साल मनाया जाता है, लेकिन इस साल जन्माष्टमी पर बेहद अद्भुत योग बनता नज़र आ रहा है। ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो ये ठीक वैसा ही योग है जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय बना था। इस योग को श्री कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है।

कब रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत 

सूचना के अनुसार इस वर्ष जहाँ स्मार्त संप्रदाय के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी 23अगस्त, शुक्रवार को व्रत करके उसकी पारणा 24 अगस्त, शनिवार को करेंगे तो वहीं वैष्णव पंथ के अनुयायी जन्माष्टमी का पर्व इस साल 24 अगस्त, शनिवार को ही व्रत और पारणा करेंगे। वैष्णव और स्मार्त संप्रदाय मत को मानने वाले सभी लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं। आइए अब सबसे पहले जानते हैं कि वास्तव में स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय में क्या अंतर है। 

स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय क्या हैं 

सामान्य परिभाषा के अनुसार वे सभी लोग जो  वासुदेव अर्थात भगवान विष्णु को अपना मानते हैं और किसी योग्य व विशिष्ट धर्म के गुरु के द्वारा दीक्षित हैं तथा  तुलसी माला जनेऊ और तिलक धारण करते हैं, वैष्णव कहलाते हैं। वैष्णव संप्रदाय के लोग जीवन जीने के लिए विशेष नियमों  का पालन करते हैं। स्मार्त संप्रदाय के अंतर्गत वे सभी लोग आते हैं जो अपने देवी-देवताओं की पूजन में एक निष्ठ नहीं है अर्थात एक से अधिक देवी देवताओं की पूजा करते हैं। जहाँ वैष्णव मुख्य रूप से भगवान वासुदेव की आराधना करते हैं, वहीं  स्मार्त संप्रदाय को मैंने वाले लोग मुख्य रूप से 5 देवी देवताओं की पूजा करते हैं, जिनमें भगवान् शिव, विष्णु, माता शक्ति, सूर्य एवं गणेश जी प्रमुख रूप से पूजे जाते हैं। स्मार्त संप्रदाय के लोग वेद और पुराणों में आस्था रखते हैं और आस्तिक प्रवृत्ति के होते हैं।  वे मुख्य पंच देवों के उपासक होते हुए गृहस्थ धर्म का पालन करते हैं। 

हिन्दू धर्म ग्रन्थ निर्णय सिंधु के अनुसार जन्माष्टमी का मुहूर्त  

हिन्दू धर्म ग्रन्थ निर्णय सिंधु के अनुसार जब भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में अर्ध रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र हो और इस दौरान सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हो, तब श्री कृष्ण जयंती का शुभ योग बनता है। द्वापर युग में घटित यह काल चक्र इस वर्ष 24 अगस्त 2019, शनिवार को भी घटित होगा। जिसके बाद 24 अगस्त को रात्रि 8 बजकर 34 मिनट के बाद अष्टमी तिथि समाप्त हो जायेगी।  

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2019

निशीथ पूजा मुहूर्त

24:01:33 से 24:45:46 तक

अवधि 

0 घंटे 44 मिनट

जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त

05:54:46 के बाद 25, अगस्त को

नोटः ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में जन्माष्टमी का शुभ मुहुर्त

श्री जन्माष्टमी का महत्व

हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी के व्रत एवं पूजन का हमेशा से ही अपना एक विशेष महत्व रहा है। उन्ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवा अवतार बताया गया है। जिनके दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त दुःख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज का दर्जा दिया गया है। जिसका मतलब ये हुआ कि जो भी भक्त इस दिन व्रत करके सच्ची श्रद्धा के साथ उसका पालन करता है तो उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष जैसे अशुभ प्रभावों और दोषों को भी इस व्रत के द्वारा दूर किया जा सकता है।  

सुखी जीवन के लिए इस जन्माष्टमी ज़रूर करें ये महाउपाय

  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त अनुसार व्रत करके प्रेम में सफलता और उसमें बढ़ोत्तरी हेतु गाय के दूध से भगवान कृष्ण को भोग लगाना चाहिए, साथ ही उनका पंचामृत से अभिषेक भी करना चाहिए। 
  • व्यक्ति अपने किसी भी प्रकार के भौतिक सुख और जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भी भगवान श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगा सकता है। इसके पश्चात कच्ची लस्सी से उनका अभिषेक करना आपके लिए शुभ रहेगा।  
  • किसी भी प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्ति पाने के लिए दूध में तुलसी डालकर भगवान को भोग लगाएँ और कच्चे दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से आपकी स्वास्थ संबंधी हर समस्या दूर हो जाएगी।  
  • यदि आपको अपने कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा महसूस हो रही है तो आपको इस दिन भगवान श्री कृष्ण को लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए, साथ ही गन्ने के रस से उनका अभिषेक करने से आपको हर कार्य में सफलता की प्राप्ति होगी।  
  • यदि आप निःसंतान हैं या संतान सुख चाहते हैं तो इस कृष्ण जन्माष्टमी आपके लिए विशेष रूप से लाभकारी रहने वाली है। इसके लिए केवल आपको पूरे विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण का पूजन और व्रत करना होगा। साथ ही संतान गोपाल मंत्र का जाप और मुमकिन हो तो संतान गोपाल यंत्र की स्थापना करके भी आप बाल गोपाल को प्रसन्न कर सकते हैं। 

“ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । 

देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।।”