इस वर्ष 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है और सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यूँ तो अमावस्या तिथि अपने आप में ही बेहद ख़ास मानी गयी है हालांकि इस वर्ष यह दिन इसलिए भी खास माना जा रहा है कि, क्योंकि सोमवती अमावस्या के दिन कुंभ का दूसरा शाही स्नान किया जाएगा। हालांकि इस वर्ष सोमवती अमावस्या पर दो घातक योग बन रहे हैं।
इस वर्ष सोमवती अमावस्या के दिन विष्कुंभ योग और वैधृति योग बन रहा है। इन दोनों योगों का क्या अर्थ होता है पहले इस बारे में जानते हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं सोमवती अमावस्या के दिन रेवती नक्षत्र सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा, उसके बाद अश्विनी नक्षत्र लग जायेगा।
सोमवती अमावस्या के ही दिन चंद्रमा सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर मीन राशि, उसके बाद मेष राशि में गोचर कर जायेगा।
अब जानते हैं क्या होता है विष्कुम्भ योग?
ज्योतिष शास्त्र में कई शुभ-अशुभ योग बताये गए हैं। इन्ही में से एक योग है विष योग। कहा जाता है यह योग विष (ज़हर) से भरा हुआ घड़ा होता है और यही वजह है कि, इसे विष्कुम्भ (विष मतलब ज़हर और कुंभ का अर्थ होता है घड़ा) योग कहा जाता है। इसी के चलते ऐसा माना जाता है कि, विषकुंभ योग में जो कोई भी काम किया जाये वो फलदायी नहीं होता है, ऐसा काम ज़हर के समान होता है। ऐसे में इस दौरान कोई भी काम करने से बचना चाहिए।
क्या होता है वैधृति योग?
वैधृति योग को भी अशुभ योग माना गया है। इस योग के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, स्थिर यानि ठहराव वाले काम के लिए तो यह योग सही माना जाता है लेकिन जिन कामों में स्थिरता नहीं हो, जैसे यात्रा आदि से संबंधित काम, उनके लिए ये योग अशुभ माना गया है। ऐसे में इस योग के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए।
सोमवती अमावस्या 2021 के शुभ मुहूर्त
अशुभ योगों के बाद अब जानते हैं कि, सोमवती अमावस्या के दिन कौन से शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहने वाला है।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:17 ए एम, अप्रैल 13 से 05:02 ए एम, अप्रैल 13 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:35 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम तक।
अमृत काल- 08:51 ए एम से 10:37 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:32 ए एम, अप्रैल 13 तक।
सोमवती अमावस्या का महत्व
कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पूजा और व्रत आदि करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। इसके अलावा अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बेहद ही शुभ और फलदायी माना जाता है। पितरों की आत्मा की शांति से लेकर उनका आशीर्वाद अपने जीवन में बनाये रखने के लिए सोमवती अमावस्या बेहद ही उपयुक्त मानी जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ में देवी देवताओं का वास होता है, ऐसे में सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और फेरी करना भी शुभ फलकारी होता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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