सिंह संक्रांति 2023: सूर्य देव को जगत पिता और संसार की आत्मा कहा जाता है जो अपने प्रकाश से दुनिया को जीवन प्रदान करते हैं। जहां सनातन धर्म में सूर्य को देवता मानकर पूजा जाता है, तो वहीं ज्योतिष में इन्हें नवग्रहों का राजा माना गया है। ऐसे में, सूर्य देव का राशि परिवर्तन करना विशेष महत्व रखता है और अब यह जल्द ही दूसरी राशि में गोचर करने वाले हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको सिंह संक्रांति 2023 के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, मुहूर्त और समय। आइये सबसे पहले जानते है कि संक्रांति के बारे में।
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क्या होती है संक्रांति?
अगर आप सिंह संक्रांति के बारे में जानना चाहते हैं, तो सबसे पहले हम आपको बताएंगे कि संक्रांति क्या होती है? सूर्य महाराज एक वर्ष में 12 बार राशि परिवर्तन करते हैं और एक राशि में यह एक महीने तक रहते हैं। उसके बाद, यह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते है और इस प्रकार, सूर्य को मेष से लेकर मीन राशि तक का राशिचक्र पूरा करने में 12 महीनों यानी कि एक साल का समय लगता है और इसी क्रम में संक्रांति 2023 के अनुसार, साल भर में 12 संक्रांतियां आती हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है जिसे एक पर्व के तौर पर मनाया जाता है। अब बात करते हैं कि सिंह संक्रांति की तिथि और समय के बारे में।
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सिंह संक्रांति 2023: तिथि और समय
सिंह संक्रांति के दिन सूर्य नारायण कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वयं की राशि सिंह में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे सिंह संक्रांति के नाम से जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष इस पर्व को भाद्रपद महीने में मनाया जाता है। उत्तराखंड में सिंह संक्रांति को घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति के रूप में मनाने का प्रचलन है। साथ ही, इस पर्व का संबंध कृषि और पशुपालन से भी जोड़कर देखा जाता है जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे।
सिंह संक्रांति की तिथि: 17 अगस्त 2023, गुरुवार
सिंह संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव चंद्रमा की राशि कर्क से निकलकर स्वयं की राशि सिंह में दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर प्रवेश करेंगे।
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सिंह संक्रांति का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से, सिंह संक्रांति को सनातन धर्म में एक प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, देश के विभिन्न हिस्सों में सिंह संक्रांति के नाम और इसे मनाने के तरीके में भिन्नता देखने को मिलती है जैसे कि उत्तराखंड में इसे घी संक्रांति और दक्षिण भारत में सिंह संक्रमण कहा जाता है। वैसे तो, हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि किसी भी तरह का मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ मानी जाती है। हालांकि, सिंह संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है, परन्तु सूर्य पूजा के साथ-साथ श्रीहरि विष्णु और भगवान नरसिंह की उपासना भी इस दिन विधि-विधान से की जाती है।
सिंह संक्रांति के मौके पर भक्त सूर्य देव समेत सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन स्नान एवं दान आदि को बेहद शुभ माना जाता है और भक्तजन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान भी करते हैं।
धार्मिक महत्व के अलावा, इस पर्व का संबंध कृषि और पशुपालन से भी है। इस दौरान बरसात का मौसम होने की वजह से किसान अच्छी फसल की कामना करते हैं और प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाई होती है जिसे पशुओं को भरपूर चारा मिलता है। ऐसे में, दूध में बढ़ोतरी होने से दही और घी पर्याप्त मात्रा में मिलता है इसलिए ही सिंह संक्रांति पर घी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
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सिंह संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व
आत्मा के कारक कहे जाने वाले सूर्य सिंह संक्रांति पर एक वर्ष के बाद अपने स्वामित्व वाली राशि सिंह में प्रवेश करते हैं और इस राशि में गोचर करने के बाद सूर्य बेहद ताकतवर हो जाते हैं। ऐसे में, सूर्य महाराज की स्थिति पहले की तुलना में मज़बूत होती हैं और इस विषय में ज्योतिष में कहा गया है कि सूर्य बली होने पर जातकों को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति प्रदान करते हैं और व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। साथ ही, सिंह राशि में विराजमान सूर्य की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है इसलिए जब तक यह सिंह राशि में मौजूद रहते हैं उस दौरान नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इस अवसर पर घी का सेवन भी जरूर करना चाहिए।
क्यों ज़रूरी होता है सिंह संक्रांति पर घी का सेवन?
सूर्य संक्रांति के शुभ अवसर पर घी का सेवन करना बेहद शुभ माना गया है। साथ ही, इसका उपयोग भी अवश्य किया जाता है। सिंह संक्रांति पर घी खाने से जातक की याददाश्त तेज़ होती है और इनकी बुद्धि एवं ऊर्जा में वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यता है कि सिंह संक्रांति के दिन जो लोग घी का सेवन नहीं करते हैं, उन्हें अगला जन्म घोंघे के रूप में मिलता है। आपको बता दें कि घोंघे को आलस का प्रतीक माना जाता है और यह बेहद धीमी रफ़्तार में आगे बढ़ता है इसलिए इस दिन घी खाना फायदेमंद साबित होता है।
सिर्फ इतना ही नहीं, सिंह संक्रांति 2023 के दिन घी का सेवन करने से जातक को राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों से भी सुरक्षा की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, सूर्य संक्रांति पर नवजात शिशुओं के पैर के तलवों और सिर पर भी घी लगाया जाता है।
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सूर्य संक्रांति 2024 के दिन जरूर करें ये काम
- सिंह संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करना चाहिए। आसपास नदी या तालाब न होने पर नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि के बाद तांबे के लोटे में रोली, अक्षत, फूल आदि मिलाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय “ॐ आदित्याय विद्महे सहस्र किरणाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्” मंत्र का जाप करें।
- इसके पश्चात, अर्घ्य देने के बाद सूर्य को दीप, धूप आदि दिखाएं और अपने स्थान पर रहते हुए 3 बार परिक्रमा करें।
- अब सूर्य महाराज को प्रणाम करें और उनसे अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
- सूर्य पूजा के बाद भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की भी आराधना करें। विष्णु पूजा के दौरान तुलसी का उपयोग अवश्य करें क्योंकि ऐसा करना फलदायी साबित होता है।
आइये अब नज़र डालते हैं सिंह संक्रांति पर किये जाने राशि अनुसार उपायों पर।
सिंह संक्रांति 2023 के दिन राशि अनुसार करें ये अचूक उपाय
मेष राशि: मेष राशि के लोग गरीबों को घी, गुड़ और चावल का दान करें।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों के लिए सिंह संक्रांति पर सफ़ेद वस्त्र, गेहूं, दही, चावल या डेयरी से जुड़े उत्पादों का दान करना शुभ रहेगा।
मिथुन राशि: मिथुन राशि वाले इस दिन बेसन का हलवा, फल, सरसों का तेल और केसर आदि का दान करें।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक सिंह संक्रांति पर सूर्य भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए दूध, दूध से बनी मिठाई,चावल, लाल रंग का कपडा आदि दान कर सकते हैं। यदि संभव हो, तो चांदी का दान करना भी उत्तम रहेगा।
सिंह राशि: सिंह राशि वाले इस अवसर पर दालें, लाल रंग का कपड़ा, गेहूं, गुड़, पीतल के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं।
कन्या राशि: सिंह संक्रांति के पर्व पर कन्या राशि वालों के लिए कद्दू, गरीबों को कपड़े और गायों को हरा चारा आदि दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
तुला राशि: तुला राशि वाले इस दिन सूती कपड़े, चावल, फल आदि का दान करें। साथ ही, सूर्य देव को अर्घ्य देते समय लाल रंग के फूल भी अर्पित करें।
वृश्चिक राशि: सूर्य देव की कृपा पाने के लिए वृश्चिक राशि के जातक सिंह संक्रांति के दिन मंदिर में लाल चंदन, घी और लाल फूलों का दान करें।
धनु राशि: धनु राशि वाले यदि आर्थिक रूप से संपन्न हैं, तो सोने का दान करें, अन्यथा तांबे या पीतल के बर्तन का दान भी लाभदायक साबित होगा। साथ ही, आदित्य स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
मकर राशि: मकर राशि वालों के लिए इस दिन पालक, हरे रंग के वस्त्र और मूंग की दाल आदि का दान करना उत्तम रहेगा।
कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक सिंह संक्रांति पर गरीबों को नीले रंग के कपड़े, पुराने जूते, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें। साथ ही, गाय को गुड़ और गेहूं खिलाना भी फलदायी साबित होगा।
मीन राशि: सिंह संक्रांति पर मीन राशि वाले पीले रंग की मिठाई, वस्त्र और पीतल के बर्तन का दान करें। साथ ही, इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य भी दें और आदित्य स्तोत्र का पाठ करें।
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