सनातन धर्म में एकादशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी क्रम में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं और यह जुलाई से अगस्त महीने के बीच में आती है। श्रावण पुत्रदा एकादशी उत्तरी क्षेत्रों के अलावा पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। सावन माह में पड़ने के कारण इस दिन भगवान शिव की भी पूजा करना विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से साधक को सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत माताएं अपनी संतान के सुखद जीवन के लिए और संतान की प्राप्ति के लिए रखती हैं।
तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं श्रावण पुत्रदा एकादशी 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, पौराणिक कथा और आसान उपाय के बारे में।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि व समय
इस सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 27 अगस्त, 2023 रविवार को पड़ेगी इसलिए श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त 2023 को रखा जाएगा।
शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत: 27 अगस्त 2023 की मध्यरात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर होगी।
शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन: इसी दिन रात 09 बजकर 33 मिनट पर।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण मुहूर्त : 28 अगस्त 2023 की सुबह 05 बजकर 56 से 08 बजकर 30 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 34 मिनट
श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन बन रहा है ये शुभ योग
इस दिन बेहद शुभ योग प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिषियों का मानना है कि प्रीति योग का बहुत महत्व है और यह किसी भी पवित्र कार्य को करने के लिए काफी शुभ है। इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
प्रीति योग का निर्माण : 26 अगस्त 2023 की शाम 04 बजकर 25 मिनट से 27 अगस्त 2023 की दोपहर 01 बजकर 25 मिनट तक।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से साधक को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही, उनके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति के बड़े से बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिल जाती है। पूर्वजों के आशीर्वाद से उनके घर किलकारियां गूंजती हैं। श्रावण पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है और व्रत की रात जागरण किया जाता है और फिर अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से संतान सुख, दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी पर करें इस विधान से पूजा
- श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की तैयारी दशमी से शुरू हो जाती है और इस तिथि के दिन सूर्यास्त होने के बाद से भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। यदि संभव हो तो फल व दूध का सेवन कर सकते हैं।
- एकादशी तिथि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान करने के बाद साफ कपड़े धारण करें और व्रत का संकल्प करें।
- इसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं और सामने एक लकड़ी की चौकी रखें।
- अब इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़क कर लाल या पीला कपड़ा बिछाए और फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और कलश की स्थापना करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को फूल, नारियल, फल, मिठाई और केले आदि का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान व्रत कथा जरूर सुने क्योंकि कथा सुने बिना व्रत अधूरा माना जाता है। इसके अलावा, यदि आप निर्जला व्रत न रख पाए तो फलाहार व्रत ले सकते हैं।
- अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर व्रत पारण करें।
श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये कथा
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में महिष्मति नगर था और उस नगर का राजा महीजित था। राजा को कोई पुत्र नहीं था, जिसका उसे काफी दुख था। अपना राजपाट भी उसे अच्छा नहीं लगता था। राजा का मानना था कि जिसका पुत्र नहीं है, उसे लोक और परलोक में कोई सुख नहीं है। उसने पुत्र प्राप्ति के लिए कई उपाय किए लेकिन उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई।
जब वह राजा बूढ़ा हो गया तो एक दिन उसने सभा बुलाई और उसमें प्रजा को भी शामिल किया। उसने कहा कि वह पुत्र न होने के कारण दुखी है। उसने कभी भी दूसरों को दुख नहीं दिया, प्रजा का पालन अपने पुत्र की तरह किया। इसके बाद भी उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऐसा क्यों है? राजा के इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिए सभी मंत्री व प्रजा जंगल में ऋषि मुनियों के पास गए। वहां उन्हें एक स्थान पर लोमश मुनि मिले। उन सभी ने लोमश मुनि को प्रणाम किया तो मुनि ने उनसे आने का कारण पूछा। तब उन सभी ने राजा के दुख का कारण बताया।
उन्होंने कहा कि उनके राजा पुत्रहीन होने के कारण काफी दुखी रहते हैं, जबकि वे प्रजा की देखभाल पुत्र की तरह करते हैं। तब लोमश ऋषि ने अपने तपोबल से राजा महीजित के पूर्वा जन्म के बारे में पता किया। उन्होंने बताया कि यह राजा पूर्वजन्म में एक गरीब वैश्य था। धन के लिए राजा ने कई बुरे कर्म किए। एक बार राजा ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को एक जलाशय पर पानी पीने गया और वह दो दिन से भूखा था। वहीं पर एक गाय भी पानी पी रही थी।
तब इस राजा ने उस गाय को भगाकर खुद पानी पीने लगा, इस वजह से राजा को इस जन्म में पुत्रहीन होने का दुख प्राप्त हुआ। उन सभी ने लोमश ऋषि से इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। तब उन्होंने बताया कि राजा को श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत करना चाहिए और इस व्रत को करने से वह सभी पापों से मुक्ति पा लेगा और साथ ही पुत्र की प्राप्ति होगी।
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इन उपायों से आप पर रहेगी शिव-विष्णु की विशेष कृपा
मनोकामना पूर्ति के लिए
पुत्रदा एकादशी सावन के महीने के दौरान पड़ता है। ऐसे में, इस दिन भगवान शिव व श्री हरि विष्णु का दूध से अभिषेक करना चाहिए। भगवान विष्णु का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करना चाहिए क्योंकि यह शंख विष्णु जी को अति प्रिय है। ऐसा करने से श्री हरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए
संतान प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों की माला पहनानी चाहिए और चंदन का तिलक श्रीहरि के मस्तक में लगाना चाहिए। साथ ही, मंदिर में या घर के पूजा स्थल पर कुछ देर तक भगवान का ध्यान लगाना चाहिए।
संतान की खुशहाली के लिए
संतान की खुशहाली के लिए श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन व्रत ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से आपको भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
पुत्र प्राप्ति के लिए
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण विष्णु अवतार हैं। श्रावण पुत्रदा एकादशी को आप पूजा के समय संतान गोपाल मंत्र ‘ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।’ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से भी पुत्र प्राप्ति का योग बनता है।
नौकरी व बिज़नेस में सफलता के लिए
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को 108 बेलपत्र की माला चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यापार व नौकरी में जातक को अपार सफलता प्राप्त होती है।
हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए
हर कार्य में सफलता पाने के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं। इसके साथ ही, महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
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