सावन पूर्णिमा में राशि अनुसार करें भगवान भोलेनाथ की पूजा; ग्रह दोष से मिलेगा छुटकारा!

सनातन धर्म में सावन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का बड़ा ही धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व है। इस पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक ग्रन्थों में इस दिन स्नान, तप और दान का विशेष महत्व है। इस दिन सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। श्रावण मास में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव व माता पार्वती की भी पूजा की जाती है और भक्त उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखते हैं। मध्य और उत्तर भारत में श्रावण पूर्णिमा के दिन कजरी पूर्णिमा का पर्व भी ही मनाया जाता है। इस दिन यज्ञोपवीत संस्कार या उपनयन संस्कार करने का विधान भी है। ज्योतिष में यह पूर्णिमा काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं, जो वैदिक ज्योतिष में जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि और सफलता के लिए महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं।

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तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं और श्रावणी पूर्णिमा 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, कथा और राशिनुसार कैसे करें शिव की पूजा।

श्रावण पूर्णिमा तिथि व समय

पूर्णिमा आरम्भ: 30 अगस्त  2023 की सुबह 11 बजे से

पूर्णिमा समाप्त: 31 अगस्त  2023 की सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक

श्रावण पूर्णिमा की तिथि: 31 अगस्त यानी गुरुवार के दिन।

श्रावण पूर्णिमा की धार्मिक महत्व

श्रावण पूर्णिमा व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं। माना जाता है कि यदि इस व्रत को कुंवारी कन्याएं करें तो उन्हें भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विशेष कृपा से अच्छे वर की प्राप्ति होती है और यदि युवक करें तो उन्हें सुशील पत्नी प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस दिन स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन और दान-पुण्य करना भी फलदायी माना जाता है। श्रावण पूर्णिमा को लेकर पूरे भारत में अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं हैं। उत्तर भारत में जहां इस दिन रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। तो वहीं दक्षिण भारत में इस दिन नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम मनाई जाती है। मध्य भारत में इसे कजरी पूनम तो गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। 

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श्रावण पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा

  • श्रावण पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर साफ-सफाई करें और स्नान आदि करके सूर्य को जल दें और शुभ मुहूर्त पर पूजा शुरू करें।
  • इसके बाद भगवान की पूजा के लिए एक साफ-सुथरी जगह का चुनाव करें और उसके ऊपर आसन लगाकर बैठ जाएं।
  • पूजा सामग्री के लिए बेलपत्र, धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल, चावल, मिठाई आदि एकत्र कर लें।
  • पूजा की शुरुआत करते समय सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
  • पूजा के दौरान, भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करें।
  • इसके बाद भगवान शिव व माता पार्वती को श्रृंगार की चीज़ें अर्पित करें।
  • फिर अंत में आरती करते हुए भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।

श्रावण पूर्णिमा की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर था और उस नगर में तुंगध्वज नाम का राजा राज्य करता था। तुंगध्वज राजा को जंगल में शिकार करने का बड़ा शौक था। एक दिन राजा जंगल में शिकार करने गया और शिकार करते-करते राजा थक गया। थकान दूर करने के लिए एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गया। राजा ने देखा कि बरगद के पेड़ के कुछ दूरी पर काफी सारे लोग इकट्ठे होकर सत्यनारायण भगवान की पूजा कर रहे थे। राजा के अंदर काफी अभिमान था वह न ही कथा में शामिल होने गया और न ही भगवान को प्रणाम किया और प्रसाद लेने से भी मना कर दिया। कुछ देर बाद राजा अपने नगर पहुंच गया।

नगर में आकर राजा ने देखा कि दूसरे राज्य के राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया है। राजा अपनी प्रजा का हाल देखकर समझ गया कि उसने सत्यनारायण भगवान और उनके प्रसाद का निरादर किया, जिसका फल उसको प्राप्त हुआ। राजा को तुरंत ही अपनी गलती का एहसास हुआ और वह वापस जंगल की तरफ भागा और जहां सत्यनारायण की कथा चल रही थी वहां पहुंचकर राजा ने प्रसाद मांगा और अपनी भूल के लिए माफी मांगी।

पश्चाताप करते देख राजा को भगवान सत्यनारायण ने माफ कर दिया। उसके बाद राजा में अपने नगर में पहुंचकर सत्यनारायण का पाठ करवाया। भगवान सत्यनारायण की कृपा से राजा ने लम्बे समय तक राज्य संभाला और अंत में बैकुंठ धाम को प्राप्त किया। ऐसे में श्रावण पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण का पाठ करने का विशेष महत्व है।

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श्रावण पूर्णिमा में राशि अनुसार करें भगवान भोलेनाथ की पूजा

मेष राशि

इस राशि के जातक श्रावण पूर्णिमा के दिन बेलपत्र, लाल चंदन और लाल फूल से भोलेनाथ की पूजा करें और साथ ही जल में गुड़ मिलाकर जलाभिषेक करें। इस दौरान ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहे।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के लोग श्रावण पूर्णिमा के दिन दूध व दही से भगवान शिव का अभिषेक करें और साथ ही महामृत्युंजय का मंत्र जाप या ॐ नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातक श्रावण मास में भांग, धतूरा, कुश, मूंग और दूब से भगवान भोलेनाथ की पूजा करें और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।

कर्क राशि

आपकी राशि के लोग सावन में भगवान शिव को सफेद फूल, चंदन, इत्र, गाय का दूध आदि अर्पित करें और इस दौरान ॐ चंद्रमौलेश्वर नम: मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातक को श्रावण पूर्णिमा में पानी में गुड़ मिलाकर भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए और इस दौरान ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं व ॐ नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातक को इस दिन भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए और 108 बार ॐ नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।

तुला राशि

तुला राशि वालों को इस दिन पूजा करते समय भोलेनाथ को सफेद चंदन, गंगाजल, दही, शहद, श्रीखंड आदि अर्पित करना चाहिए। साथ ही, गाय के दूध में मिश्री मिलाकर भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए।

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वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों को इस दिन भगवान शंकर को लाल गुलाब या कोई लाल फूल अर्पित करना चाहिए और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

धनु राशि

धनु राशि वालों को भगवान शंकर को पीले फूल या पीला गुलाब या पीली वस्तुएं दान करना चाहिए। इसके बाद पानी या दूध में हल्दी मिलाकर भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए।

मकर राशि

मकर राशि वालों को भगवान शिव को नीलकमल या नीले फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, भांग, धतूरा आदि अर्पित करना चाहिए। इसके बाद नारियल पानी से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव को दूध वाली मिठाई का भोग जरूर लगाना चाहिए।

कुंभ राशि 

श्रावण मास में आप भगवान शिव को नीले पुष्प, शमी के पत्ते, गन्ने का रस, शमी के फूल आदि चढ़ाएं। इसके बाद, तिल के तेल से महादेव का अभिषेक करें।

मीन राशि

इस राशि वालों को भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए दूध में चंदन या हल्दी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके बाद दही और चावल का भोग लगाएं। साथ ही,  ऊँ नमो शिवाय गुरु देवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

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