अधिक पूर्णिमा 2023: सावन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस साल अधिक मास के करण सावन का महीना 59 दिनों का है इसलिए इस बार दो अमावस्या तिथि और दो पूर्णिमा तिथि पड़ रही है। अधिक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को अधिक पूर्णिमा कहते हैं। सनातन धर्म के लोग इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखते हैं। साथ ही, कई अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं। ख़ास बात यह है कि इस पूर्णिमा के दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है और इस दौरान पूजा-पाठ करना विशेष फलदायी साबित हो सकता है। तो आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं अधिक पूर्णिमा की तिथि, पूजा मुहूर्त, योग व और भी बहुत कुछ।
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सावन अधिक पूर्णिमा 2023 की तिथि व मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 01 अगस्त की सुबह 03 बजकर 53 मिनट से शुरू होगी और 02 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में श्रावण अधिक पूर्णिमा व्रत 01 अगस्त 2023, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रावण मास का तृतीय मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा।
अधिक पूर्णिमा 2023: शुभ योग
श्रावण अधिक पूर्णिमा तिथि के दिन तीन अत्यंत शुभ और ख़ास योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस विशेष दिन पर प्रीति योग और आयुष्मान योग बन रहा है। वहीं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन प्रीति योग शाम 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगा और इसके बाद आयुष्मान योग का शुभारंभ हो जाएगा। वही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम 04 बजकर 03 मिनट तक रहेगा और इसके बाद श्रवण नक्षत्र शुरू हो जाएगा। इस दुर्लभ संयोग में पूजा-पाठ करना विशेष फलदायी साबित होगा।
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सावन अधिक पूर्णिमा तिथि महत्व
सनातन धर्म में सभी पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है लेकिन सावन के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा कई मायनों में ख़ास है क्योंकि इस बार दो पूर्णिमा पड़ रही है। अधिक पूर्णिमा तिथि के दिन पूर्णिमा व्रत और मंगला गौरी व्रत का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। इस विशेष दिन पर स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से कई गुना फल प्राप्त होगा और साथ ही भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होगी। ऐसे में, आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
चंद्रमा की करें पूजा
सावन मास अधिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा पा लेता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने के लिए रात में चांदी के लोटे से चंद्र को दूध और जल अर्पित करें। साथ ही, ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति हर दोषों से मुक्ति पा लेता है और कुंडली में शुक्र की स्थिति भी मजबूत होती है।
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इस दिन इन चीज़ों का करें दान
पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। अधिक मास की पूर्णिमा काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र या चावल जैसी चीजों का दान जरूर करना चाहिए।
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