हिंदू धर्म के तीन मुख्य देवों में से एक भगवान शिव के कई मंदिर भारत में मौजूद हैं। बाकी देवों की तुलना में भगवान शिव के भक्तों की संख्या कई अधिक है यह कहना गलत नहीं होगा। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची पुकार पर आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। आज भी कन्याएं अच्छे वर की चाह में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं भारत वर्ष में भगवान शिव के कई मंदिर हैं लेकिन आज जिस मंदिर या धाम के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह भगवान शिव के अन्य पूजा स्थलों से बिल्कुल भिन्न है। भगवान शिव के इस धाम की तुलना किसी भी अन्य धाम से नहीं की जा सकती। इस शिव धाम का नाम है कोटिलिंगेश्वर।
कोटिलिंगेश्वर धाम: जहां मौजूद हैं करोड़ों शिव लिंग
कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर धाम में 108 फीट का शिवलिंग स्थित है और इसके साथ ही वहां छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंग मौजूद हैं। इस स्थान पर सबसे बड़े शिवलिंग के पास ही 35 फीट ऊंचाई वाली नंदी की प्रतिमा भी विराजमान है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है। एक साथ इतने सारें शिवलिंगों को देखना अपने आप में दर्शनीय होता है।
कोटिलिंगेश्वर धाम से जुड़ी एक कथा के अनुसार ऋषि गौतम ने एक बार स्वर्ग के राजा इंद्र देव को उनके किसी पाप कर्म के कारण श्राप दे दिया। इंद्र देव इस श्राप से मुक्ति पाना चाहते थे इसके लिये इंद्र ने कोटिलिंगेश्वर धाम में शिवलिंग की स्थापना की और पूरी श्रद्धा से शिवजी की भक्ति करने लगे। ऐसा कहा जाता है कि इंद्र ने लाखों नदियों के पानी से शिवलिंग का जलाभिषेक किया। इंद्र की श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और अंत में उनके आशीर्वाद से इंद्र को श्राप से मुक्ति मिली। ऐसा माना जाता है कि तभी से इस कोटिलिंगेश्वर धाम की महिमा बढ़ी और तब से हजारों भक्त हर साल यहां आते हैं। भक्तों द्वारा यहां मन्नतें मांगी जाती हैं और मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां शिवलिंग की स्थापना करते हैं। इसीलिये यहां करोड़ों शिवलिंग स्थापित हो गये हैं।
ऐसा नहीं है कि इस धाम में केवल शिवलिंग ही स्थापित हों। यहां पूरे शिव परिवार के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं। कोटिलिंगेश्वर धाम के साथ-साथ मंदिर परिसर में ग्यारह अन्य मंदिर भी मौजूद हैं। यहां भगवान विष्णु, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी, भगवान गणेश और राम-लक्ष्मण-सीता मंदिर भी हैं। हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सच्चे दिल से यहां मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नत अवश्य पूरी होती है।
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