हिंदू धर्म में एकादशी का बेहद ही महत्व बताया गया है। साल के सभी 12 महीनों में दो एकादशी यानी की कुल वर्ष में 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। इनमें से कुछ एकादशी (Ekadashi) का महत्व बाकी एकादशी तिथियों से ज्यादा माना जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण एकादशी में से एक है षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2021)। षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi Date) कब है? इस दिन का महत्व क्या है? और इस दिन किस विधि से पूजा करने से आप भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं?
षटतिला एकादशी तिथि और मुहूर्त (Shattila Ekadashi 2021 Shubh Muhurat)
7 फरवरी, 2021 दिन रविवार
षटतिला एकादशी पारणा मुहूर्त :07:05:20 से 09:17:25 तक 8, फरवरी को
अवधि :2 घंटे 12 मिनट
यह मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है. अपने शहर के अनुसार मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.
षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि, इस दिन तिल का प्रयोग छह अलग-अलग प्रकार से करने से इंसान के जीवन के सभी पापों का नाश होता है और उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। बता दें कि, तिल के छह अलग-अलग प्रयोगों के कारण ही इस दिन का नाम षटतिला एकादशी पड़ा है। पद्म पुराण में उल्लेखित इस व्रत के बारे में कहा गया है कि, जो कोई भी जातक षटतिला एकादशी के दिन सच्चे मन से पूजा उपवास करते हैं, इस दिन दान पुण्य करता है और फिर विधि विधान से पूजा करते हैं उन्हें जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सभी पापों का अंत होता है।
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षटतिला एकादशी महत्व (Shattila Ekadashi Significance)
षटतिला एकादशी का व्रत करना बेहद ही फलदाई बताया गया है। कहा जाता है कि, इस दिन के व्रत से कन्यादान जितना पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन के व्रत को करने से हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान जितना फल एकमात्र षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) व्रत को करने से प्राप्त होता है। इसके अलावा जो कोई भी इंसान षटतिला एकादशी का व्रत करता है उनके घर में सुख शांति का वास होता है और ऐसे इंसान को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इंसान को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी व्रत की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। तो आइए अब जानते हैं इस दिन की पूजा किस विधि से करना फलदाई रहेगा।
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षटतिला एकादशी पूजन विधि (Shattila Ekadashi Puja Vidhi)
- इस दिन व्यक्ति को सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को तिल और उड़द मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।
- मान्यता है कि, षटतिला एकादशी के व्रत में तिल को जितने अलग-अलग तरीकों से प्रयोग में लाया जा सकता है उतना अधिक फायदेमंद होता है।
- षटतिला एकादशी का व्रत करने से एक दिन पहले ही व्रत रखने वाले इंसान को संयमित जीवन अपना लेना चाहिए। इसका अर्थ हुआ कि एकादशी से पूर्व यानी की दशमी के दिन व्रत रखने वाले इंसान को रात्रि का भोजन नहीं करना चाहिए।
- व्रत रखने वाले इंसान को इस दिन काम, क्रोध, लोभ और मोह की भावना को त्याग कर सच्ची श्रद्धा से व्रत का संकल्प लेकर पूजा उपवास करना चाहिए।
- षटतिला एकादशी का व्रत पूरे दिन निराहार रह जाता है। हालांकि कुछ लोग अगर निराहार व्रत नहीं रह सकते तो उन्हें फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- षटतिला एकादशी के दिन शाम के समय फिर से भगवान विष्णु का पूजन करें। तुलसी जी के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- फिर अगले दिन यानी द्वादशी के दिन पारण करें।
- पारण से पहले ब्राह्मण दंपत्ति को भोजन कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों या जरुरतमंदों को दान दक्षिणा दें और उसके बाद ही पारण करें।
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ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें और किसी ऊंची चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल में तिल मिलाकर छींटे दे और धूप दीप कर घर में घट स्थापना करें। पूजा में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु की आरती उतारें । षटतिला एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु को तिल का ही भोग लगाएं। साथ ही उन्हें तिल नियुक्त फलाहार अर्पित करें। षटतिला एकादशी के दान में भी तिल का दान करना बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। मान्यता है कि, माघ मास में आप जितना तिल का दान करेंगे उतने हजारों साल तक आप को स्वर्ग में रहने का अवसर प्राप्त होगा।
षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व
इस दिन की पूजा में तिल का विशेष महत्व होता है। इस दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है।
1. तिल के जल से स्नान करें
2. पिसे हुए तिल का उबटन करें
3. तिल का हवन करें
4. तिल मिला हुआ जल पियें
5. तिल का दान करें
6. तिल की मिठाई और व्यंजन बनाएं
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षटतिला एकादशी व्रत कथा (Shattila Ekadashi Vrat Katha)
पद्म पुराण में षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) की व्रत कथा का जिक्र करते हुए बताया गया है कि, प्राचीन समय में एक महिला हुआ करती थी। यह महिला भगवान विष्णु के परम भक्त थी। वह रोजाना भगवान विष्णु की पूजा व्रत आदि श्रद्धा पूर्वक किया करती थी। व्रत रखने से उसका मन और शरीर शुद्ध हो गया था लेकिन उसने कभी अन्न का दान नहीं किया था। ऐसे में जब महिला अपनी मृत्यु के बाद बैकुंठ पहुंची तो उसे एक खाली कुटिया मिली।
हैरान परेशान महिला ने बैकुंठ में मौजूद भगवान विष्णु से पूछा कि, मुझे खाली कुटिया क्यों मिली है? तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि, क्योंकि तुमने कभी अपने जीवन में अन्न दान नहीं किया इसलिए तुम्हें यह खाली कुटिया मिली है। एक बार मैं तुम्हारे उद्धार के लिए तुम्हारे पास भिक्षा मांगने आया था तब तुमने मुझे मिट्टी का ढेला पकड़ा दिया था।
तब महिला ने पूछा कि, मैं अब क्या करूं जिससे मेरी यह गलती सही हो जाए? तब भगवान विष्णु ने कहा अब तुम षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) का व्रत करो। महिला ने भगवान विष्णु के कहे अनुसार षटतिला एकादशी का विधि पूर्वक व्रत पूजन किया। दान दक्षिणा दी जिससे उसकी कुटिया अन्न-धन से भर गई और वह बैकुंठ में अपना जीवन खुशी-खुशी व्यतीत करने लगी।
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षटतिला एकादशी से मिलने वाले अन्य फल
माना जाता है कि, षटतिला एकादशी का व्रत करने से,
- व्यक्ति को आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है।
- उनकी आयु में वृद्धि होती है।
- आंख से जुड़े उनके सभी और किसी भी प्रकार के विकार दूर होते हैं।
- इस दिन की पूजा से जो कोई भी इंसान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल कर लेता है उनके जीवन में धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
- इसके अलावा जो कोई भी महिलाएं इस व्रत को करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- यदि कोई पति-पत्नी साथ में इस व्रत को करते हैं तो उनका दांपत्य जीवन सुखी रहता है।
- इस दिन तिल से भरा कलश दान करने से आपका भंडार कभी भी खाली नहीं होता है।
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