हिंदू धर्म में 12 महीनों में एकादशी के 24 व्रत होते हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 की हो जाती है। इनमें से कुछ का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है षटतिला एकादशी। षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इस साल यानि 2020 में षटतिला एकादशी 20 जनवरी (सोमवार) को है।
षटतिला एकादशी पारणा मुहूर्त | 07:14:04 से 09:21:26 तक 21, जनवरी को |
अवधि | 2 घंटे 7 मिनट |
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन तिल का प्रयोग खास होता है। माना जाता है कि 6 प्रकार से तिलों के प्रयोग करने पर पापों का नाश होता है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। तिल के 6 प्रयोग के कारण ही इसे षटतिला एकादशी नाम दिया गया है। कहते हैं जो भी भक्त षटतिला एकादशी के दिन उपवास करते हैं, साथ ही दान, तर्पण और विधि-विधान से पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का अंत होता है।
जानें षटतिला एकादशी का महत्व
पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान , हजारों साल की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उसका कई गुना ज्यादा फल एक मात्र षटतिला एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है। बता दें इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति आती है। साथ ही मनुष्य को भौतिक सुख तो प्राप्त होता ही है, मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इसलिए इस दिन की गई पूजा का खास महत्व होता है।
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ऐसे करें व्रत
सबसे पहले व्यक्ति सुबह उठकर स्नान करे। स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करे। भगवान विष्णु को तिल और उड़द मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाए। कहते हैं कि इस व्रत के दौरान तिल का जितना प्रयोग किया जाए वह उतना ही फायदेमंद होता है। एकदाशी से पूर्व दशमी पर व्यक्ति को रात में खाना नहीं खाना चाहिए। व्रत करने के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि काम, क्रोध, लोभ और मोह की भावना त्यागकर सच्ची श्रद्धा से व्रत का संकल्प करें।
षटतिला एकादशी पूजा विधि
- नारद पुराण के मुताबिक, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- गंगाजल में तिल मिलाकर तस्वीर पर छीटें दें और उन्हें पुष्प, धूप आदि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु सहस्नाम का पाठ करें और आरती उतारें।
- भगवान को तिल का भोग लगाएं।
- इस दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की आराधना करें, साथ ही रात्रि में जागरण और हवन करें।
- इसके बाद द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें।
- कहा जाता है कि माघ मास में जितना तिल का दान करेंगे उतने हजारों साल तक स्वर्ग में रहने का अवसर प्राप्त होगा।
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षटतिला एकादशी की व्रत कथा
पद्म पुराण के अनुसार, एक महिला भगवान विष्णु की परम भक्त थी और वह पूजा, व्रत आदि श्रद्धापूर्वक करती थी। वह महिला सच्चे मन से भगवान विष्णु की भक्ति करती थी। व्रत रखने से उसका मन और शरीर तो शुद्ध हो गया था लेकिन उसने कभी अन्न का दान नहीं किया था। महिला की मृत्यु हो गई और मुत्यु के बाद जब वह बैकुंठ पहुंची तो उसे खाली कुटिया मिली। इसे देखकर महिला ने भगवान विष्णु से पूछा कि मुझे खाली कुटिया ही क्यों मिली है? तब भगवान विष्णु ने बताया कि तुमने व्रत तो सच्चे मन से किया लेकिन कभी कोई दान नहीं किया है इसलिए तुम्हें यह फल मिला। मैं तुम्हारा उद्धार करने के लिए एक बार तुम्हारे पास आया था तो तुमने मुझे मिट्टी का एक ढेला पकड़ा दिया। अब तुम षटतिला एकादशी का व्रत करो। भगवान विष्णु की बात सुनकर महिला ने षटतिला एकादशी का व्रत किया तो व्रत पूजन करने के बाद उसकी कुटिया अन्न-धन से भर गई और वह बैंकुठ में अपना जीवन आराम से हंसी-खुशी बिताने लगी।